उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर बदले जा सकते हैं ब्यूरोक्रेट, जानिए क्यों ऐसा करेंगे योगी
भारतीय जनता पार्टी ने अब अपनी नजरें अगले लोकसभा चुनाव पर टिका दी हैं। आम चुनाव बस दो साल दूर हैं इसलिए भगवा पार्टी ने उस बड़ी लड़ाई के लिए जमीन अभी से तैयार करनी शुरू कर दी है। कुछ पुराने आईएएस दरकिनार कर उनकी जगह नए अधिकारी लाए जाएंगे
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू होने के बाद आने वाले हफ्तों में नौकरशाही में बड़े पैमाने पर फेरबदल की उम्मीद की जा रही है। अभी राज्य में विधान परिषद केr कई सीटों के लिए चुनाव होने हैं। इसलिए राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू है। इस कारण नौकरशाही में फेरबदल फिलहाल स्थगित है।
वैसे यह परंपरा रही है कि राज्य में जब भी कोई नई सरकार गठित होती है तो उसके विजन और एजेंडा के अनुसार अफसरशाही में फेरबदल किए जाते हैं। हालांकि योगी आदित्यनाथ 35 साल के बाद लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले पहले नेता हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने अब अपनी नजरें अगले लोकसभा चुनाव पर टिका दी हैं। आम चुनाव बस दो साल दूर हैं इसलिए भगवा पार्टी ने उस बड़ी लड़ाई के लिए जमीन अभी से तैयार करनी शुरू कर दी है।
आम चुनाव को ध्यान में रखकर ही योगी ने अपने दूसरे कार्यकाल में मंत्रिपरिषद में कई पुराने चेहरों को हटाकर नए चेहरों को जगह दी है। इसके अलावा काम के प्रदर्शन को देखते हुए कुछ मंत्रियों के विभाग भी बदले गए हैं।
राज्य में आने वाले हफ्तों में कई शीर्ष आईएएस अधिकारी रिटायर होने वाले हैं। यह भी एक कारण है कि योगी सरकार ने एग्रीकल्चरल प्रोडक्शन कमिश्नर, इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कमिश्नर, यूपी रेवेन्यू बोर्ड चेयरमैन जैसे महत्वपूर्ण पदों के लिए उत्तर प्रदेश काडर के अधिकारियों की पहचान शुरू कर दी है। विभिन्न विभागों में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी और प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पदों में भी फेरबदल किया जाना है। हालांकि चुनाव आयोग की तरफ से आचार संहिता खत्म होने के बाद ही यह किया जाएगा।
एक रोचक बात यह है कि कुछ वरिष्ठ अधिकारी यह अनुमान लगा रहे थे कि विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की हार होगी और इसलिए उन्होंने विपक्ष के नेताओं के साथ तालमेल बढ़ाना शुरू कर दिया था। उन्हें इस फेरबदल में दरकिनार किए जाने की उम्मीद है। कुछ जिला मजिस्ट्रेट और चीफ डेवलपमेंट ऑफिसर को भी किनारे किया जा सकता है। उनकी जगह नए अधिकारी नियुक्त किए जा सकते हैं ताकि 2024 के चुनावों से पहले सरकारी योजनाओं की डिलीवरी बेहतर की जा सके।