भारत सरकार ने उड़द के शुल्क-मुक्त आयात को मार्च, 2026 तक बढ़ाया, कैसे बढ़ेगा दलहन उत्पादन?
विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि उड़द की मुक्त आयात नीति को 31 मार्च, 2026 तक बढ़ा दिया गया है। सरकार के इस कदम से देश में दालों की उपलब्धता बढ़ाने में मदद मिलेगी, लेकिन दालों का आयात घरेलू बाजार में कीमतों पर असर डालेगा।

केंद्र सरकार ने उड़द के शुल्क-मुक्त आयात को 31 मार्च, 2026 तक बढ़ा दिया है। इस तरह अगले साल भर तक देश में उड़द का ड्यूटी-फ्री इंपोर्ट होता रहेगा। साथ ही पीली मटर के शुल्क-मुक्त आयात को सरकार ने 31 मई तक बढ़ाया है। हालांकि, मसूर के आयात पर 10 फीसदी सीमा शुल्क लगाने का फैसला किया गया है। यह शुल्क 8 मार्च 2025 से लागू होगा।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, उड़द की मुक्त आयात नीति को 31 मार्च, 2026 तक बढ़ा दिया गया है। सरकार के इस कदम से देश में दालों की उपलब्धता बढ़ाने में मदद मिलेगी, लेकिन दालों का आयात घरेलू बाजार में कीमतों पर असर डालेगा। ऐसे में किसान दलहन उत्पादन के लिए कैसे प्रोत्साहित होंगे और दलहन में आत्मनिर्भरता कैसे आएगी, यह बड़ा सवाल है।
नए सीजन की चने की फसल बाजार में आनी शुरू हो गई है। कई इलाकों में चने के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे गिरने लगे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने पीली मटर के शुल्क-मुक्त आयात को मई तक जारी रखने की अनुमति दे दी है। इससे चने की कीमतें और अधिक गिरावट की आशंका है।
केंद्र सरकार ने पिछले महीने पेश किए आम बजट में दलहन के लिए छह वर्ष के 'आत्मनिर्भरता मिशन' का ऐलान किया था। लेकिन दूसरी तरफ, दालों के शुल्क-मुक्त आयात की नीति को जारी रखा गया है। ये दोनों कदम विरोधाभासी हैं। इसी तरह की नीतियों के कारण ही पिछले कई वर्षों से देश का दलहन उत्पादन 250-260 लाख टन के आसपास अटका हुआ है। क्योंकि सस्ते आयात के कारण किसानों को दालों का सही दाम नहीं मिल पाता है। दूसरी तरफ, उपभोक्ताओं को भी सस्ते आयात का पूरा लाभ नहीं मिल पाता और उन्हें महंगा खरीदना पड़ता है।