ट्रंप 2.0 में एग्री ट्रेडः भारत को अमेरिका के साथ सख्त मोलभाव के लिए तैयार रहने की जरूरत

अमेरिका को भारत के प्रमुख निर्यातों में झींगा, मरीन प्रोडक्ट्स, चावल, कॉफी, चाय, मसाले, गोंद, रेजिन और अन्य सब्जियां व जड़ी-बूटियां शामिल हैं, जबकि भारत में अमेरिका से होने वाले प्रमुख कृषि आयातों में बादाम, इथाइल अल्कोहल, अखरोट, काजू, सेब और पिस्ता आदि शामिल हैं।

ट्रंप 2.0 में एग्री ट्रेडः भारत को अमेरिका के साथ सख्त मोलभाव के लिए तैयार रहने की जरूरत

अमेरिका कृषि उत्पादों का सबसे बड़ा निर्यातक है, जो 175 बिलियन डॉलर से अधिक का निर्यात करता है और विश्व कृषि निर्यात में 8.5 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है। हालांकि, सीधे तौर पर कृषि से संबंधित गतिविधियों में अमेरिका की केवल 1.2 फीसदी आबादी ही कार्यरत है और अमेरिका की जीडीपी में कृषि का योगदान केवल 5.6 फीसदी है।

भारत का कृषि व्यापार में अमेरिका के साथ सकारात्मक व्यापार संतुलन है। भारत ने 2023 में अमेरिका को 5.1 बिलियन डॉलर के कृषि उत्पादों का निर्यात किया था जबकि इसी अवधि में अमेरिका से 1.4 बिलियन डॉलर का आयात किया था। अमेरिका को भारत के प्रमुख निर्यातों में झींगा, मरीन प्रोडक्ट्स, चावल, कॉफी, चाय, मसाले, गोंद, रेजिन और अन्य सब्जियां व जड़ी-बूटियां शामिल हैं, जबकि भारत में अमेरिका से होने वाले प्रमुख कृषि आयातों में बादाम, इथाइल अल्कोहल, अखरोट, काजू, सेब और पिस्ता आदि शामिल हैं।

डोनाल्ड ट्रंप 'अमेरिका फर्स्ट' के नारे को भारी समर्थन के साथ सत्ता में आए हैं। इस नारे ने करोड़ों मतदाताओं की भावनाओं को प्रभावित किया जिन्होंने अमेरिका को फिर से महान बनाने की उनकी विचारधारा का समर्थन किया। अर्थव्यवस्था के कायाकल्प और लोगों की आर्थिक खुशहाली को बढ़ावा देने के वादे ने अमेरिकी मतदाताओं, खासकर भीतरी इलाकों में, मतदाताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। तेजी से आर्थिक लाभ प्राप्त करने की ट्रंप की व्यापार विचारधारा इस बुनियादी व्यापारिक नियम पर आधारित है कि अमेरिका को अधिक निर्यात और कम आयात करना चाहिए, व्यापार घाटे को घटना चाहिए और जल्द से जल्द व्यापार संतुलन कायम करना चाहिए। आधुनिक व्यापार के सिद्धांतकारों और शोधकर्ताओं द्वारा दुनिया भर में मुक्त व्यापार के प्रचार के बावजूद, अमेरिका में अधिकांश लोगों का मानना है कि मुक्त व्यापार वास्तव में आम अमेरिकी नागरिकों के हितों के लिए नुकसानदेह है। डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी लोगों की नब्ज को समझने में कोई गलती नहीं की और आधुनिक दौर के अर्थशास्त्रियों और उनके वैश्विक प्रभाव के कड़े प्रतिरोध के बावजूद उसी का लाभ उठाया।

आने वाले महीनों में, अमेरिका डब्ल्यूटीओ जैसी बहुपक्षीय प्रणालियों की अवहेलना करते हुए कार्य कर सकता है, जिसकी बुनियाद टैरिफ में कमी, गैर-टैरिफ बाधाओं को दूर करने और सबसे पसंदीदा राष्ट्र (एमएफएन) दर्जे के तहत यूनिफार्म टैरिफ लागू करने पर आधारित है। ट्रंप पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वे आयात के लिए टैरिफ को 10-20 फीसदी तक बढ़ाएंगे और चीन से आयात पर टैरिफ 60 फीसदी या उससे अधिक बढ़ा देंगे। इसके अलावा, उन देशों से आयात पर 100 फीसदी तक टैरिफ लगाया जा सकता है जो अमेरिकी डॉलर में व्यापार नहीं करते हैं। मुक्त व्यापार का बड़ा प्रचारक होने के बावजूद अमेरिका कृषि उत्पादों पर पर बढ़ा-चढ़ाकर आयात शुल्क लगाता है। डब्ल्यूटीओ के वर्ल्ड टैरिफ प्रोफाइल 2023 के अनुसार, अमेरिका में अनाज व खाद्य वस्तुओं पर 193%, तिलहन, वसा और तेल पर 164%, डेयरी उत्पाद पर 188%, पेय पदार्थ पर 150% और फल और सब्जियाें पर 132% आयात शुल्क है।

ट्रंप खुले आम खुद को 'टैरिफ प्रेमी' बताते हैं, जबकि पहले वह भारत पर 'टैरिफ किंग' होने का आरोप लगाते थे। ऐसा लगता है कि ट्रंप की योजना में, लेन-देन के आधार पर कड़ी सौदेबाजी और मोलभाव खूब रहेगा।

भारत अपनी 1.42 अरब की आबादी और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ दुनिया के सबसे बड़े कृषि निर्यातक अमेरिका के लिए बेहद आकर्षक बाजार है। भारत अमेरिकी ट्री-नट्स जैसे बादाम, अखरोट और पिस्ता के अलावा सेब, खाद्य तेल और दालों का आयात करने वाले प्रमुख देशों में से एक है।

हालांकि, चीन के साथ लंबे समय से चल रहे व्यापार संघर्ष के बीच अमेरिका भारत को एक प्रमुख वैकल्पिक आर्थिक और रणनीतिक साझेदार के रूप में देखता है। अमेरिकी निवेश और व्यापार के मामले में भारत को लाभ हो सकता है। हालांकि, टैरिफ कम करने और डेयरी व मीट उत्पादों के लिए बाजार पहुंच प्रदान करने के लिए अमेरिका कठोर दबाव की रणनीति अपना सकता है, जिसके लिए भारत के लिए झुकना मुश्किल होगा। इस प्रकार, ट्रंप युग में सरवाइवल स्ट्रैटेजी भारत की तैयारी और सटीक रिसर्च पर निर्भर करेगी। ताकि भारत के हितों की रक्षा की जा सके और उन्हें बहुपक्षीय व द्विपक्षीय मंचों पर प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जा सके।

(लेखक भारतीय विदेश व्यापार संस्थान, नई दिल्ली के कुलपति हैं)

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