दिलीप संघाणी इफको के अध्यक्ष और बलवीर सिंह उपाध्यक्ष चुने गये
इफको ने निदेशक मंडल के लिए 15वीं प्रतिनिधि महासभा के चुनाव आयोजित किये, जिसमें 36 हजार से अधिक सहकारी समितियों के सदस्यों की सहभागिता रही।
सहकारी क्षेत्र के दिग्गज दिलीप संघाणी को इफको का अध्यक्ष और बलबीर सिंह को उपाध्यक्ष चुना गया है। देश की प्रमुख सहकारी संस्था इफको ने निदेशक मंडल के लिए 15वीं प्रतिनिधि महासभा के चुनाव आयोजित किये, जिसमें 36 हजार से अधिक सहकारी समितियों के सदस्यों की सहभागिता रही। मार्च के महीने में शुरू हुई यह व्यापक प्रक्रिया 9 मई को इफको सदन, नई दिल्ली में हुए निदेशक मंडल के चुनाव के साथ संपन्न हुई। इसमें दिलीप संघाणी इफको के अध्यक्ष और बलवीर सिंह उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए। गुजरात सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके पूर्व सांसद दिलीप संघाणी लगातार दूसरी बार इफको के अध्यक्ष बने हैं।
एक बयान में, इफको ने कहा कि उसने दो महीने की व्यापक, पारदर्शी और नियमानुसार प्रक्रिया के बाद अपने बोर्ड के चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कर लिए हैं। निदेशकों के 21 पदों के लिए 9 मई 2024 को इफको सदन, नई दिल्ली में चुनाव हुए थे। इस चुनाव में जगदीप सिंह नकई, उमेश त्रिपाठी, प्रह्लाद सिंह, बलवीर सिंह, रामनिवास गढ़वाल, जयेशभाई वी रदाड़िया, ऋषिराज सिंह सिसोदिया, विवेक बिपिनदादा कोल्हे, सिमाचल पाढ़ी, के श्रीनिवास गौड़ा, एस शक्तिकवेल, प्रेम चंद्र मुंशी, डॉ. वर्षा एल कस्तूरकर, दिलीप संघाणी, सुधांश पंत, आलोक कुमार सिंह, जे. गणेशन, एम.एन. राजेंद्र कुमार, पी.पी. नागी रेड्डी, बाल्मिकी त्रिपाठी और मारा गंगा रेड्डी अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र से निदेशक मंडल के सदस्य चुने गए।
इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न हुए। उन्होंने अध्यक्ष दिलीप संघाणी, उपाध्यक्ष बलवीर सिंह और निदेशक मंडल के सभी सदस्यों को उनके बहुमूल्य योगदान के लिए बधाई दी। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया में सक्रिय सहभागिता हेतु सभी सहकारी समितियों और मतदाताओं के प्रति आभार व्यक्त किया।
चुनाव पोर्टल के लॉन्च के साथ इस बार इफको के चुनाव की शुरुआत हुई थी। 36000 से अधिक सदस्य सहकारी समितियों के साथ इफको ने आम सभा सहित प्रतिनिधि महासभा के सदस्यों का चुनाव किया। यह प्रक्रिया दो महीने तक चली, जो इफको की पहुंच और संचालन की व्यापकता को दर्शाता है। इफको में इस बार नई चुनाव प्रणाली अपनाई गई जिसमें आवेदन जमा करने या नामांकन दाखिल करने के लिए दिल्ली में व्यक्तिगत उपस्थिति की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया था।