मानसून अपडेट: लगातार दूसरे साल मानसून सीजन में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना

यह लगातार दूसरा वर्ष होगा जब देश में औसत से अधिक मानसूनी वर्षा की संभावना है।​ देश में मानसून की बारिश का दीर्घ अवधि औसत (LPA) 87 सेमी है जो 1971-2020 के बीच की औसत वर्षा है। दीर्घ अवधि औसत से चार फीसदी कम या अधिक बारिश को "सामान्य" माना जाता है।

मानसून अपडेट: लगातार दूसरे साल मानसून सीजन में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना
Photo by Sonika Agarwal on Unsplash

मौसम विभाग (IMD) ने इस साल मानसून सीजन में "सामान्य से अधिक" बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है। आईएमडी के अनुसार, वर्ष 2025 के दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन (जून से सितंबर) के दौरान देश में सामान्य से अधिक बारिश होने की प्रबल संभावना है। पूरे देश में मानसून सीजन की बारिश दीर्घ अवधि औसत (LPA) का 105% होने का अनुमान है, जिसमें ± 5% की मॉडल त्रुटि संभव है। 

यह लगातार दूसरा वर्ष है जब देश में सामान्य से अधिक मानसूनी वर्षा की संभावना है।​ देश में मानसून की बारिश का दीर्घ अवधि औसत (LPA) 87 सेमी है जो 1971-2020 के बीच की औसत वर्षा है। दीर्घ अवधि औसत से 4 फीसदी कम या अधिक रेंज (96-104%) में बारिश को "सामान्य" माना जाता है। दीर्घ अवधि औसत (LPA) के मुकाबले 104% से अधिक बारिश को “सामान्य से अधिक” माना जाता है।

क्षेत्रीय भिन्नताएं

हालांकि, देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक मानसून वर्षा होने की संभावना है, लेकिन मौसम विभाग ने कुछ क्षेत्रों, विशेषकर उत्तर-पश्चिम भारत, पूर्वोत्तर भारत और दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना जताई है।

मानसून के अनुकूल स्थितियां 

मौसम विभाग के मुताबिक, वर्तमान में भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में तटस्थ अल नीनो-दक्षिणी दोलन (Neutral ENSO) की स्थितियां बनी हुई हैं। हालांकि, वायुमंडलीय परिसंचरण विशेषताएं ला नीना के समान हैं। नवीनतम मानसून मिशन जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली (MMCFS) के साथ-साथ अन्य जलवायु मॉडल पूर्वानुमान संकेत देते हैं कि मानसून सीजन के दौरान तटस्थ ENSO की स्थिति बनी रहेगी। साथ ही दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के दौरान तटस्थ इंडियन ऑशन डॉयपोल (IOD) स्थितियां जारी रहने की संभावना है।

पिछले तीन महीनों (जनवरी से मार्च, 2025) के दौरान उत्तरी गोलार्ध और यूरेशिया में बर्फ की चादर सामान्य से नीचे थी। उत्तरी गोलार्ध के साथ-साथ यूरेशिया में सर्दियों और वसंत में बर्फ कवर के विस्तार का आमतौर पर भारत में मानसून वर्षा के साथ विपरीत संबंध होता है। यानी जिस साल बर्फ कम रहती है, उस साल मानसून वर्षा अधिक होती है। इस साल ऐसी ही स्थिति है।

अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर 

मौसम विभाग का ताजा पूर्वानुमान देश की कृषि और अर्थव्यवस्था के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। सामान्य से अधिक बारिश की संभावना को देखते हुए खरीफ फसलों की बुआई और उत्पादन अच्छा रहने की उम्मीद है। हालांकि, क्षेत्रीय स्तर पर वर्षा का वितरण और तीव्रता भिन्न हो सकती है।मानसून फसलों की सिंचाई और जलाशयों को रिचार्ज करने के लिए आवश्यक बारिश का लगभग 70% प्रदान करता है। देश की लगभग आधी कृषि आज भी मानसूनी बारिश पर निर्भर है।

स्काईमेट का पूर्वानुमान

प्राइवेट मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर ने भी इस साल मानसून सीजन में "सामान्य" बारिश का पूर्वानुमान दिया है, जिसमें दीर्घ अवधि औसत (LPA) का 103% बारिश की संभावना है। स्काईमेंट ने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल, कर्नाटक और गोवा में अच्छी वर्षा की उम्मीद जताई है, जबकि उत्तर-पूर्व और हिमालयी क्षेत्रों में कम वर्षा हो सकती है।​

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