एथेनॉल खरीद में सहकारी चीनी मिलों को दी जाएगी प्राथमिकता, निजी चीनी मिलों को झटका
सार्वजनिक तेल कंपनियों की ओर से जारी टेंडर की शर्तों के अनुसार, एथेनॉल खरीद में पहली वरीयता सहकारी चीनी मिलों (सीएसएम) को दी जाएगी। उसके बाद समर्पित एथेनॉल संयंत्रों (डीईपी) से एथेनॉल की खरीद होगी जबकि निजी चीनी मिलों को वरीयता क्रम में तीसरे स्तर पर रखा गया है।
सरकारी तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही के लिए लगभग 88 करोड़ लीटर एथेनॉल आपूर्ति की निविदा जारी की है। इसकी शर्तों के अनुसार, एथेनॉल खरीद में पहली वरीयता सहकारी चीनी मिलों (सीएसएम) को दी जाएगी। उसके बाद समर्पित एथेनॉल संयंत्रों (डीईपी) से एथेनॉल की खरीद होगी जबकि निजी चीनी मिलों को वरीयता क्रम में तीसरे स्तर पर रखा गया है।
नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने रूरल वॉयस को बताया कि तेल कंपनियों द्वारा एथेनॉल आपूर्ति के नए टेंडर में एनएफसीएसएफ के तहत आने वाली सहकारी चीनी मिलों को पहली प्राथमिकता दी है। उन्होंने इसे एथेनॉल बनाने वाली सहकारी चीनी मिलों के हित में उठाया गया कदम बताया। नाइकनवरे का कहना है कि सहकारी क्षेत्र को इसी प्रकार समर्थन दिए जाने की आवश्यकता है।
टेंडर की शर्तों के अनुसार, जिन समर्पित एथेनॉल संयंत्रों (डीईपी) के पास ओएमसी के साथ वैध दीर्घकालिक उठाव समझौता (एलटीओए) हैं उन्हें एथेनॉल आपूर्ति के लिए आवंटन की दूसरी वरीयता दी जाएगी, जो प्रत्येक तिमाही के लिए आनुपातिक होगी। सहकारी चीनी मिलों और समर्पित एथेनॉल संयंत्रों से प्राथमिकता के आधार पर एथेनॉल मात्रा के आवंटन के बाद बची मात्रा के लिए अन्य एथेनॉल उत्पादकों (निजी चीनी मिलें) से नियमानुसार खरीद की जाएगी।
एथेनॉल आपूर्ति के टेंडर की इन शर्तों का सहकारी चीनी मिलों ने स्वागत किया है। हालांकि, एथेनॉल बनाने वाली निजी चीनी मिलें इससे नाखुश हैं। महाराष्ट्र में अधिकांश सहकारी चीनी मिलें हैं जो एथेनॉल उत्पादन भी करती हैं। इस फैसले का सबसे अधिक लाभ महाराष्ट्र की सहकारी चीनी मिलों को मिलेगा, जिससे किसानों को समय पर भुगतान करने में मदद मिलेगी। सरकार के इस कदम को सहकारिता को दिये जा रहे प्रोत्साहन के रूप में देखा जा रहा है।
एथेनॉल उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी
केंद्र सरकार ने साल 2025 तक पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखा है। एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2023-24 के आखिर तक एथेनॉल मिश्रण 14.6 फीसदी तक पहुंच गया है जो निर्धारित लक्ष्य के अनुरुप है। तेल कंपनियों द्वारा एथेनॉल आपूर्ति की जितनी मात्रा के लिए निविदाएं आमंत्रित की जा रही हैं, एथेनॉल निर्माताओं की ओर से उससे अधिक एथेनॉल आपूर्ति के प्रस्ताव हैं। क्योंकि देश में गन्ना के जूस और शीरे पर आधारित एथेनॉल के अलावा ग्रेन आधारित एथेनॉल उत्पादन की क्षमता में काफी बढ़ोतरी हुई है। भारत की एथेनॉल उत्पादन क्षमता सालाना 1,600 करोड़ लीटर से अधिक हो गई है। मांग से अधिक उत्पादन के कारण तेल कंपनियां एथेनॉल आपूर्ति के लिए वरीयता तय कर रही हैं।
एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम को देखते हुए देश भर में चीनी मिलों और एथेनॉल उत्पादकों ने डिस्टलरी स्थापना और क्षमता निर्माण में काफी निवेश किया है। सहकारी क्षेत्र की चीनी मिलों को प्राथमिकता मिलने से समर्पित एथेनॉल संयंत्र और निजी चीनी मिलों को झटका लगा है। चीनी के बाद एथेनॉल चीनी मिलों की आय का प्रमुख जरिया है।
तेल कंपनियों (ओएमसी) ने एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2024-25 के लिए कुल 916 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति के लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं। इसके जवाब में 970 करोड़ लीटर से अधिक एथेनॉल आपूर्ति के प्रस्ताव मिले हैं। इसमें करीब 60 फीसदी ग्रेन बेस्ड एथेनॉल है जबकि 40 फीसदी गन्ना से बना एथेनॉल है। गन्ना के रस और शुगर सीरप के अलावा बी हैवी मोलासेस, सी हैवी मोलासेस, मक्का और खराब अनाज से एथेनॉल का उत्पादन होता है।