उद्योग जगत ने बजट 2025-26 का स्वागत किया, कहा यह जिम्मेदारीपूर्ण और संतुलित बजट

डीसीएम श्रीराम लिमिटेड के अजय श्रीराम और बायर के साइमन वीबुश सहित उद्योग जगत के लीडर्स ने बजट में सतत कृषि, अनुसंधान और बुनियादी ढांचे पर फोकस का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को बदलने और दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की क्षमता रखता है।

उद्योग जगत ने बजट 2025-26 का स्वागत किया, कहा यह जिम्मेदारीपूर्ण और संतुलित बजट

उद्योग जगत ने केंद्रीय बजट 2025-26 का यह कह कर स्वागत किया है कि यह संतुलित और दूरदृष्टि वाला वित्तीय खाका है, जिसमें कृषि और ग्रामीण विकास पर विशेष जोर दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पीएम धन-धान्य कृषि योजना और उच्च उत्पादकता वाले बीजों के लिए राष्ट्रीय मिशन जैसे बजट प्रस्तावों से उत्पादन क्षमता बढ़ाने, सिंचाई में सुधार करने और उन्नत तकनीक तक पहुंच बेहतर करने के लक्ष्य हासिल होंगे। डीसीएम श्रीराम लिमिटेड के अजय श्रीराम और बायर के साइमन वीबुश सहित उद्योग जगत के लीडर्स ने बजट में सतत कृषि, अनुसंधान और बुनियादी ढांचे पर फोकस का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को बदलने और दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की क्षमता रखता है।

डीसीएम श्रीराम लिमिटेड के चेयरमैन और सीनियर एमडी अजय श्रीराम ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने एक जिम्मेदार और संतुलित बजट प्रस्तुत किया है। इसमें कर रियायतों की मांग को पूरा करते हुए दीर्घकालिक लाभ के लिए व्यय को भी बनाए रखा गया है। उन्होंने अनावश्यक खर्चों से बचते हुए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को बेहतर किया है। यह बजट निर्यात, ग्रामीण समृद्धि, कृषि और खपत को प्रोत्साहित करने जैसे सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को ध्यान में रखता है। यह अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक वृद्धि के लिए सकारात्मक संकेत है।  

अजय श्रीराम के अनुसार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि को विकास का पहला इंजन कहा है। इस क्षेत्र में जिन महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान दिया गया है, उनमें फसल विविधीकरण, पैदावार में सुधार, दलहन उत्पादन में वृद्धि और सिंचाई के विस्तार जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं। अधिक उपज वाले बीजों के लिए राष्ट्रीय मिशन और कपास उत्पादकता मिशन को दी गई प्राथमिकता भी अच्छे कदम हैं। यह सब जानते हैं कि कृषि अनुसंधान निवेश पर अत्यधिक लाभ देता है। इस पहल का पूर्ण लाभ तभी मिलेगा जब सार्वजनिक अनुसंधान और निजी क्षेत्र के अनुसंधान के बीच अधिक सहयोग होगा, राज्यों में एकसमान नीतियों को अपनाया जाएगा और नए बीजों को समयबद्ध रूप से मंजूरी दी जाएगी। यह सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है कि भारत उन्नत तकनीक की दौड़ में पीछे न रहे।

बायर में क्रॉप साइंस डिविजन के कंट्री डिविजनल हेड (भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका) साइमन वीबुश ने कहा कि केंद्रीय बजट कृषि उत्पादकता और स्थिरता को बढ़ाने के लिए एक व्यापक रणनीति प्रस्तुत करता है। यह विकसित भारत के विजन के अनुरूप है। धन-धान्य कृषि योजना, जिसमें 100 जिलों में 1.7 करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य है, विशेष रूप से सराहनीय है।

इसके तहत फसल कटाई के बाद भंडारण, सिंचाई और ऋण उपलब्धता में सुधार पर जोर दिया गया है। इससे किसानों को सशक्त बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने की उम्मीद है। इसके अलावा, सब्जी उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर क्लस्टर स्थापित करने और एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) व स्टार्टअप्स को सब्जी आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा देने में सहायता देने की योजना है। इससे न केवल ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा और बागवानी क्षेत्र को मजबूती मिलेगी, बल्कि देश की पोषण आवश्यकताओं को भी पूरा किया जा सकेगा।

जलवायु-सहिष्णु फसलों पर ध्यान केंद्रित करने, अधिक उपज वाले बीजों के विकास और वितरण के लिए समर्पित मिशन और गारंटी वाली खरीद प्रणाली से खाद्य सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को और बढ़ावा मिलेगा, खासकर तिलहन और दालों जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में। नई तकनीकों तक पहुंच और कपास उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विशेष समर्थन से यह क्षेत्र और मजबूत होगा।

उन्होंने कहा, “बायर में हम इन प्रस्तावों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह सतत कृषि को आगे बढ़ाने के हमारे मिशन के अनुरूप है। हम सरकार और अन्य भागीदारों के साथ मिलकर इन उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करने और कृषि क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए तत्पर हैं।”

पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर (एग्रीकल्चर एंड फूड) शशि कांत सिंह ने कहा, "कृषि क्षेत्र के लिए 1.7 लाख करोड़ रुपये के आवंटन के साथ इस वर्ष का बजट कृषि क्षेत्र के दीर्घकालिक विजन को और मजबूत करता है। 100 जिलों के लिए धन-धान्य कृषि योजना इस क्षेत्र को नया प्रोत्साहन दे सकती है। फसल उत्पादकता बढ़ाने और फसल विविधीकरण के लिए विशिष्ट पहल के साथ-साथ अधिक उपज वाले बीजों (HYS) को बढ़ावा देने की रणनीति एक स्वागत योग्य कदम है। सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को सशक्त बनाने के लिए निरंतर समर्थन और मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए पहल कृषि क्षेत्र के समावेशी और सतत विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है।"

Subscribe here to get interesting stuff and updates!