महाराष्ट्र के दूध किसानों को नहीं मिल रहा सब्सिडी का लाभ, कम दामों पर जारी है दूध की खरीद
महाराष्ट्र में दूध किसानों को 5 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी का लाभ नहीं मिल रहा है। कई कंपनियां अभी भी किसानों से कम दाम पर दूध खरीद रही हैं, जिससे उन्हें नुकसान हो रहा है।
महाराष्ट्र में दूध किसानों की परेशानी खत्म होती नजर नहीं आ रही है। राज्य के दूध उत्पादक किसानों को राहत देते हुए सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में 5 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी जारी रखने का ऐलान किया था। सरकार ने कहा था कि डेयरी कंपनियों को न्यूनतम 30 रुपये प्रति लीटर की दर से गाय का दूध खरीदना होगा। जिस पर सरकार किसानों को 5 रुपये सब्सिडी देगी। 1 जुलाई, 2024 से किसानों को यह सब्सिडी दी जानी थी। लेकिन, घोषणा होने के 10 दिन बाद भी किसानों से 24 से 26 रुपये प्रति लीटर की दर से दूध खरीदा जा रहा है। जिससे किसानों का नुकसान हो रहा है।
महाराष्ट्र में स्वाभिमानी शेतकरी संघटना के अध्यक्ष और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने इस संबंध में राजस्व एवं डेयरी विकास मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील को पत्र लिखा है। उन्होंने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि राज्यभर में गाय के दूध की खरीद 30 रुपये प्रति लीटर की दर से करने को लेकर अधिकारियों को निर्देश जारी किए जाएं। साथ ही किसानों को कम भुगतान कर रही कंपनियों पर कार्रवाई की जाए।
राजू शेट्टी ने रूरल वॉयस को बताया कि राज्य सरकार ने 1 जुलाई से गाय के दूध के लिए 30 रुपये प्रति लिटर की दर और 5 रुपये सब्सिडी देने की घोषणा की थी। लेकिन, राज्य में कई डेयरी कंपनियां अभी भी कम दामों पर किसानों से दूध खरीद रही हैं। उन्होंने कहा कि सांगली और कोल्हापुर को छोड़कर राज्य के सभी जिलों में किसानों को दूध का कम दाम मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि सांगली और कोल्हापुर में कई दूध सहकारी समितियां और उत्पादक कंपनियां 3.5 फीसदी फैट वाले दूध के लिए किसानों को 30 से 33 रुपये प्रति लीटर का भुगतान किया जा रहा है। यानी सब्सिडी मिलाकर दूध उत्पादकों को 35 से 38 रुपये मिल रहे हैं। वहीं, शोलापुर नगर, पुणे और राज्य के अन्य जिलों के सहकारी और कई निजी दूध कंपनियां अभी भी 24 से 26 रुपये की दर से दूध खरीद रही हैं। जिस वजह से इन जिलों के दूध उत्पादकों को सब्सिडी का लाभ नहीं मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि सब्सिडी सीधे किसानों के खाते में आती है। इसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने एक ऑनलाइन सिस्टम विकसित किया है, जिसमें दूध उत्पादकों का सारा डाटा दर्ज होता है। जैसे किसान के पास कितनी गाय है, उसने प्रति दिन कितना दूध बेचा, बैंक अकाउंट डिटेल, आदि। इस डाटा के आधार पर ही किसानों के खातों में सब्सिडी भेजी जाती है। उन्होंने कहा कि यह डाटा दूध सहकारी समितियों और उत्पादक कंपनियों को आगे भेजना होता है। लेकिन, कई कंपनियां न तो दूध उत्पादकों का रिकॉर्ड रख रही हैं और न ही इसे सरकारी अधिकारियों को भेज रही हैं। जिस वजह से दूध उत्पादक किसान सब्सिडी का लाभ लेने से वंचित रह जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को तुरंत इस मामले की ओर ध्यान देने की जरूरत है और ताकि किसानों का उनका लाभ मिल सके।
महाराष्ट्र के दूध उत्पादक किसान पिछले 6 महीनों से दूध की कीमतों पर लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले मार्च और अप्रैल में राज्य सरकार ने किसानों को दूध पर पांच रुपये लीटर की सब्सिडी दी थी, जिसे मई में बंद कर दिया गया था। जिसके बाद दूध उत्पादकों ने फिर प्रदेश भर में आंदोलन की चेतावनी दी थी। हालांकि, 28 जून को महाराष्ट्र सरकार ने बजट में सब्सिडी जारी रखने का ऐलान किया था। 1 जुलाई से किसानों को सब्सिडी का लाभ मिलना था। लेकिन, अभी भी राज्य में दूध की खरीद कम दाम पर की जा रही है।