स्काईमेट ने जारी किया 'सामान्य' मानसून का पूर्वानुमान

जून से सितंबर तक चार महीनों में औसतन बारिश दीर्घावधि औसत (एलपीए) 868.6 मिमी. का 103% होने की संभावना है।

स्काईमेट ने जारी किया 'सामान्य' मानसून का पूर्वानुमान

मौसम पूर्वानुमान कंपनी स्काईमेट वेदर ने 2025 के लिए मानसून पूर्वानुमान जारी किया है। स्काईमेट को उम्मीद है कि मानसून 2025 सामान्य रहेगा। जून से सितंबर तक चार महीनों में औसतन बारिश दीर्घावधि औसत (एलपीए) 868.6 मिमी. का 103% होने की संभावना है, जिसमे ±5% की त्रुटि संभव है। दीर्घावधि औसत के 96-104% तक बारिश को 'सामान्य' माना जाता है।

La Nina और El Nino का असर कम

स्काईमेट के मैनेजिंग डायरेक्टर जतिन सिंह के अनुसार, “इस साल ला-नीना ( La Nina) कमजोर रहा है और अब इसका असर खत्म हो रहा है। वहीं, अल-नीनो (El Nino) की आशंका नहीं है, जो आमतौर पर मानसून को प्रभावित करता है। ENSO-neutral (एक सामान्य स्थिति) इस बार सबसे ज्यादा प्रभावनी स्थिति होगी। इसके साथ-साथ हिंद महासागर द्विध्रुव Indian Ocean Dipole (IOD) भी सकारात्मक रहने की संभावना है, जो मानसून के लिए अच्छा संकेत है। पिछले रिकॉर्ड्स बताते है कि जब ENSO न्यूट्रल (neutral) होता है और साथ ही Indian Ocean Dipole (IOD) पॉजिटिव होता है, तो भारत में मानसून अच्छा रहता है। ऐसे में स्काईमेट का मानना है कि इस बार मानसून का दूसरा हिस्सा यानी जुलाई के बाद का समय पहले हिस्से की तुलना में बेहतर और ज्यादा बारिश वाला हो सकता है।

अन्य मौसमी कारक और क्षेत्रवार पूर्वानुमान

इस समय Indian Ocean Dipole (IOD) यानी हिंद महासागर में तापमान का फर्क "न्यूट्रल" स्थिति में है। लेकिन इसकी संभावना है कि मानसून शुरू होने से पहले यह "पॉजिटिव" हो सकता है, यानी ऐसा जो मानसून के लिए फायदेमंद होता है।

ENSO और IOD दोनों एक साथ अच्छे संकेत दे रहे हैं। जब ये दोनों साथ में सकारात्मक होते हैं, तो ये मानसून को सुरक्षित और संतुलित दिशा में ले जाते हैं। हालांकि, शुरुआत में मानसून थोड़ा धीमा रह सकता है, यानी जून में बारिश थोड़ी कम हो सकती है। लेकिन, जैसे-जैसे सीजन आगे बढ़ेगा जुलाई और अगस्त में मानसून रफ्तार पकड़ लेगा और अच्छी बारिश होने की उम्मीद है।

कहां होगी ज्यादा और कहां कम बारिश?

क्षेत्रों के हिसाब से स्काईमेट को मानसून 2025 में पश्चिम और दक्षिण भारत में अच्छी बारिश होने की उम्मीद है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे कोर मानसून क्षेत्रों में पर्याप्त बारिश होगी। पश्चिमी घाट, जैसे केरल, तटीय कर्नाटक और गोवा में पर्याप्त बारिश (Excess Rainfall) हो सकती है। वहीं, दूसरी ओर पूर्वोत्तर भारत और उत्तर भारत के पहाड़ी राज्य जैसे मेघालय, सिक्किम उत्तराखंड, और हिमाचल में सामान्य से कम बारिश देखने को मिल सकती है।

मानसून की संभावना

  • अधिकता की 10% संभावना (मौसमी वर्षा जो एलपीए के 110% से अधिक है)
  • सामान्य से अधिक बारिश की 30% संभावना (मौसमी वर्षा जो एलपीए के 105% से 110% के बीच है)
  • सामान्य बारिश की 40% संभावना (मौसमी वर्षा जो एलपीए के 96 से 104% के बीच है)
  • सामान्य से कम बारिश होने की 15% संभावना (मौसमी वर्षा जो एलपीए के 90 से 95% के बीच है)
  • सूखे की 5% संभावना (मौसमी वर्षा जो एलपीए के 90% से कम है)

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) आने वाले दिनों में मानसून सीजन के लिए पहला आधिकारिक पूर्वानुमान जारी करने वाला है। भारत की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए मानसून बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि 50% से अधिक कृषि भूमि वर्षा पर निर्भर है और लगभग आधी आबादी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है। इस साल मानसून के मुख्य महीनों-जुलाई और अगस्त-में पर्याप्त वर्षा होने की उम्मीद है, जिससे महत्वपूर्ण खरीफ फसल की बुवाई में मदद मिलेगी।

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