अरहर की ई-नीलामी 18 जुलाई से शुरू करेगा नेफेड, दाल मिलों को की जाएगी बिक्री
नेफेड ने अपने ट्विटर हैंडल पर 18 जुलाई से ई-नीलामी शुरू करने की जानकारी दी है। नेफेड ने अपने ट्वीट में कहा है कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और गुजरात के पात्र दाल मिलर्स इस ई-नीलामी में हिस्सा ले सकते हैं। नीलामी में हिस्सा लेने के इच्छुक दाल मिलर्स एनसीडीईएक्स ई-मार्केट लिमिटेड, स्टार एग्री बाजार टेक्नोलॉजी लिमिटेड, ई-टेक इन्नोवेशन सर्विसेज (प्रा.) लिमिटेड, एम जंक्शन और एमएसटीसी लिमिटेड के पोर्टल पर इसके लिए पंजीकरण करा सकते हैं।
अरहर दाल की महंगाई से उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए नेफेड 18 जुलाई से साबूत अरहर की ई-नीलामी करेगा। पात्र दाल मिलर्स इस ई-नीलामी में हिस्सा ले सकेंगे। घरेलू बाजार में उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने अपने बफर स्टॉक से अरहर जारी करने का फैसला किया है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग ने नेफेड (राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ) और एनसीसीएफ (राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ) को ऑनलाइन नीलामी के जरिये दाल मिलों को अरहर का वितरण करने का निर्देश दिया है। इसी के तहत यह नीलामी की जाएगी।
नेफेड ने अपने ट्विटर हैंडल पर 18 जुलाई से ई-नीलामी शुरू करने की जानकारी दी है। नेफेड ने अपने ट्वीट में कहा है कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और गुजरात के पात्र दाल मिलर्स इस ई-नीलामी में हिस्सा ले सकते हैं। नीलामी में हिस्सा लेने के इच्छुक दाल मिलर्स एनसीडीईएक्स ई-मार्केट लिमिटेड, स्टार एग्री बाजार टेक्नोलॉजी लिमिटेड, ई-टेक इन्नोवेशन सर्विसेज (प्रा.) लिमिटेड, एम जंक्शन और एमएसटीसी लिमिटेड के पोर्टल पर इसके लिए पंजीकरण करा सकते हैं।
इससे पहले उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने बताया था कि बफर स्टॉक से 50 हजार टन अरहर की बिक्री नीलामी के जरिये खुले बाजार में की जाएगी। 2 जून को केंद्र सरकार ने अरहर और उड़द की जमाखोरी और गैर-कानूनी सट्टेबाजी को रोकने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत स्टॉक लिमिट लगा दिया था। इसके तहत 31 अक्टूबर, 2023 तक के लिए स्टॉक सीमा निर्धारित की गई है। इसके अलावा, स्टॉकिस्टों, आयातकों और दाल मिलर्स के लिए स्टॉक की घोषणा नियमित रूप से करना अनिवार्य कर दिया गया है।
दरअसल, पिछले वर्ष अरहर के उत्पादन में 7.90 लाख टन की कमी आई थी जिसकी वजह से घरेलू बाजार में आपूर्ति प्रभावित हुई और कीमतें बढ़ने लगी। उत्पादन में कमी और बढ़ती मांग को देखते हुए अरहर के निर्यातकों म्यांमार और पूर्वी अफ्रीकी देशों ने दाम बढ़ा दिए। इसके अलावा भारतीय आयातकों और स्टॉकिस्टों ने विदेशों में ही जमाखोरी करनी शुरू कर दी जिसका भी असर घरेलू कीमतों पर पड़ा।
अरहर की बढ़ती कीमतों को काबू में रखने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए हैं। इनकी वजह से पिछले एक-डेढ़ महीने से घरेलू बाजार में खुदरा दाम स्थिर हैं।