मध्य प्रदेश में बारिश से सोयाबीन और दलहल फसलों को भारी नुकसान, किसान बोले- मुआवजा दे सरकार

मध्य प्रदेश में सोयाबीन की कम कीमतों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों की मेहनत पर बारिश ने पानी फेर दिया है। प्रदेश में हुई भारी बारिश के चलते किसानों की सोयाबीन और अन्य दलहन फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। किसानों का कहना है कि पहले वे सोयाबीन की कम कीमतों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन अब जब फसल ही नहीं बचेगी तो वे क्या करेंगे? ऐसे में सरकार फसलों को हुए नुकसान के लिए किसानों को मुआवजा दे

मध्य प्रदेश में बारिश से सोयाबीन और दलहल फसलों को भारी नुकसान, किसान बोले- मुआवजा दे सरकार

मध्य प्रदेश में सोयाबीन की कम कीमतों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों की मेहनत पर बारिश ने पानी फेर दिया है। प्रदेश में हुई भारी बारिश के चलते किसानों की सोयाबीन और अन्य दलहन फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। जिससे कई किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। किसानों का कहना है कि पहले वे सोयाबीन की कम कीमतों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन अब फसल ही नहीं बची वे क्या करेंगे? उन्हें चाहिए कि सरकार फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को उचित मुआवजा दे। 

सितंबर के आखिरी हफ्ते में हुई भारी बारिश के चलते प्रदेश के कई जिलों में खरीफ की सोयाबीन, मूंग, उड़द और मक्का की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। बारिश इतनी हुई है कि खेत के खेत पानी में डूब गए हैं जबकि सोयाबीन किसान पहले ही पीला मोजेक और इल्ली जैसे रोग से परेशान थे। वहीं अब बारिश ने किसानों की परेशानी और बढ़ा दी है। 

बारिश के चलते मध्य प्रदेश के ज्यादातर सोयाबीन उत्पादन वाले जिलों में फसलों को नुकसान हुआ है, लेकिन राजगढ़, धार, सिहोर, रायसेन, दमोह, देवास, मंदसौर और सागर जिलों में यह नुकसान 50 फीसदी से ज्यादा बताया जा रहा है। कई इलाकों में तो किसानों की पूरी फसल बर्बाद हो गई है। वहीं, सोयाबीन का भाव 6000 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग के साथ-साथ अब किसान संगठन फसलों के नुकसान के लिए मुआवजे की भी मांग कर रहे हैं।

मंदसौर जिले के गरोठ गांव के किसान राजेंद्र सिंह ने रूरल वॉयस को बताया कि उन्होंने 10 बीघा में सोयाबीन की फसल लगाई थी, लेकिन बारिश के कारण पूरे खेत में पानी भर गया। इससे वे फसल की कटाई नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि खेत में इतना कीचड़ है कि कटाई करना मुश्किल हो रहा है और मशीन भी खेत तक नहीं पहुंच पा रही है, जिससे फसल सड़ने लगी है। अगर कोई किसान किसी तरह कटाई कर भी लेता है, तो मंडी में उसे सही दाम नहीं मिल रहा। व्यापारी नमी के कारण 4000 रुपये का सोयाबीन 2000 रुपये में खरीद रहे हैं। ऐसे में किसान क्या करे?

सीहोर जिले के झालकी गांव के किसान जगदीश वर्मा ने बताया कि उन्होंने सोयाबीन की कटाई शुरू ही की थी कि बारिश आ गई, जिससे उन्हें कटाई रोकनी पड़ी। जिन खेतों में कटाई हो चुकी थी, वहां भी पानी भर गया, जिससे फसल खराब हो गई। उन्होंने कहा कि लगातार बारिश की वजह से कटाई में देरी हो रही है। अगर समय पर कटाई नहीं हुई तो फसल खेत में ही सड़ जाएगी।

किसान उत्पादक संगठनों से जुड़े मध्य भारत कंसोर्टियम ऑफ एफपीओ के सीईओ योगेश द्विवेदी ने रूरल वॉयस बताया कि मध्य प्रदेश के कई जिलों में बारिश के कारण सोयाबीन, मूंग, मक्का और उड़द की फसलों को नुकसान पहुंचा है। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान सोयाबीन की फसल को हुआ है। उन्होंने कहा कि कई जिलों में सोयाबीन की फसल को 50 फीसदी से ज्यादा नुकसान हुआ है और कई इलाकों में तो किसानों की पूरी फसल बर्बाद हो गई है। जहां कटाई हो चुकी थी, वहां भी खेतों में रखी फसल पानी में डूब गई। जिससे फसल खराब होनी शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि खेतों में पानी भरने से कटाई तो प्रभावित होगी ही साथ ही उत्पादन पर भी असर पड़ेगा। क्योंकि बारिश के पानी के चलते खेत में खड़ी फसल गलना शुरू हो जाएगी। जिससे सोयाबीन के दाने न बेचने लायक रहेंगे और न अगले सीजन में बोने लायक।   

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