रेपो रेट में 0.25% कटौती, लोन हो सकते हैं सस्ते, आरबीआई ने विकास दर अनुमान घटाकर 6.5% किया

वैश्विक अनिश्चितताओं, खासकर 'ट्रंप टैरिफ' के खतरे के बीच भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बुधवार को रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट (0.25%) की कटौती की है। अब रेपो रेट 6.25% से घटकर 6% हो गया है।

रेपो रेट में 0.25% कटौती, लोन हो सकते हैं सस्ते, आरबीआई ने विकास दर अनुमान घटाकर 6.5% किया

वैश्विक अनिश्चितताओं, खासकर 'ट्रंप टैरिफ' के खतरे के बीच भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बुधवार को रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट (0.25%) की कटौती की है। अब रेपो रेट 6.25% से घटकर 6% हो गया है। तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद  इस निर्णय की घोषणा आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने की। इस कटौती से कर्ज लेने वालों, खासकर होम लोन ग्राहकों को राहत मिलने की उम्मीद है, क्योंकि ब्याज दरें एक बार फिर 8% से नीचे आ सकती हैं। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए देश की आर्थिक वृद्धि दर (GDP ग्रोथ) का अनुमान भी 0.20% घटाकर 6.5% कर दिया है। 

यह गवर्नर मल्होत्रा के कार्यकाल में लगातार दूसरी बार रेपो रेट में कटौती है। इस बार आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति का रुख भी 'न्यूट्रल' से बदलकर 'एकोमोडेटिव' (उदार) कर लिया है, जो आर्थिक विकास को समर्थन देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है। गवर्नर मल्होत्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "इस वित्त वर्ष के लिए विकास अनुमान में 20 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई है, जो वैश्विक व्यापार और नीति संबंधी अनिश्चितताओं को दर्शाता है।" वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अब GDP ग्रोथ अनुमान 6.5% है, जबकि पहले यह 6.7% था। तिमाही अनुमान इस प्रकार हैं: पहली तिमाही में 6.5%, दूसरी में 6.7%, तीसरी में 6.6% और चौथी में 6.3%।

आरबीआई के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रॉपर्टी कंसल्टेंट ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, "आरबीआई की ओर से 25 बेसिस प्वाइंट की यह दूसरी रेपो रेट कटौती अपेक्षित थी। हालांकि, होम लोन लेने वालों को तुरंत राहत मिलना मुश्किल है क्योंकि बैंक अब तक पिछली कटौतियों का लाभ ट्रांसफर नहीं कर पाए हैं। यदि बैंक यह लाभ ग्राहकों तक पहुंचाते हैं, तो किफायती (अफोर्डेबल) घर खरीदने वालों को इससे बड़ा फायदा हो सकता है।"

इस साल की शुरुआत से अब तक आरबीआई कुल 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर चुका है। फरवरी में 5 साल में पहली बार रेपो रेट में कटौती की गई थी। इसके बाद आरबीआई ने बॉन्ड खरीद, फॉरेक्स स्वैप और VRR ऑक्शन जैसे माध्यमों से लगभग ₹7 लाख करोड़ की लिक्विडिटी सिस्टम में डाली है। गवर्नर मल्होत्रा ने बताया कि “₹6.9 लाख करोड़ की तरलता से सिस्टम में जनवरी तक जो लिक्विडिटी की कमी थी, वह अब ₹1.5 लाख करोड़ के अधिशेष (सरप्लस) में बदल गई है।”

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई का अनुमान 4% कर दिया है, जो फरवरी के 4.2% अनुमान से कम है। तिमाही आधार पर यह अनुमान इस प्रकार है: पहली तिमाही में 3.6%, दूसरी में 3.9%, तीसरी में 3.8% और चौथी तिमही में 4.4%। खाद्य और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी इसके पीछे प्रमुख कारण मानी गई है।

नियामकीय मोर्चे पर एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए मल्होत्रा ने कहा, “सोने के गहनों के बदले दिए जाने वाले लोन के लिए शीघ्र ही समग्र दिशानिर्देश जारी करेंगे, ताकि विभिन्न संस्थाओं के लिए नियमों का एकरूपता सुनिश्चित की जा सके।”

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