बायो गैस प्लांट से प्राप्त जैविक खाद उर्वरक की श्रेणी में शामिल, मानकों की अधिसूचना भी जारी
कृषि मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, सरकार ने फर्टिलाइजर (कंट्रोल) ऑर्डर, 1985 में संशोधन कर फर्मेंटेड ऑर्गेनिक मैन्योर (FOM) तथा लिक्विड फर्मेंटेड ऑर्गेनिक मैन्योर (LFOM) को ऑर्गेनिक कार्बन संवर्द्धक की श्रेणी में शामिल करते हुए इनके मानक तय कर दिए हैं।

केंद्र सरकार ने कंप्रेस्ड बायो गैस (CBG) संयंत्रों से प्राप्त होने वाली खाद को उर्वरकों की एक नई श्रेणी में शामिल किया है। इसके लिए फर्टिलाइजर (कंट्रोल) ऑर्डर, 1985 में संशोधन किया गया था। अब सरकार ने इस खाद के ठोस रूप (Fermented Organic Manure) और तरल स्वरूप (Liquid Fermented Organic Manure) के मानक तय कर उसकी भी अधिसूचना जारी कर दी है। सीबीजी प्लांट की खाद को उर्वरक के तौर पर कानूनी मान्यता मिलने से इसकी बिक्री आसान हो जाएगी और खेती के लिए जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।
कंप्रेस्ड बायो गैस (CBG) संयंत्रों से सह-उत्पाद के तौर पर प्राप्त होने वाली बायो-स्लरी पोषक तत्वों से युक्त होती है और ऑर्गेनिक कार्बन एन्हांसर का काम करती है। यह मिट्टी की सेहत सुधारने व उर्वरता बढ़ाने में मददगार है। जबकि सीबीजी प्लांट के लिए इस बाई-प्रोडक्ट को संभालना एक बड़ी चुनौती है। लेकिन अब सरकार ने फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर में संशोधन कर सीबीजी प्लांट से प्राप्त ऑर्गेनिक कार्बन एन्हांसर को उर्वरकों की एक नई श्रेणी में शामिल कर दिया है। इससे सीबीजी संयंत्रों की आय बढ़ेगी, साथ ही टिकाऊ खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।
27 मार्च को कृषि मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, सरकार ने फर्टिलाइजर (कंट्रोल) ऑर्डर, 1985 में संशोधन कर फर्मेंटेड ऑर्गेनिक मैन्योर (FOM) तथा लिक्विड फर्मेंटेड ऑर्गेनिक मैन्योर (LFOM) को ऑर्गेनिक कार्बन संवर्द्धक की श्रेणी में शामिल करते हुए इनके मानक तय कर दिए हैं। संशोधित आदेश के मुताबिक, सीबीजी प्लांट से प्राप्त जैविक खाद का सैंपल इंस्पेक्टर द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार लिया जा सकेगा। प्रत्येक उर्वरक निर्माता को कंटेनरों पर स्पष्ट रूप से लिखना होगा कि लिक्विड जैविक खाद का उपयोग बुवाई से 15-20 दिन पहले किया जाएगा। उर्वरक निर्माता लेबल पर उल्लेख कर जैविक खाद को पोषक तत्वों से समृद्ध करेगा।
इससे पहले 17 फरवरी को जारी अधिसूचना के जरिए सीबीजी प्लांट से प्राप्त ऑर्गेनिक कार्बन संवर्द्धक को उर्वरकों की परिभाषा में शामिल किया था। सरकार ने फर्टिलाइजर (कंट्रोल) ऑर्डर, 1985 में संशोधन कर एक नई अनुसूची VIII - सीबीजी प्लांट से प्राप्त ऑर्गेनिक कार्बन संवर्द्धक को जोड़ दिया था। ऑर्गेनिक कार्बन संवर्द्धक से अभिप्राय ऐसी जैविक सामग्री से है जो फर्मेंटेशन के माध्यम से मुख्य या सह-उत्पाद के रूप में प्राप्त होती है और मिट्टी में कार्बन के स्तर को बढ़ाने या बनाए रखने में मददगार है।
सीबीजी प्लांट से निकलने वाली खाद को उर्वरक के तौर पर कानूनी मान्यता मिलने और मानक तय होने से इसकी बिक्री की अड़चनें दूर हो सकेंगी। इससे सीबीजी प्लांट की आय के अवसर बढ़ेंगे, साथ ही किसानों को मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए जैविक खाद की उपलब्धता बढ़ेगी। किसानों के सामने मिट्टी की घटती उर्वरता, पोषक तत्वों की कमी और गिरता कार्बन स्तर एक बड़ी समस्या है।
उद्योग संगठन भारतीय ग्रीन एनर्जी महासंघ (आईएफजीई) ने सरकार ने इस कदम को ऐतिहासिक करार देते हुए इसका स्वागत किया है। सीबीजी संयंत्रों से प्राप्त जैविक खाद मिट्टी की सेहत सुधारने, ऑर्गेनिक कार्बन को बढ़ाने और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है।
आईएफजीई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व आईएफजीई सीबीजी प्रोड्यूसर फोरम के अध्यक्ष वाईबी रामकृष्ण ने कहा कि फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर में यह संशोधन आईएफजीई के समर्पित प्रयासों का प्रमाण है। हमारे नीति-निर्माताओं के साथ निरंतर संवाद और शोधपरक सिफारिशें अनुसूची VIII के तहत सीबीजी से प्राप्त सह-उत्पादों को औपचारिक मान्यता दिलाने में मददगार रही हैं। इससे न केवल टिकाऊ कृषि को बढ़ावा मिलेगा बल्कि सीबीजी तकनीकों को बड़े पैमाने पर अपनाने का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
आईएफजीई के उपाध्यक्ष और वर्बियो इंडिया के एमडी आशीष कुमार ने कहा कि सीबीजी से प्राप्त एफओएम और एलएफओएम को ऑर्गेनिक कार्बन संवर्द्धक के रूप में औपचारिक मान्यता मिलना एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल भारत के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को बढ़ावा मिलेग, बल्कि मिट्टी की सेहत को सुधारने में भी मदद मिलेगी। यह कदम निवेश और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देगा, साथ ही भारत की ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगा।