हरियाणा से ज्यादा यूपी और एमपी में पराली जलाने की घटनाएं, पंजाब में भी घटी खेतों की आग

हाल के वर्षों में हरियाणा और पंजाब में पराली की आग के मामलों में कमी आई है, जो दर्शाता है कि किसान पराली प्रबंधन को लेकर जागरूक हुए हैं। लेकिन दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने के लिए अन्य कारणों पर भी ध्यान देने की जरूरत है।

हरियाणा से ज्यादा यूपी और एमपी में पराली जलाने की घटनाएं, पंजाब में भी घटी खेतों की आग
Credit: Flickr (CIAT/NeilPalmer)

इस साल धान कटाई के बाद खेतों में पराली जलाने की घटनाएं हरियाणा से ज्यादा उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में हो रही हैं। खेतों में आग की सेटेलाइट से निगरानी में यह तथ्य सामने आया है।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा सेटेलाइट रिमोट सेंसिंग निगरानी से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, इस साल 15 सितंबर से 25 अक्टूबर के बीच उत्तर प्रदेश में पराली की आग की 849 और मध्य प्रदेश में 869 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि हरियाणा में इस दौरान 689 घटनाएं हुई हैं। इस दौरान पंजाब में खेतों की आग के सबसे ज्यादा 1749 मामले सामने आए हैं। जबकि राजस्थान में 442 और दिल्ली में 11 घटनाएं हुईं। 

15 सितंबर से 25 अक्टूबर के बीच पराली की आग के मामले 
राज्य  2024 2023 2022 2021 2020
पंजाब 1749 2704 5798 6134 16221
हरियाणा  689 871 1372 1835 1772
उत्तर प्रदेश 849 628 561 671 783
मध्यप्रदेश  869 1261 210 291 1323
राजस्थान 442 557 102 58 452
स्रोत: https://creams.iari.res.in 

पराली क्यों जलाते हैं किसान?

रबी सीजन में गेहूं की बुवाई से पहले किसान खेत साफ करने के लिए धान की पराली को आग लगा देते हैं। किसानों को अगली फसल के लिए केवल 15 दिन का समय मिलता है। साथ ही धान की पराई को आसानी से मिट्टी में मिलना संभव नहीं होता। इसलिए किसान पराली जलाकर खेत खाली करने पर जोर देते हैं। लेकिन इससे होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने पर काफी सख्ती की जा रही है। पराली जलाने वाले किसानों पर केस दर्ज हो रहे हैं और सरकारी रिकॉर्ड में रेड एंट्री की जा रही है। हरियाणा में पराली जलाने के आरोप में कई किसानों की गिरफ्तारी हुई। 

यूपी और एमपी में बढ़ी पराली जलाने की घटनाएं

सर्दियों की शुरुआत में दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए अक्सर हरियाणा और पंजाब के किसानों को जिम्मेदार ठहराया जाता है। पराली की आग को लेकर पूरा फोकस हरियाणा और पंजाब के किसानों पर रहता है। जबकि आईएआरआई के आंकड़े बताते हैं कि खेतों में आग के मामले उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में काफी बढ़े हैं। दो साल पहले वर्ष 2022 में 15 सितंबर से 25 अक्टूबर तक उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पराली जलाने के 561 और 210 मामले सामने आए थे, जो इस साल  क्रमश: 849 और 869 तक पहुंच गये हैं। जबकि पिछले दो वर्षों में हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं 1372 से घटकर 689 रह गई हैं। 

हरियाणा-पंजाब में घटे खेतों की आग के मामले

गत वर्षों में पंजाब में भी पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है, हालांकि अब भी पराली की आग के सबसे ज्यादा मामले पंजाब में हैं। साल 2022 में 15 सितंबर से 25 अक्टूबर तक पंजाब में पराली जलाने की 5,798 घटनाएं दर्ज की गई थीं जो 2023 में घटकर 2,704 और 2024 में 1,749 रह गईं।

पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर काम करने वाली संस्था क्लाइमेट ट्रेंड्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2019 से 2023 के बीच हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। हरियाणा पूरे साल में आग की घटनाओं की संख्या 2019 में 14,122 से घटकर 2023 में 7,959 रह गईं। इसी तरह, पंजाब में आग की घटनाएं 2020 में 95,048 तक पहुंच गई थीं जो 2023 में घटकर 52,722 रही थीं। रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में खेतों की आग में कमी आने के बावजूद दिल्ली की हवा पर इनका असर अब भी पड़ रहा है, क्योंकि ऐसी अधिकांश घटनाएं सितंबर से दिसंबर के बीच होती हैं।

स्रोत: https://climatetrends.in

क्लाइमेट ट्रेंड्स की रिसर्च लीड डॉ. पलक बालियान ने रूरल वॉयस को बताया कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए सिर्फ पराली की आग ही एकमात्र कारण नहीं है। यह वायु प्रदूषण के कई कारणों में से एक है। लेकिन धान की कटाई के बाद, तापमान घटने के साथ पराली की आग के चलते दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। हाल के वर्षों में हरियाणा और पंजाब में पराली की आग के मामलों में कमी आई है, जो दर्शाता है कि किसान पराली प्रबंधन को लेकर जागरूक हुए हैं। डॉ. पलक बालियान का मानना है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए अन्य कारकों जैसे वाहनों का प्रदूषण और कंस्ट्रक्शन की धूल आदि की रोकथाम पर भी ध्यान देने की जरूरत है।  

एकीकृत प्रयास जरूरी

फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर शनिवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चार राज्यों हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश व दिल्ली के कृषि मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की।

पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां का कहना है कि पराली जलाने की घटनाओं में कमी पंजाब सरकार और किसानों के ठोस प्रयासों का प्रमाण है। हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने पराली जलाने की घटनाओं में कमी का श्रेय किसानों को जागरूक करने, पराली प्रबंधन हेतु प्रोत्साहन और सब्सिडी पर कृषि यंत्र उपलब्ध करवाने जैसे प्रयासों को दिया। 

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के एक वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि पराली प्रबंधन के बारे में किसानों की जागरूकता और सहभागिता बढ़ रही है। पराली को मिट्टी में मिलाने के लिए उपयुक्त कृषि मशीनरी, पराली प्रबंधन और वैकल्पिक उपयोग बढ़ने के साथ पराली जलाने की घटनाओं में कमी आ रही है। इस मामले में समन्वित प्रयास और एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।  

 

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