फल और सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एयर कार्गो नियमों में दी ढील
ये बदलाव विशेष रूप से अंगूर, आम, प्याज और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ जैसे अधिक मूल्य और जल्दी नष्ट होने वाले उत्पादों की त्वरित और किफायती ढुलाई सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किए गए हैं। इस कदम को 2025-26 के केंद्रीय बजट में सीमा शुल्क प्रक्रियाओं के आधुनिकीकरण और कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के वादे के अनुरूप कहा जा सकता है।

आर. सूर्यमूर्ति
भारत से फल, सब्जियां और अन्य पेरिशेबल (जल्दी नष्ट होने वाली) वस्तुओं का निर्यात अब पहले से कहीं अधिक आसान हो गया है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने एयर कार्गो की आवाजाही सरल बनाने और लालफीताशाही कम करने के लिए कई सुधारों की घोषणा की है, जिससे किसान, निर्यातक और लॉजिस्टिक्स कंपनियां सभी लाभान्वित हो सकती हैं।
ये बदलाव विशेष रूप से अंगूर, आम, प्याज और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ जैसे अधिक मूल्य और जल्दी नष्ट होने वाले उत्पादों की त्वरित और किफायती ढुलाई सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किए गए हैं। इस कदम को 2025-26 के केंद्रीय बजट में सीमा शुल्क प्रक्रियाओं के आधुनिकीकरण और कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के वादे के अनुरूप कहा जा सकता है।
नए कदमों के तहत सीबीआईसी ने 24 अप्रैल 2025 से ट्रांसशिपमेंट परमिट शुल्क समाप्त कर दिया है। यह बदलाव अधिसूचना संख्या 30/2025-कस्टम्स (एन.टी.) के माध्यम से लागू किया गया है। इससे टर्मिनलों के बीच माल की आवाजाही से संबंधित प्रक्रियागत विलंब और लागत में उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है। उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि लॉजिस्टिक्स ऑपरेटरों, विशेष रूप से बड़े कार्गो वॉल्यूम को संभालने वालों के लिए यह समय और लागत में बड़ी बचत करेगा।
अब तक बंदरगाहों या सीमा शुल्क स्टेशनों के बीच माल की आवाजाही के लिए एक विशेष परमिट की आवश्यकता थी जिसके लिए शुल्क लगता था। अब यह शुल्क समाप्त कर दिया गया है, जिससे कंपनियां अधिक स्वतंत्रता के साथ माल भेज सकेंगी। यह परिवर्तन छोटा लेकिन बड़े प्रभाव डालने वाला है।
एयर कार्गो क्षेत्र से जुड़ी पुरानी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सीबीआईसी ने अब यूनिट लोड डिवाइसेस (ULDs) के कस्टम क्षेत्र के बाहर अस्थायी आयात के लिए एकीकृत प्रक्रिया लागू की है। यह प्रक्रिया मरीन कंटेनरों के मौजूदा प्रोटोकॉल के समान है। यह एयरलाइन या कंसोल एजेंटों को कंटेनरों के री-एक्सपोर्ट की जिम्मेदारी निभाने की अनुमति देती है। पहले यह जिम्मेदारी केवल आयातकों पर होती थी। इस बदलाव को सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को वैश्विक लॉजिस्टिक्स मानकों के अनुरूप बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
एयर कार्गो आमतौर पर यूनिट लोड डिवाइसेस (ULDs) नामक कंटेनर में पैक किया जाता है। पहले इन कंटेनरों को हवाई अड्डे के कस्टम क्षेत्र से बाहर ले जाने के लिए जटिल प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ता था। नई प्रणाली के तहत एयरलाइन या लॉजिस्टिक्स एजेंटों को इन कंटेनरों की जिम्मेदारी लेने की अनुमति दी गई है, जिससे प्रक्रिया अधिक तेज और सरल हो गई है।
इसके असावा, 2022 से चालू ऑल-इंडिया नेशनल ट्रांसशिपमेंट बांड प्रणाली को अब व्यापक स्तर पर अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस सुविधा से एयरलाइंस के लिए विभिन्न सीमा शुल्क लोकेशन पर अलग-अलग बांड जमा करने की आवश्यकता समाप्त हो गई है। पहले एयरलाइंस को विभिन्न स्थानों पर माल के आवागमन के लिए अलग-अलग बांड भरने पड़ते थे। अब एक ही ऑल इंडिया ट्रांसशिपमेंट बांड का देशभर में उपयोग किया जा सकता है, जिससे कागजी कार्रवाई कम हो गई है और पूरी प्रक्रिया अधिक कुशल बन गई है।
सीबीआईसी ने ट्रांसशिपमेंट आवेदन प्रक्रिया को भी डिजिटाइज कर दिया है। अब निर्यातक और लॉजिस्टिक्स एजेंट ICEGATE (भारतीय सीमा शुल्क ईडीआई पोर्टल) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इससे सेवा केंद्रों में भौतिक उपस्थिति की आवश्यकता समाप्त हो गई है। यह पेपरलेस सीमा शुल्क व्यवस्था की दिशा में एक और बड़ा कदम है।
गौरतलब है कि भारत का फल और सब्जी निर्यात लगातार बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 के पहले 11 महीनों में ताजे उत्पादों का निर्यात 5% से अधिक बढ़कर 3.39 अरब डॉलर हो गया। भारत ने पिछले वर्ष 11.2 करोड़ टन फल और 20.4 करोड़ टन सब्जियों का उत्पादन किया। इस लिहाज से भारत में वैश्विक खाद्य निर्यात में महाशक्ति बनने की क्षमता है।
भारत केला, आम, पपीता, प्याज और भिंडी का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत के प्रमुख निर्यात गंतव्यों में बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड्स, ब्रिटेन और सऊदी अरब शामिल हैं। हालांकि भारत का वैश्विक व्यापार में हिस्सा अभी केवल 1% है, लेकिन कोल्ड स्टोरेज, पैकेजिंग और गुणवत्ता नियंत्रण में सुधार के चलते भारतीय उत्पादों की मांग बढ़ रही है। सार्वजनिक और निजी निवेश से इन्फ्रास्ट्रक्चर भी लगातार मजबूत हो रहा है।