राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन को कैबिनेट की मंजूरी, जानिए किसानों तक कैसे पहुंचेगी योजना
प्राकृतिक खेती से किसानों को खेती की लागत कम करने और बाहर से खरीदे जाने वाले इनुट पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही मिट्टी की उर्वरता को फिर से जीवंत करने तथा जलवायु जोखिमों से संभलने का सामर्थ्य पैदा करने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) शुरू करने को मंजूरी दे दी है। इसके जरिए देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के लिए 15वें वित्त आयोग (2025-26) तक कुल 2481 करोड़ रुपये (भारत सरकार का हिस्सा- 1584 करोड़ रुपये; राज्य का हिस्सा- 897 करोड़ रुपये) का खर्च प्रस्तावित है। अगले दो वर्षों में, प्राकृतिक खेती मिशन को ग्राम पंचायतों के 15,000 कलस्टर में लागू किया जाएगा तथा एक करोड़ किसानों तक पहुंचाया जाएगा। करीब 7.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती शुरू करने की योजना है। इसके लिए 10 हजार जैव-इनपुट संसाधन केंद्र (बीआरसी) स्थापित किए जाएंगे।
प्राकृतिक खेती से किसानों को खेती की लागत कम करने और बाहर से खरीदे जाने वाले इनुट पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही मिट्टी की उर्वरता को फिर से जीवंत करने तथा जलवायु जोखिमों से संभलने का सामर्थ्य पैदा करने में मदद मिलेगी।
प्राकृतिक खेती से कैसे जुड़ेंगे किसान?
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत, कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके), कृषि विश्वविद्यालयों (एयू) और किसानों के खेतों में लगभग 2000 प्राकृतिक खेती मॉडल प्रदर्शन फार्म स्थापित किए जाएंगे। इच्छुक किसानों को उनके गांवों के पास केवीके, कृषि विश्वविद्यालयों और प्राकृतिक खेती मॉडल प्रदर्शन फार्म में प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रशिक्षित किसान अपने पशुओं का उपयोग करके या बीआरसी से खरीद कर जीवामृत, बीजामृत आदि जैसे कृषि संबंधी संसाधन तैयार करेंगे। प्राकृतिक खेती को लेकर जागरूकता पैदा करने और इच्छुक किसानों की मदद करने के लिए 30 हजार कृषि सखियों/सीआरपी को तैनात किया जाएगा।
किसानों को एक आसान सरल प्रमाणन प्रणाली और समर्पित सामान्य ब्रांडिंग प्रदान की जाएगी ताकि उन्हें अपने प्राकृतिक कृषि उत्पादों को बाजार तक पहुंच प्रदान की जा सके। एनएमएनएफ कार्यान्वयन की वास्तविक समय की जियो-टैग और संदर्भित निगरानी एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की जाएगी।
प्राकृतिक खेती की खूबियां
पारंपरिक ज्ञान पर आधारित, रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती (एनएफ) में स्थानीय पशुधन एकीकृत खेती के तरीके और विविध फसल प्रणाली शामिल हैं। प्राकृतिक खेती स्थानीय ज्ञान, स्थान विशिष्ट प्रौद्योगिकियों पर आधारित स्थानीय कृषि-पारिस्थितिकी सिद्धांतों का पालन करती है और स्थानीय कृषि-पारिस्थितिकी के अनुसार विकसित होती है।
प्राकृतिक खेती स्वस्थ मृदा इकोसिस्टम का निर्माण और रखरखाव करेगी, जैव विविधता को बढ़ावा देगी। प्राकृतिक खेती के माध्यम से मिट्टी में कार्बन की मात्रा और जल उपयोग दक्षता में सुधार के माध्यम से, मिट्टी के सूक्ष्मजीवों और एनएफ में जैव विविधता में वृद्धि होती है।