अक्टूबर में चावल का निर्यात 85 फीसदी बढ़कर 1.05 अरब डॉलर रहा
केंद्र सरकार द्वारा चावल निर्यात पर लगी पाबंदियां हटाने के बाद अक्टूबर में चावल निर्यात में 85.79 फीसदी बढ़ा गया। अक्टूबर 2024 में देश से 1.05 अरब डॉलर का चावल निर्यात हुआ जबकि पिछले साल इसी महीने में चावल निर्यात 0.56 अरब डॉलर रहा था।
केंद्र सरकार द्वारा चावल निर्यात पर लगी पाबंदियां हटाए जाने के बाद अक्टूबर में चावल का निर्यात 85.79 फीसदी बढ़ गया। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के हालिया आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2024 में देश से 1.05 अरब डॉलर का चावल निर्यात हुआ जबकि पिछले साल इसी महीने में चावल निर्यात 0.56 अरब डॉलर रहा था। एपीडा के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 के पहले 7 महीनों (अप्रैल से अक्टूबर) के दौरान चावल निर्यात 5.2 फीसदी बढ़कर 6.17 अरब डॉलर तक पहुंच गया जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में चावल का निर्यात 5.86 अरब डॉलर रहा था।
राइस एक्सपोर्टर्स की मानें तो केंद्र सरकार द्वारा चावल के निर्यात पर लगी सभी पाबंदियों के हटाए जाने के बाद चावल निर्यात तेजी से बढ़ा है। राइस एक्सपोर्टर्स को उम्मीद है की आने वाले महीनों में चावल निर्यात में और तेजी देखने को मिलेगा।
केंद्र सरकार ने सितंबर और अक्टूबर में चावल निर्यात पर लगी सभी पाबंदियां हटा ली थी। सबसे पहले सरकार ने सितंबर में बासमती चावल के निर्यात पर लागू न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को समाप्त किया। इसके बाद गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगी रोक हटाकर 490 डॉलर प्रति टन का एमईपी लागू किया, जिसे अक्टूबर में पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया। साथ ही, सरकार ने सेला चावल और ब्राउन राइस पर निर्यात शुल्क भी खत्म कर दिया। पहले 27 सितंबर को सरकार ने निर्यात शुल्क 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया था, लेकिन अक्टूबर में धान की कीमतों में गिरावट को देखते हुए सरकार ने इसे भी पूरी तरह समाप्त कर दिया।
हरियाणा राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील गोयल ने रूरल वॉयस बताया कि जब तक चावल निर्यात पर केंद्र सरकार की पाबंदियां लागू थी तब तक निर्यात पर असर पड़ रहा था लेकिन पाबंदियां हटते ही चावल निर्यात में तेजी आई है। उन्होंने कहा कि चावल निर्यात में बासमती चावल का एक बड़ा हिस्सा है। भले ही चावल निर्यात में इजाफा हुआ हो लेकिन बासमती चावल की डिमांड अभी भी पिछले साल के मुकाबले कम है। विदेशी व्यापारियों के पास अभी भी पिछले साल का स्टॉक बचा हुआ है, जिस वजह से डिमांड कम है। हालांकि, आने वाले महीनों में डिमांड बढ़ने की उम्मीद है।