खाद्य तेल उद्योग ने नेपाल से ड्यूटी-फ्री तेलों के बढ़ते आयात से सरकार को आगाह किया
भारत में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ने के बाद नेपाल के रास्ते सोया ऑयल का आयात काफी बढ़ गया है। नेपाल से जितने खाद्य तेलों का आयात हो रहा है, उतना तो नेपाल में तिलहन उत्पादन भी नहीं है। जाहिर है कि अन्य देशों से खाद्य तेल आयात कर नेपाल के रास्ते जीरो ड्यूटी पर भारत भेजा जा रहा है।

भारत के खाद्य तेल उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रमुख संस्था इंडियन वेजीटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IVPA) ने साउथ एशियन फ्री ट्रेड एरिया (SAFTA) समझौते के तहत नेपाल से ड्यूटी-फ्री खाद्य तेलों के आयात में भारी बढ़ोतरी पर चिंता जताई है। आईवीपीए ने केंद्र सरकार से इस मुद्दे की तरफ ध्यान देने और तेलों के ड्यूटी-फ्री आयात पर अंकुश लगाने की मांग की है।
आईवीपीए के अनुसार, 2025 की शुरुआत में नेपाल से खाद्य तेलों का आयात बहुत तेजी से बढ़ा है और जनवरी से मार्च के बीच 1.80 लाख टन से भी अधिक हो गया है, जबकि 2024 में पूरे साल के दौरान नेपाल से कुल 1.25 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ था।
वर्ष 2024 में नेपाल से अधिकांश खाद्य तेलों का आयात अक्टूबर-दिसम्बर 24 के दौरान हुआ था। भारत में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ने के बाद नेपाल के रास्ते सोया ऑयल का आयात काफी बढ़ गया है। नेपाल से जितने खाद्य तेलों का आयात हो रहा है, उतना तो नेपाल में तिलहन उत्पादन भी नहीं है। जाहिर है कि अन्य देशों से खाद्य तेल आयात कर नेपाल के रास्ते जीरो ड्यूटी पर भारत भेजा जा रहा है। इससे भारत को नुकसान पहुंच रहा है
एसोसिएशन ने कहा कि नेपाल से ड्यूटी-फ्री खाद्य तेलों का भारी आयात घरेलू बाजार को बिगाड़कर भारतीय प्रोसेसर्स एवं रिफाइनर्स को नुकसान पहुंच रहा है। इससे किसानों को तिलहन का सही दाम नहीं मिल पा रहा है और देश में खाद्य तेल रिफाइनरी की क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है।
जीरो-ड्यूटी पर खाद्य तेलों के आयात के चलते बाजार में तिलहन की कीमतें गिर गई हैं और किसानों को एमएसपी से कम भाव पर उपज बेचनी पड़ रही है। तिलहन पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी के बावजूद यह हो रहा है। नेपाल से सस्ते खाद्य तेलों के आयात का असर भारत सरकार के राजस्व पर भी पड़ेगा।
आईवीपीए ने संबंधित मंत्रालयों के समक्ष एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत किया है, ताकि SAFTA के प्रावधानों को कड़ाई से लागू किया जा सके और भारत के किसानों, प्रोसेसर्स और हितों पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। एसोसिएशन ने संतुलित व्यापार और क्षेत्रीय सहयोग के प्रति अपने समर्थन को दोहराया है! साथ ही यह भी जोर दिया है कि खाद्य तेल क्षेत्र में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा, मजबूत अनुपालन तंत्र और 'मेक इन इंडिया' तथा 'आत्मनिर्भर भारत' जैसे राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ तालमेल अत्यंत आवश्यक है।