चने की सरकारी खरीद शुरू, किसानों को देना पड़ सकता है एमएसपी से अधिक भाव
वर्तमान में चने का मंडी भाव एमएसपी से अधिक होने के कारण सरकारी एजेंसियों को किसानों से बाजार भाव पर चने की खरीद करनी पड़ सकती है।
चुनावी सीजन में खाद्य महंगाई को रोकने के लिए सरकार पूरा जोर लगा रही है। जिन वस्तुओं के उत्पादन में थोड़ी भी कमी की आशंका है, उनके दाम बढ़ने से रोकने के उपाय किए जा रहे हैं। इस साल देश में चना उत्पादन पिछले साल के 122.67 लाख टन से घटकर 120 लाख टन के आसपास रह सकता है। देश की प्रमुख दलहन फसल चना का बुवाई क्षेत्र वर्ष 2023-24 में पिछले साल के 104.71 लाख हेक्टेअर से घटकर 101.92 लाख हेक्टेअर रह गया है। घटे क्षेत्र और मौसम की स्थितियों को देखते हुए सरकारी अनुमानों के अनुसार चना उत्पादन 121.61 लाख टन रहेगा।
केंद्र सरकार ने चने की कीमतों पर नियंत्रण और बफर स्टॉक के लिए किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर चने की खरीद शुरू कर दी है। लेकिन मौजूदा स्थितियों को देखते हुए सरकार को चना खरीद के लिए किसानों को एमएसपी से अधिक भाव देना पड़ सकता है। क्योंकि थोक मंडियों में चने का बाजार भाव 5440 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक 5800 रुपये के आसपास चल रहा है।
वर्तमान में चने का मंडी भाव एमएसपी से अधिक होने के कारण सरकारी एजेंसियों को किसानों से चना खरीद में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। जबकि चने का बफर स्टॉक 10 लाख टन के मानक के मुकाबले घटकर 7 लाख टन के आसपास रह गया है। ऐसे में अगर चने की खरीद को बढ़ाना है तो एमएसपी से ऊपर बाजार भाव पर चने की खरीद करनी पड़ेगी, या फिर दाम कम होने का इंतजार करना होगा। हालांकि, उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे का कहना है कि चने की पैदावार कम नहीं हुई है और फिलहाल उत्पादन को लेकर कोई चिंता नहीं है।
केंद्र सरकार ने चने के उत्पादन में गिरावट की आशंका को देखते हुए पीली मटर के ड्यूटी फ्री आयात की अवधि को 30 जून तक बढ़ा दिया है। इससे देश में पीली मटर का आयात बढ़ा है जो चने के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल की जाती है। चने की नई फसल के समय पीली मटर का आयात बढ़ने से चने की कीमतों पर असर पड़ा है।
राजस्थान के किसान बलकौर सिंह ढिल्लों ने रूरल वॉयस को बताया किसान मंडी और सरकारी भाव को देखकर कुछ दिनों बाद ही अपनी उपज बाजार में लेकर आएंगे। इस साल चने की फसल ठीक है लेकिन सरकार की आयात-निर्यात की नीतियों को चलते दलहन और तिलहन में किसानों को अक्सर नुकसान उठाना पड़ता है।
सरकार को उम्मीद है कि चने की नई फसल की आवक बढ़ने से मंडियों में चने के दाम एमएसपी के स्तर पर आ जाएंगे। इससे सहकारी संस्थाओं को खरीद बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस बीच, दालों की जमाखोरी रोकने के लिए केंद्र सरकार ने व्यापारियों, आयातकों और मिलर्स के लिए 15 अप्रैल से हर सप्ताह दालों के स्टॉक की जानकारी देना अनिवार्य कर दिया है। राज्य सरकारों को दालों के स्टॉक पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गये हैं।
केंद्र सरकार के लिए चने की सरकारी खरीद बढ़ाना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि देश के लगभग 20 राज्य कल्याणकारी योजनाओं के जरिए चने का वितरण करना चाहते हैं। इससे बफर स्टॉक पर दबाव बढ़ा है और सरकारी खरीद बढ़ाने की आवश्यकता है।