2024-25 में वैश्विक अनाज उत्पादन में वृद्धि, लेकिन व्यापार पांच साल में सबसे कम रहने का अनुमानः एफएओ

2024 में वैश्विक अनाज उत्पादन 284.9 करोड़ टन अनुमानित है, जो मार्च के अनुमान की तुलना में 71 लाख टन अधिक है। हालांकि यह आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में 0.3 प्रतिशत कम है। यह वृद्धि मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया और कज़ाखस्तान में गेहूं की बेहतर फसल और ऑस्ट्रेलिया में जौ के उत्पादन में मामूली वृद्धि के कारण हुई है।

2024-25 में वैश्विक अनाज उत्पादन में वृद्धि, लेकिन व्यापार पांच साल में सबसे कम रहने का अनुमानः एफएओ

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने 2024-25 सीजन के लिए वैश्विक अनाज व्यापार का पूर्वानुमान घटा दिया है। इसके 47.89 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो 2023-24 की तुलना में 6.7 प्रतिशत कम और 2019-20 के बाद सबसे निचला स्तर है। एफएओ की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, यह गिरावट मार्च की तुलना में 53 लाख टन कम है। मुख्य रूप से मोटे अनाज और गेहूं की मांग कमजोर रहने और चावल के व्यापार में मामूली वृद्धि की संभावना है।

2024 में वैश्विक अनाज उत्पादन 284.9 करोड़ टन अनुमानित है, जो मार्च के अनुमान की तुलना में 71 लाख टन अधिक है। हालांकि यह आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में 0.3 प्रतिशत कम है। यह वृद्धि मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया और कज़ाखस्तान में गेहूं की बेहतर फसल और ऑस्ट्रेलिया में जौ के उत्पादन में मामूली वृद्धि के कारण हुई है। भारत में अधिक बुवाई और कंबोडिया, चीन, तंजानिया जैसे देशों में बेहतर स्थिति के कारण 2024-25 के लिए वैश्विक चावल उत्पादन रिकॉर्ड 54.33 करोड़ टन अनुमानित है। इससे बांग्लादेश, इंडोनेशिया और म्यांमार में मौसम के कारण उत्पादन में गिरावट की भरपाई हो सकेगी।

2024-25 में वैश्विक अनाज का प्रयोग 286.8 करोड़ टन रहने की संभावना है, जो पिछले महीने के अनुमान से 13 लाख टन और 2023-24 से 0.9 प्रतिशत अधिक है। यह वृद्धि मुख्य रूप से मक्का, जौ और ज्वार जैसे मोटे अनाज के उत्पादन में 27 लाख टन वृद्धि के कारण है।

भारत में इथेनॉल के लिए चावल का औद्योगिक प्रयोग 17% बढ़ने की संभावना
हालांकि, गेहूं प्रयोग का अनुमान 14 मिलियन टन घटाकर 79.54 करोड़ टन कर दिया गया है। ऐसा भारत में अपेक्षाकृत कम खपत के कारण हुआ है। इसके विपरीत चावल का प्रयोग 53.9 करोड़ टन अनुमानित है, जो पिछले अनुमान से 2.1 प्रतिशत अधिक है। प्रति व्यक्ति खाद्य खपत अब 53.3 किलोग्राम/वर्ष रहने का अनुमान है। भारत में इथेनॉल उत्पादन के लिए चावल के औद्योगिक उपयोग में 17 प्रतिशत की वृद्धि संभावित है।

2025 के अंत तक वैश्विक अनाज भंडार 1.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ 87.33 करोड़ टन रहने का अनुमान है। स्टॉक-टू-यूज़ अनुपात 30.1 प्रतिशत रहने की संभावना है, जो 2023-24 के 30.9 प्रतिशत से कम है। यह कमी मोटे अनाज के भंडार में 6 प्रतिशत की गिरावट के कारण है, विशेष रूप से चीन में मक्का भंडार में कमी से। दूसरी ओर गेहूं का भंडार 71 लाख टन बढ़कर 32 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। इसमें सबसे बड़ा योगदान भारत, कज़ाखस्तान और रूस का होगा। चावल का भंडार भी 3.2 प्रतिशत बढ़कर 20.59 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है।

मोटे अनाज और गेहूं के व्यापार में गिरावट का अनुमान
एफएओ ने 2024-25 के लिए मोटे अनाज के वैश्विक व्यापार के अनुमान को 37 लाख टन घटाकर 22.42 करोड़ टन कर दिया है, जो पिछले साल की तुलना में 8.2 प्रतिशत कम है। यह गिरावट मुख्य रूप से चीन द्वारा मक्का और ज्वार की कम खरीद तथा ब्राजील के मक्का और अमेरिका के ज्वार के निर्यात में कमी के कारण है।

गेहूं का व्यापार अब 19.5 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले अनुमान से 17 लाख टन और पिछले वर्ष की तुलना में 7.2 प्रतिशत कम है। कज़ाखस्तान और रूस से कम निर्यात और चीन की घटती आयात मांग के कारण इसमें कमी आएगी। इसके विपरीत वैश्विक चावल व्यापार 2025 में एक प्रतिशत बढ़कर 6 करोड़ टन तक पहुंच सकता है। इंडोनेशिया, फिलीपींस और वियतनाम से आयात में कमी आने की संभावना है, लेकिन बांग्लादेश, मेडागास्कर और नेपाल जैसे देशों की बढ़ती मांग इसे संतुलित कर सकती है।

2025 में भारत में रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन की संभावना
एफएओ का 2025 के लिए गेहूं उत्पादन पूर्वानुमान 79.5 करोड़ टन पर स्थिर बना हुआ है। यह 2024 के स्तर के समान है। यूरोपीय संघ में उत्पादन 12 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है, जबकि पूर्वी यूरोप में वर्षा की कमी से उत्पादन घटने का जोखिम है। रूस और यूक्रेन के के बीच युद्ध का उत्पादन पर असर पड़ सकता है। अमेरिका में भी सूखे के कारण गेहूं उत्पादन में गिरावट की आशंका है।

भारत में उत्पादन 11.54 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना है। ईरान और तुर्किए में शुष्क परिस्थितियां उत्पादन को प्रभावित कर सकती हैं, हालांकि सिंचाई की उपलब्धता कुछ हद तक नुकसान को कम कर सकती है।

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