उत्तर पश्चिम भारत में पंजाब-हरियाणा समेत 6 राज्यों में सामान्य से कम मानसून की बारिश

उत्तर-पश्चिम भारत में 20 दिन पहले मानसून की बारिश सामान्य से 5 फीसदी कम थी, जो अब लगभग पूरी हो गई है। इसके बावजूद कई हिस्सों में बारिश का स्तर सामान्य से 3 से 33 फीसदी तक कम है, जो खरीफ फसलों के उत्पादन और उत्पादन लागत पर असर डाल सकता है। 

उत्तर पश्चिम भारत में पंजाब-हरियाणा समेत 6 राज्यों में सामान्य से कम मानसून की बारिश

देश में मानसून अब आधे से ज्यादा बीत चुका है लेकिन कई क्षेत्रों में अभी भी बारिश की कमी बनी हुई है, जिसका प्रतिकूल असर खेती पर पड़ रहा है। 1 जून से 23 अगस्त तक भले ही देशभर में सामान्य से 3 फीसदी अधिक बारिश हुई हो लेकिन उत्तर-पश्चिम भारत के पंजाब, हरियाणा समेत छह राज्यों में मानसून की बारिश अभी भी सामान्य से कम है। इसके अलावा, बिहार, झारखंड और पूर्वोत्तर के अधिकतर राज्यों में भी मानसून की बारिश कम दर्ज की गई है।

उत्तर-पश्चिम भारत में 20 दिन पहले मानसून की बारिश सामान्य से 5 फीसदी कम थी, जो अब लगभग पूरी हो गई है। इसके बावजूद कई हिस्सों में बारिश का स्तर सामान्य से 3 से 33 फीसदी तक कम है, जो खरीफ फसलों के उत्पादन और उत्पादन लागत पर असर डाल सकता है। विशेषकर पंजाब में स्थिति चिंताजनक है, जहां सामान्य से 33 फीसदी कम बारिश हुई है। हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में 16 फीसदी, हिमाचल प्रदेश में 22 फीसदी, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में 26 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 8 फीसदी और पूर्वी उत्तर प्रदेश में 12 फीसदी की कमी देखी गई है। 

पूर्व और उत्तर-पूर्व भारत में भी मानसून की स्थिति अच्छी नहीं है। अरुणाचल प्रदेश में 19 फीसदी, मणिपुर-नागालैंड-त्रिपुरा में 13 फीसदी, पश्चिम बंगाल के गंगा क्षेत्र में 20 फीसदी, झारखंड में 12 फीसदी, बिहार में 23 फीसदी, और असम में 4 फीसदी कम बारिश हुई है। इसके विपरीत, मध्य और दक्षिण भारत में इस वर्ष मानसून अच्छा रहा है। 23 अगस्त तक मध्य भारत में सामान्य से 8 फीसदी और दक्षिण भारत में 20 फीसदी अधिक बारिश हुई है।

देश के कई क्षेत्रों में किसान आज भी खेती-बाड़ी के लिए बारिश के पानी पर निर्भर हैं। लेकिन बारिश नहीं होने से उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कम बारिश वाले क्षेत्रों में यह स्थिति किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पहले से ही बारिश की कमी के कारण फसल उत्पादन पर दबाव है।

देश में इस साल मानसून की शुरुआत काफी अच्छी रही, विशेषकर मध्य और दक्षिण भारत में जहां शुरुआत में भारी बारिश हुई थी। लेकिन उत्तर और पूर्वोत्तर भारत की ओर बढ़ते ही मानसून की गति धीमी पड़ गई थी, जिसका प्रभाव अब स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है।

भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने अगस्त और सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान जताया है। अगस्त के अंत तक ला नीना परिस्थितियों के अनुकूल होने की संभावना है, जिससे मानसूनी बारिश में बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि, मानसून के दूसरे हिस्से में पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र और पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम बारिश की संभावना बनी हुई है। 

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