हरियाणा के उचाना में डीएपी लेने के लिए उमड़ी किसानों की भीड़ पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज
किसान उचाना मंडी के इफको खाद केंद्र पर डीएपी लेने के लिए सुबह से लाइन में लगे हुए थे। किसानों की भीड़ बढ़ती देख पुलिस को मौके पर बुलाया गया। पुलिस ने स्थिति नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन हालात काबू से बाहर होते देख पुलिस को किसानों पर लाठीचार्ज करना पड़ा।
हरियाणा समेत देश के कई राज्यों में रबी सीजन की बुवाई के लिए डाईअमोनियम फास्फेट (डीएपी) की मांग तेज हो गई है, लेकिन डीएपी की कमी के कारण किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इन दिनों खाद केंद्रों पर किसानों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। डीएपी की किल्लत इतनी है कि खाद केंद्रों पर पूरा दिन कतारों में इंतजार करने के बाद भी किसानों को पर्याप्त मात्रा में डीएपी नहीं मिल रहा है। यहां तक की खाद वितरण में अव्यवस्था बढ़ने पर प्रशासन को पुलिस तैनात करनी पड़ रही है।
शनिवार को हरियाणा के जींद जिले के उचाना में ऐसा ही दृश्य देखने को मिला। उचाना मंडी के इफको खाद केंद्र पर बड़ी संख्या में किसान सुबह से ही डीएपी के लिए लाइन में लगे हुए थे। किसानों की भीड़ बढ़ती देख पुलिस को मौके पर बुलाया गया। पुलिस ने स्थिति नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन हालात काबू से बाहर होते देख पुलिस को किसानों पर लाठीचार्ज करना पड़ा। इस घटना में कई किसान घायल हो गए।
जींद जिले के युवा किसान अशोक दनोदा ने रूरल वॉयस को बताया कि जिले में डीएपी की भारी किल्लत है। किसानों को एक आधार कार्ड पर 3 से 4 बैग डीएपी ही मिल रहा है। उचाना मंडी में शनिवार को किसान डीएपी लेने के लिए सुबह से कतार में खड़े थे। लेकिन, भीड़ बढ़ती देखे खाद केंद्र ने इसकी सूचना पुलिस को दे दी। जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज कर दिया, जिसमें कुछ किसान घायल हो गए।
हरियाणा में खाद की उपलब्धता सीमित होने और किसानों की संख्या अधिक होने से सभी को समय पर खाद नहीं मिल पा रहा है। किसान इस बात को लेकर चिंतित हैं कि गेहूं, सरसों, चना और आलू जैसी फसलों की बुवाई के समय उन्हें पर्याप्त खाद नहीं मिलेगा, जिससे उनकी फसलें प्रभावित हो सकती हैं।
गौरतलब है कि यूरिया के बाद देश में सबसे अधिक उपयोग डीएपी का ही होता है, खासकर बुवाई के समय। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल सितंबर में डीएपी की बिक्री पिछले साल के 15.7 लाख टन के मुकाबले 51 फीसदी घटकर 7.76 लाख टन रह गई है। इस कमी का मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी के दामों में बढ़ोतरी, उर्वरक सब्सिडी में अनिश्चितता और आयात में आई कमी है।
सरकार किसानों को डीएपी की जगह सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) और यूरिया के उपयोग की सलाह दे रही है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में भी किसानों को डीएपी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।