अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ .आर एस सोढ़ी को एशिया पैसिफिक प्रॉडक्टिविटी चैंपियन पुरस्कार
गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (अमूल) के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. आर एस सोढ़ी को एशिया पैसिफिक प्रॉडक्टिविटी चैंपियन पुरस्कार दिया है। डॉ सोढ़ी पिछले 20 वर्षों में भारत की तरफ से पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति हैं।
10 जून, 2021
गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (अमूल) के प्रबंध मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. आर एस सोढ़ी को एशियाई उत्पादकता संगठन (एपीओ), टोक्यो, जापान ने प्रतिष्ठित एशिया पैसिफिक प्रॉडक्टिविटी चैंपियन पुरस्कार दिया है। डॉ. सोढ़ी पिछले 20 वर्षों में भारत की तरफ से पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति हैं। अमूल द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के तहत भारत सरकार की राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (एनपीसी) ने सर्वसम्मति से एपीओ पुरस्कार के लिए भारत से डॉ. सोढ़ी के नाम की सिफारिश की थी।
अमूल ने बताया कि गुजरात के 36 लाख दुग्ध उत्पादकों की ओर से इस अवसर पर इस डॉ. सोढ़ी ने पुरस्कार ग्रहण किया। वह इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट आनंद (इरमा) से पहले बैच के छात्र रहे हैं। उन्होंने इरमा से ग्रामीण प्रबंधन में स्नातकोत्तर पूरा करने के बाद सीधे वर्ष 1982 में अमूल में नौकरी शुरू की थी और जून 2010 में वह मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर पहुंचे। डॉ. सोढ़ी ने एनपीसी के महानिदेशक अरुण कुमार झा को पुरस्कार के लिए "मिल्क मैन" को नामित करने के लिए धन्यवाद दिया।
रुरल वॉइस से बात करते हुए पुरस्कार मिलने पर अपनी प्रतिक्रिया में डॉ. आर.एस, सोढ़ी ने कहा कि यह भारत की दुनिया में दूध की सबसे अधिक उत्पादकता-कुशल आपूर्ति श्रृंखला होने को मान्यता है। हमारे किसानों को उपभोक्ताओं द्वारा चुकाई जाने वाली कीमत का 70 से 80 फीसदी तक मिलता है जबकि विश्व में इसका औसत 35 से 40 फीसदी है।
एनपीसी प्रशिक्षण और परामर्श देने का काम करता है और कई क्षेत्रों में अनुसंधान करता है। यह टोक्यो स्थित एशियाई उत्पादकता संगठन (एपीओ) की उत्पादकता संवर्धन योजनाओं और कार्यक्रमों को भी लागू करता है, जो एक अंतर-सरकारी निकाय है। भारत इसका संस्थापक सदस्य है।
एपीओ सदस्य देशों के राष्ट्रीय उत्पादकता संगठनों (एनपीओ) से नामांकन आमंत्रित करता है। इसके क्षेत्रीय पुरस्कार हर पांच साल में प्रदान किए जाते हैं। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में उत्पादकता के काम को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
पिछले 11 साल में डॉ सोढ़ी के नेतृत्व में दुग्ध संघों के सदस्य से दूध खरीद में 2.7 गुना वृद्धि हुई है। जहां 2009-10 में प्रति दिन औसतन 91 लाख किलोग्राम से 2020-21 में प्रति दिन 246 लाख किलोग्राम खरीद हो रही है। दूध खरीद में वृद्धि की तरह इस अवधि में लगभग दूध के मूल्य में भी लगभग 2.5 गुना की वृद्धि की गई है। जहां 2009-10 में किसानों को दूध के लिए 337 रुपये प्रति किलोग्राम फैट का मूल्य था वहीं 2020-21 में 810 रुपये प्रति किलोग्राम फैट का दाम दिया जा रहा है। यह वर्षों से दुग्ध उत्पादक संघ के सदस्यों से उच्च मूल्य पर दूध खरीद औऱ बेहतर का ही परिणाम है। लाभकारी मूल्य ने दूध उत्पादन में किसानों की रुचि बनाए रखने में मदद की और उन्हें इस क्षेत्र में अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित किया।
जीसीएमएमएफ और इसके सदस्य संघों ने पिछले 22 वर्षों से न केवल विपणन, बिक्री और उत्पादन टीम के लिए बल्कि गुजरात के दूध उत्पादक सदस्यों के लिए भी विभिन्न टोटल क्वालिटी मैनेजमेंट (टीक्यूएम) कार्यक्रमों को लागू किया है। वाणिज्यिक, वैज्ञानिक, सहकारी डेयरी फार्मिंग की अवधारणा को बढ़ावा देने के साथ-साथ सभी स्तरों पर टीक्यूएम पहल डेयरी किसानों की अगली पीढ़ी को भी व्यवसाय में बनाए रखना सुनिश्चित करती है।
विज्ञप्ति के अनुसार, जीसीएमएमएफ भारत का सबसे बड़ा खाद्य उत्पाद सहकारी संगठन है जिसने पिछले वित्त वर्ष के दौरान 53 हजार करोड़ रुपये (7.3 अरब अमेरिकी डॉलर) का ग्रुप बिक्री कारोबार हासिल किया है। अगले पांच साल में इसे एक लाख करोड़ रुपये (14 अरब अमेरिकी डॉलर) पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। जीसीएमएमएफ हर साल एक नया मुकाम बना रहा है। इसके संघ के सदस्य यह सुनिश्चित करते हैं कि उपभोक्ता से मिलने वाले रुपये का लगभग 75 से 85 फीसदी हिस्सा दूध उत्पादक सदस्यों को मिले।