हरियाणा में नया नर्सरी विधेयक पारित, खराब पौध बेचने पर सख्ती
अभी तक राज्य में फल पौधशालाओं का संचालन हरियाणा फल पौधशाला अधिनियम 1961 के तहत किया जाता है। लेकिन फल के अलावा अन्य बागवानी पौधशालाओं के लिए नियामक ढांचे का अभाव है, जिसके कारण खराब गुणवत्ता की पौध सामग्री का विक्रय किया जा रहा है।

हरियाणा विधानसभा में बजट सत्र के अंतिम दिन छः विधेयक पारित किए गए। इनमें हरियाणा बागवानी पौधशाला विधेयक, 2025 भी शामिल है। इससे प्रदेश में बागवानी पौधशाला यानी नर्सरी संचालन से जुड़े नियम-कायदे सख्त हो जाएंगे। इससे नकली, रोगग्रस्त व खराब प्रजातियों की पौध बेचने वालों पर अंकुश लगेगा। प्रदेश में सभी नर्सरी संचालकों के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा। नए नर्सरी कानून के तहत एक साल तक की सजा और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
विधानसभा में शुक्रवार को हरियाणा के कृषि एवं बागवानी मंत्री श्याम सिंह राणा ने ‘हरियाणा बागवानी पौधशाला विधेयक-2025’ पेश किया था जिसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। अभी तक राज्य में फल पौधशालाओं का संचालन हरियाणा फल पौधशाला अधिनियम 1961 के तहत किया जाता है। लेकिन फल के अलावा अन्य बागवानी पौधशालाओं के लिए नियामक ढांचे का अभाव है, जिसके कारण खराब गुणवत्ता की पौध सामग्री का विक्रय किया जा रहा है। इससे बागवानी उत्पादकता में कमी और किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
हरियाणा फल पौधशाला अधिनियम, 1961 में सब्जियों, मसालों, फूलों, औषधीय और सुगंधमयी फसलों से संबंधित बागवानी पौधशालाओं के लिए गुणवत्ता नियंत्रण का प्रावधान नहीं है। इस कमी के कारण, अनधिकृत पौधशालाएं संचालित हो रही हैं। पौधशालाओं के वैज्ञानिक प्रबंधन, गुणवत्ता नियंत्रण और बेहतर नियमन की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी, ताकि किसानों को प्रमाणित एवं उच्च गुणवत्ता वाली पौध सामग्री उपलब्ध हो। इसलिए हरियाणा सरकार बागवानी पौधशालाओं के लिए एक व्यापक कानून लेकर आई।
हरियाणा बागवानी पौधशाला विधेयक, 2025 में बागवानी फसलों के तहत सब्जियां, मसाले, फल, फूल, औषधीय व सुगंधित पौधों को शामिल किया गया है। नए कानून के तहत बागवानी पौधशालाओं के संचालन के लिए निर्धारित मानकों के अनुसार पौधशाला का पंजीकरण कराना होगा। पौध की गुणवत्ता सुनिश्चित करने को नर्सरी संचालन व नियमन के लिए सख्त प्रावधान किए गये हैं।