गेहूं खरीद की जोरदार शुरुआत, सरकारी एजेंसियों और प्राइवेट ट्रेडर्स के बीच छिड़ी होड़

प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य मध्यप्रदेश और राजस्थान में गेहूं का भाव अधिक होने के कारण हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में गेहूं खरीदने के लिए सरकारी एजेंसियों और प्राइवेट ट्रेडर्स के बीच प्रतिस्पर्धा छिड़ गई है, जिसका असर इन राज्यों में सरकारी खरीद पर पड़ सकता है।  

गेहूं खरीद की जोरदार शुरुआत, सरकारी एजेंसियों और प्राइवेट ट्रेडर्स के बीच छिड़ी होड़

रबी मार्केटिंग सीजन 2025-26 के लिए देश में गेहूं की सरकारी खरीद की जोर पकड़ रही है। केंद्र सरकार ने इस सीजन के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,425 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है, जो पिछले सीजन के मुकाबले 150 रुपये अधिक है। इसके ऊपर मध्य प्रदेश सरकार 175 रुपये और राजस्थान सरकार 150 रुपये प्रति क्विंटल बतौर बोनस दे रही है। ऐसे में प्राइवेट ट्रेडर्स को गेहूं खरीदने के लिए एमएसपी से ऊपर भाव देना पड़ रहा है। 

प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य मध्यप्रदेश और राजस्थान में गेहूं का भाव अधिक होने के कारण हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में गेहूं खरीदने के लिए सरकारी एजेंसियों और प्राइवेट ट्रेडर्स के बीच प्रतिस्पर्धा छिड़ गई है, जिसका असर इन राज्यों में सरकारी खरीद पर पड़ सकता है।  

केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अब तक देश में कुल 33.47 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। हालांकि, कई राज्यों के आंकड़े 10 अप्रैल के बाद अपडेट नहीं हुए हैं। इसलिए वास्तविक खरीद कम से कम 50 लाख टन के आसपास होने का अनुमान है।

13 अप्रैल तक मध्यप्रदेश में सर्वाधिक 29.55 लाख टन गेहूं की खरीद मध्यप्रदेश से हुई है जबकि राजस्थान में दो लाख टन से अधिक गेहूं सरकारी एजेंसियों ने खरीदा है। दोनों राज्यों में गेहूं की कटाई जल्द शुरू हो जाती है। उत्तर प्रदेश में शनिवार तक दो लाख टन से अधिक गेहूं की खरीद हो चुकी थी। पंजाब में गेहूं खरीद अभी शुरू ही हुई है। आमतौर पर पंजाब में गेहूं की खरीद बैसाखी के बाद जोर पकड़ती है। पंजाब में 13 अप्रैल तक करीब 24 हजार टन गेहूं की खरीद हुई है। पंजाब मंडी बोर्ड के एक अधिकारी के मुताबिक, प्राइवेट ट्रेडर्स द्वारा किसानों को एमएसपी से बेहतर भाव दिए जाने के कारण वे सरकारी खरीद की बजाय प्राइवेट ट्रेडर्स का रुख कर रहे हैं।

हरियाणा में विभिन्न एजेंसियों ने 9 अप्रैल तक 3.53 लाख टन गेहूं खरीदा है जो पिछले साल इसी तारीख तक एक लाख टन से कम था। पिछले दिनों हुई बारिश के कारण गेहूं खरीद प्रभावित हुई थी। लेकिन इस सप्ताह खरीद में तेजी आएगी। पिछले दो-तीन दिनों में हरियाणा-पंजाब की अनाज मंडियों में लाखों टन अनाज पहुंच चुका है। कई मंडियों में अनाज की आवक के मुकाबले खरीद व उठान न हो पाने की समस्या आ रही है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने चेतावनी दी है कि अगर किसी अनाज मंडी में किसान का सरसों या गेहूं भीगता है तो हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड (मार्केटिंग बोर्ड) के अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार गेहूं की खरीद व उठान में तेजी लाने का प्रयास कर रही है। 

गेहूं खरीद में किसानों को परेशानी का सामना न करना पड़े, इसके लिए राज्य सरकारें और मंडी बोर्ड अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। प्राइवेट ट्रेडर्स से प्रतिस्पर्धा को देखते हुए भी राज्य सरकार खरीद नियमों में ढील दे रही हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने पंजीकृत किसानों को सत्यापन के बिना 100 क्विंटल तक गेहूं बेचने की छूट दे दी है। सत्यापन के बाद किसान उत्पादन क्षमता का तीन गुना तक गेहूं बेच सकते हैं।

खुले बाजार में गेहूं के दाम अधिक होने के कारण यूपी में भी किसान सरकारी खरीद केंद्रों का कम रुख कर रहे हैं। राजस्थान और मध्यप्रदेश में गेहूं के अधिक भाव के कारण प्राइवेट ट्रेडर्स यूपी, हरियाणा और पंजाब से गेहूं खरीदने की कोशिशों में जुटे हैं।  

कृषि मंत्रालय ने रबी सीजन 2024-25 में रिकॉर्ड 11.54 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया है। केंद्र सरकार ने इस साल 310 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है। पिछले साल भी सरकार ने रिकॉर्ड 11.32 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का दावा किया गया था लेकिन गेहूं की सरकारी खरीद 266 लाख टन ही पहुंच पाई थी। पूरे साल गेहूं के दाम अधिक रहे, जिससे उत्पादन के आंकड़ों पर भी सवाल उठे।

इससे पहले रबी मार्केटिंग सीजन 2021-22 के दौरान 424 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी जबकि उस साल गेहूं उत्पादन 11 करोड़ टन से कुछ कम रहा था। अब देखना है कि क्या इस साल गेहूं की सरकारी खरीद गेहूं उत्पादन के अनुमानों पर खरीद उतरती है या नहीं!

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