उत्तराखंड के तराई में उड़द के खराब बीज से किसानों को नुकसान, कार्रवाई की मांग
तराई किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष तजिंदर सिंह विर्क ने नकली बीज बेचने वाले विक्रेताओं के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लाइसेंस निरस्त करने की मांग की है।
उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में उड़द की फसल पर फलियां न आने से कई किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है, जिसे लेकर किसानों में काफी आक्रोश है। तराई किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष तजिंदर सिंह विर्क ने नकली बीज बेचने वाले विक्रेताओं के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लाइसेंस निरस्त करने की मांग की है। विर्क का कहना है कि अगर किसानों को हुए नुकसान के मामले में कार्रवाई नहीं हुई तो 26 अक्टूबर से किसान अपनी फसल के साथ कलेक्ट्रेट में डेरा डालेंगे और वहीं दीवाली मनाएंगे।
तजिंदर सिंह विर्क ने रूरल वॉयस को बताया कि 26 तारीख को संयुक्त किसान मोर्चा के सभी संगठन किसानों की इस समस्या को लेकर उधम सिंह नगर जिले में जुटेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि कृषि अधिकारियों और बीज प्रमाणीकरण संस्थाओं की मिलीभगत से नकली बीज और कीटनाशकों का अवैध कारोबार चल रहा है। एक तरफ सरकार फसल विविधिकरण और दलहन की खेती को बढ़ावा देने की बात करती है जबकि किसानों को सही बीज और कीटनाशक उपलब्ध नहीं करवाए जा रहे हैं।
उधम सिंह नगर जिले के गदरपुर क्षेत्र के कई गांवों के किसानों ने स्थानीय दुकानों से खरीदे उड़द के बीज से बुवाई की थी। लेकिन ढाई महीने बाद भी फसल में फली नहीं आई। इस संबंध में किसानों ने जिला मजिस्ट्रेट और जिला कृषि अधिकारी को भी शिकायत दर्ज कराई है। करीब डेढ़ सौ एकड़ में उड़द की फसल खराब हुई है।
प्रभावित खेतों का दौरा करके आए तजिंदर सिंह विर्क ने बताया कि किसानों के साथ धोखाधड़ी कर नकली बीज पीयू-31 किस्म के तौर पर गया। उन्होंने प्रभावित किसानों को मुआवजे और घटिया बीज बिक्री के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
इस मामले में जिला प्रशासन ने बीज विक्रेताओं को नोटिस जारी किए हैं। पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने भी प्रभावित फसल का निरीक्षण किया। उत्तराखंड से सटे यूपी के रामपुर जिले में भी उड़द की फसल पर फली नहीं आने की समस्या आई है। इसके पीछे भी घटिया बीज को वजह माना जा रहा है।
उड़द की फसल खराब होने के पीछे येलो मोजेक वायरस का प्रकोप भी बताया जा रहा है लेकिन बीज की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं। जिस बीज को किसानों ने पीयू-31 मानकर खरीदा था, पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने खेतों में जाकर देखा तो पीयू-31 की फसल होने से इंकार किया। किसानों द्वारा पीयू-31 के नाम पर घटिया बीज बेचने वालों पर कार्रवाई की मांग की जा रही है।