ऑस्ट्रेलिया की ला ट्रोब यूनिवर्सिटी के नए वीसी का भारत के साथ भागीदारी बढ़ाने पर जोर
ऑस्ट्रेलिया की ला ट्रोब यूनिवर्सिटी के नए कुलपति प्रोफेसर थियो फैरेल ने पांच दिवसीय भारत यात्रा के दौरान उद्योग, व्यापार और सरकार के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात कर विभिन्न क्षेत्रों में भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया
ऑस्ट्रेलिया की ला ट्रोब यूनिवर्सिटी ने नए कुलपति की भारत यात्रा के दौरान भारतीय अनुसंधान और शैक्षणिक साझेदारी को मजबूत करने पर जोर दिया है। फरवरी में यूनिवर्सिटी के नए कुलपति का पद ग्रहण करने वाले प्रोफेसर थियो फैरेल ने पांच दिवसीय भारत यात्रा के दौरान उद्योग, व्यापार और सरकार के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात कर विभिन्न क्षेत्रों में भागीदारी की संभावनाएं तलाश कीं।
ला ट्रोब यूनिवर्सिटी से भारत का पुराना नाता रहा है। भारत यात्रा के दौरान प्रोफेसर फैरेल ने पारस्परिक हितों के क्षेत्रों में सहयोग और नई साझेदारी की संभावनाएं तलाशने के लिए कई राउंड टेबल डिस्कशन किये और कई घोषणाएं कीं।
यूनिवर्सिटी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ला ट्रोब के लिए कई प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं जो भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने और नई साझेदारियां विकसित करने के अवसर प्रदान करते हैं। इनमें भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच स्टूडेंट एक्सचेंज को बढ़ावा देना, डिजिटल प्रौद्योगिकियों और कौशल नवाचारों पर केंद्रित अनुसंधान, रिसर्च कमर्शियलाइजेशन और औद्योगिक भागीदारी शामिल है।
प्रोफेसर फैरेल ने कहा कि आपसी साझेदारी के मजबूत होने से स्मार्ट सिटी, टिकाऊ कृषि, खाद्य सुरक्षा, और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में यूनिवर्सिटी की क्षमताओं में इजाफा होगा। ला ट्रोब के कई महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय भागीदार भारत में हैं, और वह भारत में उद्योग और व्यवसायों के साथ महत्वपूर्ण साझेदारी बना रहे हैं जो इन क्षेत्रों में हमारी विशेषज्ञता का लाभ उठाते हैं। बायो-इनोवेशन में उनकी विशेषज्ञता को हाल ही में दुनिया की अग्रणी बायोटेक कंपनी ने मान्यता दी है।
स्मार्ट सिटीज से जुड़ी पहल
एशियन स्मार्ट सिटीज़ रिसर्च इनोवेशन नेटवर्क (ASCRIN) की लीडरशिप राउंडटेबल में सहयोग और जुड़ाव के अवसरों पर भी चर्चा की गई। यह नेटवर्क 2019 में ला ट्रोब यूनिवर्सिटी द्वारा स्थापित किया गया था। इस अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान पहल को 43 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (235 करोड़ रुपये) से अधिक का संयुक्त निवेश प्राप्त है।
एशियन स्मार्ट सिटीज़ रिसर्च इनोवेशन नेटवर्क (ASCRIN) के संस्थापक और आईआईटी कानपुर - ला ट्रोब यूनिवर्सिटी रिसर्च अकादमी के सह-निदेशक प्रोफेसर अनिरुद्ध देसाई ने बताया कि 250 से अधिक शोधकर्ताओं के इस नेटवर्क ने भारत के शहरों और कस्बों की क्षमता और दक्षता को बढ़ाने के उद्देश्य से कई परियोजनाएं तैयार की है। हमारा प्रयास अब इन पर आगे बढ़ने और उद्योग व सरकार के साथ जुड़ाव में तेजी लाना है।”
संस्थानों से भागीदारी
पिछले साल टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानपुर और बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, पिलानी भी ASCRIN नेटवर्क में शामिल हो गये। इसमें 250 से अधिक शोधकर्ता और 70 से अधिक संयुक्त-पीएचडी परियोजनाएं शामिल हैं।
प्रोफेसर फैरेल और टीआईएसएस के प्रो वाइस चांसलर प्रोफेसर शंकर दास ने एक संयुक्त-पीएचडी कार्यक्रम की भी घोषणा की, जो एशिया में शहरीकरण की बढ़ती चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारतीय छात्रों को शोध करने में सहायता करेगा।
ला ट्रोब प्रतिनिधिमंडल टेक्नोलॉजी इन्फ्यूजन ग्रैंड चैलेंज के फाइनलिस्ट और विजेताओं को सम्मानित करेगा। भारत के 18 विश्वविद्यालयों की 67 टीमों में 130 से अधिक छात्रों ने इस चैलेंज में भाग लिया। प्रोफेसर फैरेल महिंद्रा विश्वविद्यालय का भी दौरा करेंगे, जहां ला ट्रोब ने सिविल इंजीनियरिंग में एक संयुक्त स्नातक डिग्री कार्यक्रम शुरू किया है।
2019 में ला ट्रोब यूनिवर्सिटी ने भारतीय सिने अभिनेता शाहरुख खान को डॉक्टर ऑफ लेटर्स (मानद उपाधि) की मानद उपाधि से सम्मानित किया था। यह हिंदी पढ़ाने वाले दो ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों में से एक है। यूनिवर्सिटी 2010 से मेलबर्न के भारतीय फिल्म महोत्सव की संस्थापक भागीदार है।
दिल्ली की सुमैरा को शाहरुख खान ला ट्रोब यूनिवर्सिटी पीएचडी स्कॉलरशिप
दूसरी प्रतिष्ठित शाहरुख खान ला ट्रोब यूनिवर्सिटी पीएचडी छात्रवृत्ति दिल्ली की सुमैरा खान को प्रदान की गई। नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में ला ट्रोब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर थियो फैरेल ने सुमैरा खान को 2.25 लाख ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की पीएचडी छात्रवृत्ति प्रदान की। मेलबर्न के भारतीय फिल्म महोत्सव के साथ ला ट्रोब की साझेदारी के माध्यम से पीएचडी छात्रवृत्ति संभव हुई।
सुमैरा ऑस्ट्रेलिया में टाइप 2 मधुमेह के बढ़ते जोखिम वाली दक्षिण एशियाई प्रवासी महिलाओं के लिए स्वास्थ्य देखभाल में सुधार के तरीकों की पहचान करने के लिए चिकित्सा मानवविज्ञानी डॉ. टैरिन फिलिप्स और डॉ. कैथरीन ट्रंडल के साथ काम करेंगी।