गन्ने के जूस से एथेनॉल बनाने पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को लेकर शुगर इंडस्ट्री की परेशानियों को देखते हुए सरकार अब कुछ रियायत देने के मूड में है। एथेनॉल उत्पादन के लिए 17 लाख टन चीनी के उपयोग की अनुमति का आदेश जल्द जारी हो सकता है। पिछले सप्ताह केंद्र सरकार ने चीनी उत्पादन में गिरावट के मद्देनजर एथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ना जूस के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। इस फैसले से शुगर इंडस्ट्री में हड़कंप मच गया। उद्योग जगत की ओर से इस फैसले को वापस लेने की मांग की जा रही है।
चालू सीजन 2023-24 में एथेनॉल बनाने के लिए 17 लाख टन चीनी की लिमिट के भीतर चीनी मिलों को गन्ने के रस और बी-हैवी मोलासेज (शीरे) दोनों का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी। शुक्रवार को इस मुद्दे पर मंत्रियों की समिति की बैठक हुई थी। किस अनुपात में गन्ने के रस और बी-हैवी मोलासेज से एथेनॉल उत्पादन की छूट दी जाएगी, इस पर विचार किया जा रहा है। जल्द ही इस बारे में सरकार की ओर से नया आदेश जारी हो सकता है। पिछले सीजन में कुल 38 लाख टन चीनी का इस्तेमाल एथेनॉल उत्पादन के लिए किया गया था। फूड का इस्तेमाल फ्यूल के लिए करने को लेकर भी नीतिगत बहस छिड़ी है।
इस बीच, खाद्य मंत्रालय ने सभी चीनी मिलों और डिस्टिलरीज को ताजा निर्देश जारी किया है। मंत्रालय ने कहा कि तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) "प्रत्येक डिस्टिलरी" को 2023-24 आपूर्ति वर्ष के लिए "गन्ने के रस और बी हेवी मोलासेज आधारित एथेनॉल" का "संशोधित आवंटन" जारी करेंगी। संशोधित आवंटन प्राप्त होने के बाद, चीनी मिलों और डिस्टिलरीज को गन्ने के रस और बी-हैवी मोलासेज की संशोधित मात्रा के अनुसार ही एथेनॉल की आपूर्ति करने के लिए कहा गया है।
इस साल कमजोर मानसून और मजबूत अल नीनो प्रभाव के चलते देश में गन्ना की फसल को नुकसान पहुंचा है। 2023-24 सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी उत्पादन घटकर 323-330 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि पिछले सीजन में यह 373 लाख टन था। महाराष्ट्र और कर्नाटक के गन्ने की फसल को इस साल काफी झटका लगा है।