सरकार एमएसपी से कम रेट पर खुले बाजार में गेहूं बेचने को तैयार, महंगाई रोकने की कवायद
खुले बाजार में गेहूं की बिक्री के लिए सरकार ने अच्छे और औसत क्वालिटी के गेहूं का आरक्षित मूल्य 2325 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। जबकि गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार ने रबी मार्केटिंग सीजन 2025-26 के लिए 2425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है
केंद्र सरकार ने गेहूं की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के स्टॉक से 25 लाख टन गेहूं खुले बाजार में उतारने का निर्णय लिया है जो एमएसपी से कम भाव पर बेचा जाएगा। सरकार ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत थोक खरीदारों जैसे आटा मिल, प्रोसेसर्स और बिस्कुट बनाने वालों को 31 मार्च, 2025 तक 25 लाख टन गेहूं ई-ऑक्शन के जरिए बेचेगी।
इस समय बाजार में गेहूं की कीमतें 3200 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रही हैं। खुले बाजार में गेहूं की बिक्री के लिए सरकार ने अच्छे और औसत क्वालिटी के गेहूं का आरक्षित मूल्य 2325 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है जबकि गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार ने रबी मार्केटिंग सीजन 2025-26 के लिए 2425 रुपये प्रति क्विंटल है। रबी मार्केटिंग सीजन 2024-25 में गेहूं का एमएसपी 2275 रुपये प्रति क्विंटल था। यानी सरकार आगामी सीजन के लिए तय गेहूं के एमएसपी से कम रेट पर गेहूं बेचने को तैयार है। सरकार के इस कदम से गेहूं की कीमतों के गिरावट का अनुमान है। क्योंकि थोक खरीदारों को बाजार भाव से काफी कम कीमतों पर गेहूं मिल जाएगा।
ऐसे समय जब किसान सरकार से एमएसपी की कानूनी गारंटी मांग रहे हैं तब सरकार महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए बाजार में हस्तक्षेप कर एमएसपी से कम भाव पर गेहूं की नीलामी करने जा रही है। पिछले साल (2023-24) में केंद्र सरकार ने महंगाई रोकने के लिए करीब 100 लाख टन गेहूं एफसीआई के स्टॉक से खुले बाजार में उतारा था।
लगातार दो साल से देश में गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन के सरकारी आंकड़ों के बावजूद गेहूं की बढ़ती कीमतें सरकार के लिए चुनौती बनी हुई है। इसलिए सरकार को खुले बाजार में 25 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचने का निर्णय लेना पड़ा। यह स्थिति तब है जबकि साल 2023-24 में गेहूं के रिकॉर्ड 11.32 करोड़ टन उत्पादन के आंकड़े सरकार ने जारी किए हैं। इसके बावजूद देश में गेहूं की महंगाई बेकाबू क्यों है, यह बड़ा सवाल है। देश से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध है और स्टॉक लिमिट भी लागू है।
थोक खरीदार गेहूं की ऊंची कीमतों को देखते हुए खुले बाजार में गेहूं बिक्री शुरू करने की मांग कर रहे थे। बाजार में अतिरिक्त गेहूं उतारने से सरकार को गेहूं की कीमतों को कम करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, गेहूं उत्पादन के आंकड़ों और वास्तविकता में संभावित अंतर के चलते आने वाले महीनों में गेहूं आयात की नौबत भी आ सकती है।
रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन के आंकड़ों पर इसलिए भी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि रबी मार्केटिंग सीजन 2024-25 में 266 लाख टन गेहूं की खरीद हुई जो इससे पिछले सीजन में हुई 262 लाख टन की खरीद से थोड़ी ही अधिक है। इस साल मौसम के भी बिगड़े मिजाज के चलते नवंबर में कम ठंड पड़ी है जिसका असर गेहूं की बुवाई और उत्पादन पर पड़ सकता है। इस संभावित स्थिति को देखते हुए भी सरकार को गेहूं आयात के विकल्प पर विचार करना पड़ सकता है।