मक्के की फसल को तपती गर्मी से बचाने के कोर्टेवा ने बताए उपाय
उच्च तापमान और सूखे मौसम से मिट्टी की नमी कम हो जाती है। इससे हरी पत्ती के टिश्यू को बहुत ज्यादा नुकसान के साथ पोषक तत्वों की कमी हो सकती है जिससे उत्पादन और फसल की गुणवत्ता में भी कमी आती है।
भारतीय कृषि क्षेत्र मौसमी परिवर्तन के कारण चुनौतियों का सामना कर रहा है। बढ़ते तापमान और मौसम में परिवर्तन से फसल उत्पादन और किसानों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहे हैं। खासकर गर्मियों के महीनों में तपती धूप मक्के की खेती पर हानिकारक प्रभाव डालती है। इसे देखते हुए कोर्टेवा एग्रीसाइंस ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है।
कोर्टेवा की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि उच्च तापमान और सूखे मौसम से मिट्टी की नमी कम हो जाती है। इससे हरी पत्ती के टिश्यू को बहुत ज्यादा नुकसान के साथ पोषक तत्वों की कमी हो सकती है जिससे उत्पादन और फसल की गुणवत्ता में भी कमी आती है।
कृषि शोधकर्ता और उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ. वीके सचान कहते हैं, “पूरे देश में मक्का किसान गर्मी के संकट से जूझ रहे हैं। ज्यादा तापमान की वजह से वसंतीय मक्के की बुआई का समय अप्रैल के अंत में बदल गया है। बुआई के इस बदलाव ने पौधे की वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। इसलिए किसानों के लिए समय पर फसल की बुआई से उत्पादकता और लाभ बढ़ाने के लिए सावधानीपूर्वक उपाय अपनाने की आवश्यकता होती है।”
कोर्टेवा ने कहा है कि गर्मी की चुनौतियों से निपटने और पैदावार बढ़ाने के लिए मक्का किसान निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं-
- तपती गर्मी के मौसम में मक्के की फसल को ताजा रखने के लिए अक्सर पानी देना आवश्यक है। खेतों को हर सुबह और हर शाम पानी दिया जाना चाहिए, खासतौर पर मई और जून के पहले दो हफ्तों में।
- मक्के की फसल नमी की कमी और अतिरिक्त नमी दोनों के लिए संवेदनशील होती हैं, इसलिए खेतों में नमी बनाए रखने के लिए आवश्यकता अनुसार सिंचाई को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है। मक्के के पौधों में 50 फीसदी टैसल दिखाई देने लगे तो दो से तीन दिन के भीतर सिंचाई की जानी चाहिए।
- बीज की बुवाई के बाद पौधे उगने से पहले नमी की स्थिति में खेतों की सिंचाई करें और फिर अधिकतम 35 से 50 किलोग्राम प्रति एकड़ यूरिया डालें। साथ ही दो से तीन दिन बाद 20 से 25 किलोग्राम पोटाशियम का भी उपयोग करें।
- किसानों को मौसम पर नजर रखना चाहिए क्योंकि मई महत्वपूर्ण महीना है जब मक्के की अनावश्यक तनावमुक्त अनाज भरने की अवधि होती है जो उत्पादन की क्षमता को अधिकतम स्तर तक पहुंचा सकती है।
- अनाज की गुणवत्ता बनाए रखने और मानसून पूर्व बारिश से बचाने के लिए किसानों को मक्के को सावधानी से सुखाने और इसे सुरक्षित स्थानों पर संग्रहीत करने की भी सलाह दी जाती है।