डिजिटल एग्रीकल्चर से आधुनिक किसान चौपाल तक, 100 दिन में कृषि मंत्रालय की 10 प्रमुख पहल

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के 100 दिनों की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने 65 फसलों की 109 किस्में किसानों को समर्पित की थीं जो जलवायु अनुकूल, कीट प्रतिरोधी और अधिक उपज वाली हैं। उन्होंने कहा कि इन 100 दिनों में डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन की शुरुआत को स्वीकृति दी गई है।

डिजिटल एग्रीकल्चर से आधुनिक किसान चौपाल तक, 100 दिन में कृषि मंत्रालय की 10 प्रमुख पहल

वैज्ञानिक अनुसंधान को लैब से किसानों के खेत तक पहुंचाने के लिए कृषि मंत्रालय अक्टूबर से आधुनिक किसान चौपाल शुरू करने जा रहा है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिनों की उपलब्धियों के बारे में एक प्रेस वार्ता के दौरान यह जानकारी दी।  

शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि आधुनिक किसान चौपाल - लैब टू लैंड को अक्टूबर में प्रारंभ करने वाले हैं। इसमें वैज्ञानिक किसानों तक सीधे जानकारियां पहुंचाएंगे। इस कार्यक्रम से किसानों और नवीनतम कृषि अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के बीच की दूरी को मिटाने में मदद मिलेगी। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के 100 दिनों की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने 65 फसलों की 109 किस्में किसानों को समर्पित की थीं जो जलवायु अनुकूल, कीट प्रतिरोधी और अधिक उपज वाली हैं। उन्होंने कहा कि इन 100 दिनों में डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन की शुरुआत को स्वीकृति दी गई है। नेशनल पेस्ट सर्विलांस सिस्टम किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और किसानों ने इसका उपयोग करना भी प्रारंभ कर दिया है। सरकार परंपरागत फसलों के साथ-साथ बागवानी उत्पादन बढ़ाने के लिए भी प्रयास कर रही है। 

9.51 करोड़ पीएम-किसान लाभार्थी

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा तीसरी बार प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद प्रधानमंत्री ने अपने पहले महत्वपूर्ण निर्णय में 9.26 करोड़ से अधिक किसानों को पीएम-किसान योजना के तहत रुपये 21000 करोड़ की धनराशि जारी की। सैचुरेशन अभियान चलाकर 25 लाख से अधिक नए किसानों को पीएम-किसान योजना से जोड़ा गया। अब पीएम-किसान के तहत कुल लाभार्थियों की संख्या 9.51 करोड़ से अधिक हो गई है। मंत्रालय ने किसानों को उनकी अपनी भाषा में पीएम-किसान से संबंधित प्रश्नों में सहायता करने के लिए एआई-चैटबॉट "किसान-ईमित्र" का उपयोग शुरू किया।

डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन

कृषि क्षेत्र में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने 2817 करोड़ रुपये के डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन को मंजूरी दी है। इसके तहत कृषि के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) विकसित किया जाएगा। इसमें एग्री स्टैक, कृषि निर्णय सहायता प्रणाली और डिजिटल फसल सर्वेक्षण जैसी पहल की जाएंगी। एग्रीस्टैक के तहत किसानों को आधार की तर्ज पर डिजिटल पहचान (किसान आईडी) दी जाएगी। देश में 11 करोड़ किसानों के लिए डिजिटल पहचान बनाने का लक्ष्य रखा गया है। डीपीआई की मदद से फसल उत्पादन के सटीक अनुमान, सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचाने, पारदर्शिता बढ़ाने, कृषि सलाह, उपज के मूल्य निर्धारण और सरकारी नीतियों के निर्धारण में मदद मिलेगी। 

नेशनल पेस्ट सर्विलांस सिस्टम

फसलों में कीटों की निगरानी के लिए नेशनल पेस्ट सर्विलांस सिस्टम (एनपीएसएस) की शुरुआत की गई है। यह डिजिटल पहल है जिसमें एक मोबाइल ऐप और एक वेब पोर्टल शामिल है। एनपीएसएस में 61 फसलों के लिए पेस्ट पहचान मॉड्यूल और 15 फसलों के लिए समय पर उपचार एडवाइजरी जारी करने हेतु मॉड्यूल शामिल है।

आयात-निर्यात से जुड़े अहम फैसले

केंद्र सरकार ने कृषि आयात-निर्यात की सुगमता के लिए हाल ही में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।

प्याज

सरकार ने प्याज पर लागू 550 डॉलर प्रति मीट्रिक टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) समाप्त करने और निर्यात शुल्क को 40 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी करने का फैसला लिया है।

बासमती चावल

बासमती चावल पर लागू 950 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) पूरी तरह हटाने का निर्णय लिया है। इस पाबंदी के हटने से देश से बासमती चावल का निर्यात बढ़ने और किसानों को बेहतर दाम मिलने की उम्मीद है।

खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाया

केंद्र सरकार ने कच्चे तेल (पाम, सोया और सूरजमुखी) पर प्रभावी आयात शुल्क 5.5 फीसदी से बढ़ाकर 27.5 फीसदी और रिफाइंड तेल (पाम, सोया और सूरजमुखी) पर 13.75 फीसदी से बढ़ाकर 35.75 फीसदी कर दिया है। इससे तिलहन किसानों और घरेलू खाद्य तेल उद्योग को सस्ते आयात की मार से बचाने में मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा)

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) की एकीकृत योजना को 15वें वित्त आयोग चक्र के दौरान 2025-26 तक बढ़ाने को मंजूरी दी है। इसके लिए कुल 35,000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित है। इससे किसानों को उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने और उपभोक्ताओं को आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव से बचाने में मदद मिलेगी। सरकार ने मूल्य समर्थन योजना (PSS) और मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF) योजना को पीएम-आशा में शामिल कर दिया है।

सरकार ने अधिसूचित दलहनतिलहन और नारियल की खरीद के लिए मौजूदा सरकारी गारंटी को बढ़ाकर 45,000 करोड़ रुपये कर दिया है। जब बाजार में कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपीसे नीचे गिरेंगी, तब किसानों से अधिक दालेंतेल बीज और नारियल खरीदे जा सकेंगे। किसानों को तूर, उड़द और मसूर की अधिक उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 2024-25 वर्ष के लिए इन दालों की 25 फीसदी खरीद की सीमा हटा दी गई है। 

कृषि सखी

ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालयों ने कृषि सखियों को “कृषि पैरा-एक्सटेंशन वर्कर के रूप में प्रशिक्षित और प्रमाणित किया जाएगा। कृषि सखियों को वर्तमान में प्राकृतिक खेती और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कृषि सखी गांव स्तर पर कृषि सेवाएं प्रदान कर प्रति वर्ष 50,000 रुपये से अधिक कमा सकेंगी।

कृषि अवसंरचना निधि का विस्तार

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि अवसंरचना निधि (एआईएफ) के विस्तार को मंजूरी दी है। एआईएफ के तहत 76,400 परियोजनाओं के लिए 48,500 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। इनमें 18,606 कस्टम हायरिंग केंद्र, 16,276 प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयां, 13,724 गोदाम, 3,102 छंटाई और ग्रेडिंग इकाइयां, 1,909 कोल्ड स्टोर परियोजनाएं और लगभग 21,394 अन्य प्रकार की फसल कटाई के बाद प्रबंधन परियोजनाएं और सामुदायिक कृषि संपत्तियां शामिल हैं।

 

 

 

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