हरियाणा में नकली बीज व कीटनाशकों की बिक्री के खिलाफ नए बिल पास, 3 साल की सजा व 5 लाख तक जुर्माने का प्रावधान
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि बीज अधिनियम और कीटनाशक अधिनियम में संशोधन का उद्देश्य राज्य में नकली व मिलावटी बीजों और कीटनाशकों की बिक्री पर अंकुश लगाना और दोषियों को कड़ी सजा दिलाना है ताकि किसानों को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद मिल सकें।

हरियाणा में नकली या मिलावटी बीज और कीटनाशक बेचने वालों के खिलाफ प्रदेश सरकार सख्त कदम उठाने जा रही है। गुरुवार को विधानसभा में हरियाणा सरकार ने पुराने बीज अधिनियम और कीटनाशक अधिनियम में संशोधन कर नया बिल पास कराए। इसके बाद राज्यपाल की स्वीकृति और अधिसूचना के बाद ये कानून का रूप लेंगे।
संशोधित कानून के तहत नकली बीज और कीटनाशक बनाने वाली कंपनी और विक्रेता दोनों के खिलाफ कड़े प्रावधान किये हैं। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि बीज अधिनियम और कीटनाशक अधिनियम में संशोधन का उद्देश्य राज्य में नकली व मिलावटी बीजों और कीटनाशकों की बिक्री पर अंकुश लगाना और दोषियों को कड़ी सजा दिलाना है ताकि किसानों को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद मिल सकें।
बीज अधिनियम वर्ष 1966 में लागू किया गया, जिसमें 1972 में संशोधन हुआ था। इसी प्रकार, कीटनाशक से संबंधित अधिनियम भारत सरकार द्वारा वर्ष 1968 में बनाया गया था।
संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ी?
मौजूदा कानूनों के तहत सजा के प्रावधान पर्याप्त कठोर नहीं होने के कारण नकली व मिलावटी बीज और कीटनाशकों की बिक्री पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। इससे किसान ठगे जा रहे हैं। खेती की लागत बढ़ने के बावजूद फसलों की पैदावार प्रभावित होती है और किसानों के साथ-साथ पर्यावरण का भी नुकसान पहुंचता है।
इसलिए हरियाणा सरकार ने घटिया बीज और कीटनाशकों की बिक्री रोकने के लिए पुराने कानूनों में संशोधन करने का फैसला किया। बीज अधिनियम, 1966 हरियाणा राज्यार्थ की धारा 7 के उल्लंघन के लिए धारा 19 के बाद धारा 19-क रखी गई है। कड़े दण्ड के लिए राज्य सरकार ने नकली या घटिया बीज बेचने को संज्ञेय तथा गैर-जमानती अपराध बनाया है। कीटनाशी अधिनियम, 1968 हरियाणा राज्यार्थ की धारा 29 की उपधारा (1) के उपखण्ड (i) तथा (ii) प्रतिस्थापित किया गया है।
सजा और जुर्माना
पुराने कानून के तहत पहली बार नकली या मिलावटी बीज बेचने पर केवल 500 रुपये तक जुर्माने का प्रावधान था। दूसरी बार या बाद के अपराध में अधिकतम छह माह कारावास या 1000 रुपये तक जुर्माना अथवा दोनों की सजा हो सकती थी।
संशोधित कानून के तहत पहली बार अपराध करने पर दोषी को अधिकतम दो वर्ष कारावास और तीन लाख रुपये तक जुर्माना होगा। दूसरी बार या बाद के अपराध में दोषी को अधिकतम तीन वर्ष कारावास तथा अधिकतम पांच लाख रुपये जुर्माना का प्रावधान किया गया है।