खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ा, फिर भी किसानों को नहीं मिल रहा सोयाबीन का सही भाव

खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ने के बाद घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के दाम तो बढ़ने लगे हैं लेकिन सोयाबीन की कीमतों में कुछ खास बढ़ोतरी नहीं हो रही है। सोयाबीन उपज के दाम अभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे चल रहे हैं

खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ा, फिर भी किसानों को नहीं मिल रहा सोयाबीन का सही भाव

केंद्र सरकार द्वारा खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने के बाद भी सोयाबीन किसानों को उपज का सही दाम नहीं मिल पा रहा है। खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ने के बाद घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के दाम तो बढ़ने लगे हैं लेकिन सोयाबीन की कीमतों में कुछ खास बढ़ोतरी नहीं हो रही है। सोयाबीन के दाम अभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे चल रहे हैं। मध्य प्रदेश की मंडियों में नई फसल की सोयाबीन की आवक शुरू हो गई है, जिसके लिए किसानों को 4200 से 4600 रुपये प्रति क्विंटल का दाम मिल रहा है। जबकि केंद्र सरकार ने खरीफ मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए सोयाबीन का एसएसपी 4892 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। 

दूसरी ओर, रिफाइंड सोयाबीन तेल की कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। केंद्र सरकार द्वारा खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने के बाद सोयाबीन तेल की कीमतें 5.75 फीसदी तक बढ़ गई हैं। सरकार ने 13 सितंबर को खाद्य तेलों पर 20 फीसदी आयात शुल्क बढ़ाने का फैसला लिया था। केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 13 सितंबर को देश में पैक्ड रिफाइंड सोयाबीन तेल का औसत खुदरा दाम 118.81 रुपये प्रति लीटर था, जो 22 सितंबर तक बढ़कर 125.65 रुपये प्रति लीटर हो गया है। 

किसान उत्पादक संगठनों से जुड़े मध्य भारत कंसोर्टियम ऑफ एफपीओ के सीईओ योगेश द्विवेदी ने रूरल वॉयल को बताया कि मध्य प्रदेश की मंडियों में नई सोयाबीन की आवक शुरू हो गई है, लेकिन कीमतें अभी भी एमएसपी से कम बनी हुई हैं। सरकार ने किसानों को राहत पहुंचाने के लिए खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 20 फीसदी बढ़ा दिया है लेकिन इसका असर दिखने में दो-तीन महीनों का समय लगेगा। वहीं, सोयाबीन तेल की कीमतों में बढ़ोतरी इस वजह हुई है क्योंकि व्यापरियों ने बिक्री दर तो बढ़ा दी है, जबकि खरीद दर में बढ़ोतरी नहीं की है। 

संयुक्त किसान मोर्चा मध्य प्रदेश के सदस्य राम इनानिया ने बताया कि प्रदेश में विभिन्न किसान संगठन सोयाबीन की कम कीमतों को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। मौजूदा कीमतें इतनी कम हैं कि किसानों के लिए लागत निकाल पाना भी मुश्किल हो रहा है। केंद्र सरकार ने भले ही एमएसपी पर सोयाबीन खरीद और खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने का फैसला लिया है लेकिन कीमतों अभी भी एमएसपी से नीचे बनी हुई हैं। इसलिए जब तक सरकार सोयाबीन का दाम 6000 रुपये प्रति क्विंटल तय नहीं कर देती, तब तक किसानों का यह आंदोलन जारी रहेगा। 

मध्य प्रदेश कांग्रेस किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केदार शंकर सिरोही का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने से किसानों को कोई राहत नहीं मिली है। उल्टा इसका फायदा व्यापारी और खाद्य तेल कंपनियों को हो रहा है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन के दाम 4200 से 4600 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रहे हैं, जो अभी भी एमएसपी से कम हैं। दूसरी ओर खाद्य तेल कंपनियों ने सोयाबीन रिफाइंड तेल की कीमतों में बढ़ोतरी कर दी है। ऐसे में किसानों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार को और कदम उठाने की जरूरत है। 

इस साल मध्य प्रदेश में सोयाबीन का भाव पिछले 10-12 सालों के निचले स्तर पर पहुंच गया था और कीमतें 3500 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गई थीं। इसके चलते किसान विरोध-प्रदर्शन पर उतर आए। पिछले एक महीने से राज्य के किसान सोयाबीन का भाव 6000 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों के आक्रोश को देखते हुए सरकार को सोयाबीन की खरीद करने और खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने का निर्णय लेना पड़ा। फिलहाल सोयाबीन की कीमतें 4000 से 4600 रुपये प्रति क्विंटल के बीच आ गई हैं। लेकिन दाम अभी भी एमएसपी से कम हैं।  

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