अरहर स्टॉक की निगरानी को बनी समिति, जमाखोरी रोकने को केंद्र ने उठाया कदम
सरकार को खबर मिली थी कि अच्छी मात्रा में नियमित आयात के बावजूद अरहर दाल कारोबारी बाजार में अपना स्टॉक जारी नहीं कर रहे हैं। इसे देखते हुए ही सरकार ने यह फैसला किया है। अतिरिक्त सचिव निधि खरे की अध्यक्षता वाली यह समिति राज्य सरकारों के साथ समन्वय कर अरहर के स्टॉक की निगरानी करेगी। खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने में भी यह कदम कारगर साबित होगा।
अरहर (तुअर) दाल की जमाखोरी और सट्टेबाजी पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने एक निगरानी समिति का गठन किया है। यह समिति आयातकों, दाल मिलों, दाल स्टॉकिस्टों और व्यापारियों के पास मौजूद अरहर (साबूत) और अरहर दाल के स्टॉक की निगरानी करेगी। केंद्र सरकार की ओर से सोमवार को जारी एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई है।
बयान में कहा गया है कि सरकार घरेलू बाजार में अन्य दालों के स्टॉक की स्थिति पर भी नजर रख रही है ताकि आने वाले महीनों में घरेलू कीमतों में अनावश्यक बढ़ोतरी होने पर आवश्यक कदम उठाए जा सकें। सरकार को खबर मिली थी कि अच्छी मात्रा में नियमित आयात के बावजूद अरहर दाल कारोबारी बाजार में अपना स्टॉक जारी नहीं कर रहे हैं। इसे देखते हुए ही सरकार ने यह फैसला किया है। अतिरिक्त सचिव निधि खरे की अध्यक्षता वाली यह समिति राज्य सरकारों के साथ समन्वय कर अरहर के स्टॉक की निगरानी करेगी। खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने में भी यह कदम कारगर साबित होगा क्योंकि खाद्य महंगाई अभी भी रिजर्व बैंक की संतोषजनक सीमा 6 फीसदी से ऊपर बनी हुई है।
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पिछले साल 12 अगस्त को केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत तुअर दाल के आयातकों, दाल मिलों, दाल स्टॉकिस्टों और व्यापारियों के पास मौजूद स्टॉक की जानकारी देने के लिए एक एडवाइजरी जारी की थी। इसके अलावा घरेलू बाजार में अरहर दाल की उपलब्धता बढ़ाने को देखते हुए गैर-एलडीसी देशों से सुचारू और निर्बाध आयात के लिए साबूत अरहर पर लागू 10 फीसदी ड्यूटी को इसी महीने की शुरुआत में हटाने की घोषणा की गई थी। यह शुल्क कम विकसित देशों (एलडीसी) से शुल्क मुक्त आयात के लिए भी प्रक्रियात्मक बाधाएं पैदा करता है। हालांकि, अरहर दाल के आयात पर 10 फीसदी ड्यूटी अभी भी लागू है।
अरहर स्टॉक की निगरानी के लिए समिति बनाने की यह घोषणा जमाखोरों और सटोरियों से निपटने के लिए सरकार की मंशा को दर्शाती है। बयान में कहा गया है कि यह आने वाले महीनों में अरहर की कीमतों को नियंत्रण में रखने के सरकार के दृढ़ संकल्प को भी दर्शाता है।