मेघालय की लाकाडोंग हल्दी को मिला जीआई टैग, दुनिया की बेहतरीन हल्दियों में से है एक
दुनिया में हल्दी की सबसे अच्छी किस्मों में से एक मानी जाने वाली मेघालय की लाकाडोंग हल्दी को जीआई टैग मिला है। इस किस्म में हल्दी के प्रमुख तत्व कुरकुमिन की मात्रा काफी अधिक होती है। राज्य के जैन्तिया हिल्स के लाकाडोंग इलाके में इसकी प्रमुखता से खेती की जाती है।
दुनिया में हल्दी की सबसे अच्छी किस्मों में से एक मानी जाने वाली मेघालय की लाकाडोंग हल्दी को जीआई टैग मिला है। इस किस्म में हल्दी के प्रमुख तत्व कुरकुमिन की मात्रा काफी अधिक होती है। राज्य के जैन्तिया हिल्स के लाकाडोंग इलाके में इसकी प्रमुखता से खेती की जाती है।
लाकाडोंग हल्दी को दुनिया की सबसे अच्छी किस्म की हल्दी में से एक माना जाता है। इसमें कुरकुमिन की मात्रा लगभग 6.8-7.5 फीसदी तक होती है। इसका रंग गहरा होता है और इसे उर्वरकों के उपयोग के बिना जैविक रूप से उगाया जाता है।
मेघालय की कृषि मंत्री अम्परीन लिंगदोह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि लाकाडोंग हल्दी की खेती जैन्तिया हिल्स के लाकाडोंग क्षेत्र में होती है। इसमें कुरकुमिन की मात्रा अधिक होती है। वैज्ञानिक रूप से यह बात साबित हो चुकी है कि कुरकुमिन स्वास्थ्य के लिए कितना लाभदायक है। इसमें हृदय की सेहत सुधारने और अल्जाइमर एवं कैंसर को रोकने की क्षमता है। साथ ही यह शक्तिशाली सूजनरोधी और एंटीऑक्सीडेंट है। अवसाद और गठिया को ठीक करने में भी यह मदद कर सकता है।
लिंग्दोह ने कहा कि इस हल्दी को जीआई टैग मिलने से किसानों को इसकी मार्केटिंग में मदद मिलेगी और उन्हें बाजार में इसके बेहतर दाम मिलेंगे। जीआई टैग के लिए पहल करने वाले हितधारकों को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा, "जीआई टैग किसानों को मार्केटिंग में मदद करेगा और ग्राहकों को प्रामाणिक उत्पाद मिलेगा।" लाकाडोंग क्षेत्र के 43 गांवों के लगभग 14,000 किसान वर्तमान में 1,753 हेक्टेयर भूमि पर हल्दी की खेती करते हैं।
लाकाडोंग के किसान ट्रिनिटी साइओ ने इसके लिए मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा के प्रति खुशी और आभार जताते हुए कहा, "मुझे बहुत खुशी है कि लाकाडोंग हल्दी को जीआई टैग मिला है। यह जैंतिया हिल्स के लोगों के लिए एक आशीर्वाद है।" उन्होंने कहा कि इससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में लाकाडोंग किसानों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा मिलेगा और आजीविका के अधिक अवसर पैदा होंगे। राज्य में अधिक से अधिक किसानों को हल्दी की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 2021 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
लाकाडोंग हल्दी के अलावा, मेघालय के गारो डाकमांडा (पारंपरिक पोशाक), लारनाई मिट्टी के बर्तन और गारो चुबिची (मादक पेय) को प्रतिष्ठित जीआई टैग दिया गया है। डाकमांडा हाथ से बुना हुआ टखने तक का कमर से नीचे पहनने वाला पोशाक है जो मेघालय की गारो महिलाओं की पारंपरिक पोशाक का हिस्सा है। चुबिची चावल से बनने वाला मादक पेय है, जो गारो समुदायों के दावतों और समारोहों के दौरान परोसा जाता है। दूसरी ओर, लारनाई मिट्टी के बर्तन लारनाई गांव की काली मिट्टी से बने होते हैं। यह कला पीढ़ियों से चली आ रही है।