हमें किसान को गरीब मानने वाली मानसिकता को दूर करने की जरूरत हैः कैलाश चौधरी
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है कि हम हमेशा एक गरीब किसान के बारे में बात करते हैं यानी हम हमेशा किसान को समाज में गरीब के रूप में पेश करते हैं और व्यापारी को हर जगह एक अमीर व्यापारी के रूप में प्रस्तुत किया जाता है जिससे कृषि युवाओं के मन में आता है कि किसान बनने का मतलब हमेशा गरीब बनना होता है। मीडिया में भी अक्सर किसान बदहाल दिखाया जाता है। हमें किसान को गरीब मानने वाली मानसिकता को दूर करने की जरूरत है। रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड नेडाक अवार्ड्स 2021 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बातें कहीं
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है कि हम हमेशा एक गरीब किसान के बारे में बात करते हैं यानी हम हमेशा किसान को समाज में गरीब के रूप में पेश करते हैं और व्यापारी को हर जगह एक अमीर व्यापारी के रूप में प्रस्तुत किया जाता है जिससे कृषि युवाओं के मन में आता है कि किसान बनने का मतलब हमेशा गरीब बनना होता है। मीडिया में भी अक्सर किसान बदहाल दिखाया जाता है। हमें किसान को गरीब मानने वाली मानसिकता को दूर करने की जरूरत है। रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड नेडाक अवार्ड्स 2021 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बातें कहीं।
रूरल वॉयस की पहली वर्षगांठ पर 23 दिसंबर को आयोजित रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव और नेडाक अवार्ड्स 2021 में के मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए चौधरी ने कहा ग्रामीणों की आवाज को देश की राजधानी दिल्ली तक लाने के लिए रूरल वॉयस की मैं सराहना करता हूं। जो आवाज पहले शहरों तक भी नहीं पहुंच सकी थी वह आज इस सम्मेलन में आये लोगों से लगता है कि वह आवाज यहां तक पहुंची है और यहां आये लोगों को गांवों की चिंता है।
उन्होंने कहा कि हमें कृषि और किसानों की स्थिति को मजबूत करने और युवाओं को कृषि क्षेत्र से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि युवा खेती से दूर जा रहे हैं। इसलिए सरकार इस पेशे को लाभदायक बनाने के लिए काम कर रही है। चौधरी ने कहा कि किसान को गरीब मानने वाली मानसिकता को दूर करने की जरूरत है यानी हम हमेशा किसान को समाज में गरीब के रूप में पेश करते हैं और व्यापारी को हर जगह एक अमीर व्यापारी के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिससे कि कृषि से जुड़े युवाओं के मन में किसान बनने का मतलब हमेशा गरीब बनना होता है।
खुद को किसान के बेटे के रूप में बताते हुए उन्होंने कहा कि अवसर मिलने पर मैं अपने खेत की जुताई भी करता हूं। मुझे पता है कि कृषि के लिए क्या किया जा सकता है और इसकी समस्याएं क्या हैं।
उन्होंने 10,000 कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि किसानों के ऐसे छोटे समूह अपनी उपज का सही मूल्य प्राप्त करने के लिए अपनी सौदेबाजी की शक्ति को बढ़ाएंगे। साथ ही इन समूहों की वजह से किसानों को इनपुट सस्ते में उपलब्ध होंगे। कम से कम 300 सदस्यों वाले ऐसे एफपीओ के लिए, सरकार तीन साल की अवधि के लिए इक्विटी सहायता के रूप में 15 लाख रुपये और अन्य खर्चों के लिए 18 लाख रुपये प्रदान कर रही है।
चौधरी ने कहा कि एक लाख करोड़ रुपये के कृषि अवसंरचना कोष बनाया गया है। किसान बिना किसी कोलेट्रल के तीन फीसदी की ब्याज छूट पर दो करोड़ रुपये तक का कर्ज ले सकते हैं। चौधरी ने कहा कि हमारा देश तभी मजबूत होगा जब गांवों के किसान मजबूत होंगे।