भारतीय बासमती किस्मों की पाकिस्तान द्वारा पाइरेसी साबित, डीएनए टेस्ट में पुष्टि
यूरोप की एक प्रतिष्ठित लैब में हुए डीएनए टैस्ट में यह साबित हो गया है कि पाकिस्तान भारतीय बासमती किस्मों का टाइटल मोडिफाई कर गैर-कानूनी तरीके से उगा रहा है और उनका निर्यात कर रहा है।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली (पूसा संस्थान) द्वारा विकसित बासमती की किस्मों को पाकिस्तान पाइरेसी कर उगा रहा है। यह आरोप अंतरराष्ट्रीय स्तर की लैब जांच में भी साबित हो चुका है। बासमती की भारतीय किस्मों पूसा बासमती 1509, 1121, 1847, 1885 की अवैध तरीके से पाकिस्तान में खेती की जा रही है और बासमती चावल का निर्यात किया जा रहा है। भारत की एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथारिटी (एपीडा) ने पाकिस्तान द्वारा उगायी गई बासमती किस्मों के सैंपल की लैबोरेट्री जांच कराई है, जिसमें पुष्टि हुई है कि ये भारतीय किस्में है। यह जांच यूरोप की लैबोरेट्री के साथ-साथ भारत की लेबोरेट्री में भी हुई है।
सूत्रों के मुताबिक, यूरोप की एक प्रतिष्ठित लैब में हुए डीएनए टैस्ट में यह साबित हो गया है कि पाकिस्तान भारत की बासमती किस्मों का टाइटल मोडिफाई कर गैर-कानूनी तरीके से उगा रहा है और उनका निर्यात कर रहा है। बासमती की टेस्टिंग के लिए एक प्रोटोकॉल तय है और उसी के तहत यह जांच कराई गई। इस प्रोटोकॉल को रिंग ट्रायल कहा जाता है जिसमें दुनिया की 11 लैबोरेट्री शामिल हैं। इनसे से एक लेबोरेट्री भारत में हैदराबाद में स्थित है। इस प्रकार की जांच में एक ही सैंपल को अलग-अलग लैबोरेट्री में भेजा जाता है। सभी लैब में डाटा शेयरिंग के साथ कोडिंग भी शेयर होती है। इस जांच में साबित हुआ है कि पाकिस्तान द्वारा भारत की बासमती किस्मों को उगाया जा रहा है।
वहीं, एपीडा ने भी बासमती को ऑथेंटिकेट करने के लिए एक प्रोसेस बनाया हुआ है। इसके तहत उत्तर प्रदेश में मोदीपुरम स्थित बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन में डीएनए टेस्टिंग की सुविधा है। इस लैब में भी यह सैंपल टेस्ट हुए हैं।
पाकिस्तान में उगाई जा रही बासमती किस्मों की जांच से संबंधित सभी डाटा अब सरकार के पास हैं और सरकार में उच्च स्तर पर इसकी जानकारी है। इस मामले में अब आगे बढ़ने के लिए ट्रिप्स एग्रीमेंट के तहत वर्ल्ड इंटलेक्चुअल प्रोपर्टी आर्गनाइजेशन (वाइपो) में भारत सरकार द्वारा मामला दर्ज कर पाकिस्तान को इन किस्मों को उगाने से रोकने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही जिन देशों में पाकिस्तान इन किस्मों के चावल का निर्यात कर रहा है, वहां भी अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत मामला दर्ज कर इन किस्मों की बिक्री को रोका जा सकता है। इस मामले को भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय फोरम में कब लेकर जाएगी, फिलहाल इसे लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
भारत में बासमती का भौगोलिक क्षेत्र
पाकिस्तान में भारतीय बासमती की पाइरेसी
भारत सालाना करीब 50 हजार करोड़ रुपये का बासमती निर्यात करता है। वैश्विक बाजार में बासमती चावल प्रीमियम श्रेणी में आता है और उसकी कीमत सामान्य चावल किस्मों से दोगुना तक होती है। यूरोप, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और खाड़ी के मिडिल ईस्ट देशों में बासमती बाजार में पाकिस्तान और भारत के बीच प्रतिस्पर्धा रहती है। जहां भारत में लगातार बासमती पर शोध के जरिये बेहतर उत्पादकता और गुणवत्ता की किस्में विकसित की गई हैं पाकिस्तान में इस स्तर पर काम नहीं हुआ है। यही वजह है कि पाकिस्तान में भारत की बासमती धान की किस्मों की पाइरेसी कर इनको अवैध तरीके से उगाया जा रहा है। जिससे भारत के बासमती कारोबार को नुकसान पहुंचा रहा है।
पाकिस्तान में भारतीय धान की पुरानी किस्मों के अलावा हाल में रिलीज नई किस्मों पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1885 की खेती भी अवैध तरीके से की जा रही है। करीब डेढ़ साल पहले यह मामला सामने आया था और उसके बाद से ही भारतीय एजेंसियां सक्रिय हो गई थी। अब डीएनए जांच में पाकिस्तान द्वारा भारतीय किस्मों का उत्पादन करने की बात साबित होने से उसके निर्यात पर रोक लगाने में मदद मिल सकती है। इस मामले की अंतरराष्ट्रीय फोरम पर शिकायत और समाधान के प्रयास तेज होने की संभावना है।
जीआई के तहत निर्धारित है बासमती का क्षेत्र
भारत में विकसित किस्मों को सीड एक्ट, 1966 और प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वैरायटी एंड फार्मर्स राइट्स एक्ट, 2001 के तहत नोटिफाई किया जाता है। इन कानूनों के तहत केवल भारत के किसान ही इन बीजों की बुवाई कर सकते हैं। लेकिन पाकिस्तान में भारत की बासमती किस्में धड़ल्ले से उगाई जा रही हैं।
भारत सरकार द्वारा बासमती को प्रदान भौगोलिक पहचान (जीआई) के तहत देश में सात राज्यों में बासमती पैदा होता है। पंजाब में छह लाख हेक्टेयर और हरियाणा में भी करीब छह लाख हैक्टेयर में बासमती पैदा होता है। इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में करीब पांच लाख हैक्टेयर को बासमती के तहत लाये जाने की संभावना है। इनके अलावा दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू एवं कश्मीर में भी बासमती की खेती जीआई के तहत आती है।