ग्राम उन्नति ने मक्के को कीड़ों और बीमारियों से बचाने का किसानों को दिया प्रशिक्षण
प्रशिक्षण शिविर में किसानों को फसल बोने से लेकर कटाई के बाद तक के विभिन्न चरणों में प्रबंधन की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी गई। इस दौरान फॉल आर्मी नामक कीड़े के प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया गया जो बहुत ज्यादा हानिकारक होता है। विशेषज्ञों के एक दल ने शिविर में किसानों के साथ संवाद किया और मक्का को पशु चारे के रूप में उपयोग करने के लाभों पर भी चर्चा की।
भारत की पहली एकीकृत कृषि प्रौद्योगिकी समाधान कंपनी ग्राम उन्नति मक्के की फसल को कीड़ों और बीमारियों से बचाने के लिए नवीनतम और वैज्ञानिक गतिविधियों के बारे में किसानों को प्रशिक्षित कर रही है। ग्राम उन्नति गर्मी की धान के व्यवहारिक विकल्प के रूप में वसंत ऋतु की मक्का को बढ़ावा दे रहा है।
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के दो जिलों रामपुर और बरेली में किसानों के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। रामपुर जिला के बिलासपुर ब्लॉक और बरेली जिला के बहेरी ब्लॉक में दो दिन का प्रशिक्षण शिविर लगाया गया जिनमें सैकड़ों किसान शामिल हुए। प्रशिक्षण शिविर में किसानों को फसल बोने से लेकर कटाई के बाद तक के विभिन्न चरणों में प्रबंधन की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी गई। इस दौरान फॉल आर्मी नामक कीड़े के प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया गया जो बहुत ज्यादा हानिकारक होता है। विशेषज्ञों के एक दल ने शिविर में किसानों के साथ संवाद किया और मक्का को पशु चारे के रूप में उपयोग करने के लाभों पर भी चर्चा की। इस दल में केवीके रामपुर के वैज्ञानिक डॉ. रूपम सिन्हा और डॉ. अनुज बंसल के अलावा तकनीकी सहायक प्रवीण कुमार, विशेषज्ञ भागवत सरन, बहेरी ब्लॉक के सहायक योजना संरक्षण अधिकारी इंद्रपाल सिंह और ग्राम उन्नति के कृषि विशेषज्ञ बृज पाल सिंह शामिल थे।
ग्राम उन्नति के संस्थापक और सीईओ अनीश जैन ने कहा, " किसानों को ऐसी जलवायु-अनुकूल फसलों को अपनाने के लिए मनाने के लिए पिछले एक साल में हमने सरकार के साथ-साथ अन्य संबंधित संस्थाओं के साथ काम किया है जिनमें पानी की खपत कम हो और पैदावार अधिक हो। भोजन, चारा और भूसा के रूप में इसका विभिन्न उपयोग किसानों के जोखिम को कम करने में भी मदद करते हैं।"
उत्तर प्रदेश के रामपुर, बरेली, पीलीभीत और ऊधम सिंह नगर जिले और उसके आसपास के इलाकों के किसान पारंपरिक रूप से रबी की फसल के बाद और खरीफ की फसल से पहले कम अवधि वाली ग्रीष्मकालीन धान की फसल बोते हैं। ग्राम उन्नति इन किसानों को धान की जगह वसंत की मक्का अपनाने के लिए उनके साथ काम कर रही है। ग्राम उन्नति ने परीक्षण के तौर पर 18 महीने की शुरुआती परियोजना पर काम किया। इस दौरान 5,000 एकड़ भूमि पर धान की जगह मक्का की फसल कराने में ग्राम उन्नति सफल रही। इससे लगभग 4,000 लीटर पानी प्रति एकड़ बचाने में मदद मिली।
ग्राम उन्नति के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए इसके संस्थापक डॉ. अनुज बंसल ने कहा, ''ग्राम उन्नति ने कुछ समय पहले अनुसंधान और कुछ परीक्षण परियोजनाओं के आधार पर वसंत की मक्का को ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर उपयुक्त पाया। इसने इस क्षेत्र में अद्भुत काम किया है। कम अवधि में बड़ी संख्या में किसानों ने इस फसल की ओर रुख किया है। इस दौरान विशेष रूप से फॉल आर्मी कीड़े की शुरुआती पहचान और प्रबंधन पर किसानों ने विशेष ध्यान दिया।''
शिविर में शामिल हुए कई किसानों ने दावा किया कि उन्होंने हाल ही में वसंत की मक्का की ओर रुख किया है। इससे न सिर्फ उनकी भूजल पर निर्भरता कम हुई है बल्कि इसने कृषि को किसानों के लिए अधिक लाभकारी और पर्यावरण के लिए अधिक टिकाऊ बनाने में भी योगदान दिया है।
ग्राम उन्नति, फोर लीफ क्लोवर एग्रो प्राइवेट लिमिटेड डीपीआईआईटी से मान्यता प्राप्त एक कृषि प्रौद्योगिकी स्टार्टअप है। यह परामर्श सेवाएं, कम कीमत पर महत्वपूर्ण सूचनाएं, सीमांत किसानों को बाजार से संपर्क कराने के साथ-साथ संस्थागत खरीदारों के लिए उनकी इच्छानुसार फसल उत्पादन, रसद और कृषि उपज की गुणवत्ता नियंत्रण सेवा उपलब्ध कराती है। ग्राम उन्नति देशभर में फैले 30 जिला स्तरीय केंद्रों के माध्यम से कृषि प्रसंस्कारकों को गुणवत्तापूर्ण अनाज, तिलहन, दालें, फल और सब्जियों के लिए सीधे किसानों से संपर्क करने में मदद करता है।