किसानों को नहीं मिल रहा मूंग की एमएसपी में बढ़ोतरी का फायदा
मध्य प्रदेश में मूंग के दाम एमएसपी ने नीचे चल रहे हैं। जिससे किसानों को अपनी उपज बेचने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
केंद्र सरकार ने हाल के वर्षों में मूंग के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी की है। फसल विविधिकरण के तहत भी मूंग जैसी दलहन फसलों को उगाने पर जोर दिया जाता है। लेकिन किसानों को मूंग को सही दाम नहीं मिल पा रहा है। प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में मूंग एमएसपी से कम दाम पर बिक रही है। मूंग की सरकारी खरीद में भी किसानों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मूंग का एमएसपी 8,558 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि किसानों को 7 से 8 हजार प्रति क्विंटल में अपनी उपज बेचनी पड़ रही है।
मध्य प्रदेश सरकार ने इस बार मूंग खरीद की मात्रा 8 क्विंटल तक सीमित कर दी है। जबकि, कई जिलों में मूंग की पैदावार 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। जिस वजह से किसान अपनी पूरी उपज सरकार को नहीं बेच पा रहे हैं और उन्हें ओपन मार्केट में एमएसपी के कम दाम पर अपनी फसल बेचने को मजबूर होना पड़ा रहा है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में मूंग का औसत खुदरा कीमत 118 रुपये प्रति किलो के आसपास है। खुदरा बाजार में मूंग 120 से 150 प्रति किलो में बिक रही है। जबकि, किसानों से उनकी उपज 60 से 80 प्रति किलो में खरीदी जा रही है। यानी किसानों को उनकी उपज के लिए आधा दाम भी बड़ी मुश्किल से मिल रहा है।
मध्यप्रदेश कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केदार शंकर सिरोही ने रूरल वॉयस को बताया कि किसानों को खरीद में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पहला यह कि राज्य सरकार ने मूंग खरीद को अधिकतम 8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक सीमित कर दिया है। जबकि, राज्य में मूंग की उत्पादकता औसतन 10 से 12 कुंटल प्रति हेक्टेयर है। कई जिलों में यह 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक भी है। लेकिन खरीद की मात्रा सीमित होने के चलते किसानों को नुकसान हो रहा है और उन्हें बची हुई उपज एमएसपी ने कम दाम पर निजी व्यापारियों को बेचनी पड़ रही है।
दूसरी ओर किसानों से मूंग की प्रतिदिन खरीद मात्रा भी सरकार ने 25 क्विंटल तक सीमित कर दी है, जिसे 40 क्विंटल करने की मांग की जा रही थी। सिरोही ने कहा कि एक दिन में किसान सिर्फ 25 क्विंटल मूंग की बेच पा रहे हैं। जिससे किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए बार-बार मंडियों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने वादा किया था कि किसानों से उनकी पूरी उपज खरीदी जाएगी। लेकिन, ऐसा होता दिख नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार दालों के मामले में आत्मनिर्भरता का सपना देख रही है। वहीं दूसरी तरफ देश मे उत्पादित दलहन की खरीद में आनाकानी की जा रही है।
उधर, पंजाब में इस वर्ष सरकार ने मूंग की खरीद नहीं की है। राज्य में किसानों को एमएसपी से कम भाव पर मूंग व्यापारियों को बेचनी पड़ रही है। पंजाब राज्य कृषि विपणन बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, मई के आखिर से अब तक राज्य की मंडियों में लगभग 26,966 टन मूंग पहुंची है। इसमें से 26,865 टन मूंग एमएसपी से कम दाम पर बिकी है। इस तरह मूंग की अधिकांंश खरीद एमएसपी से नीचे हुई। इसका फायदा निजी खरीददारों ने उठाया। पंजाब में मूंग की खरीद पंजाब राज्य सहकारी आपूर्ति एवं विपणन संघ लिमिटेड (मार्कफेड) की ओर से की जाती है। लेकिन इस बार राज्य सरकार की तरफ से मूंग खरीद का आदेश जारी नहीं हुआ। यह स्थिति तब है जबकि किसानों को फसल विविधिकरण के तहत मूंग उगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। लेकिन अब मूंग का एमएसपी दिलाने की कोई व्यवस्था नहीं है।