बजट 2023-24: एफपीओ के लिए टैक्स छूट की अवधि बढ़े, मैट का प्रावधान खत्म किया जाए
सालाना 100 करोड़ रुपये तक टर्नओवर वाले एफपीओ के लिए टैक्स में छूट का प्रावधान के बावजूद उन्हें 18% न्यूनतम वैकल्पिक कर देना पड़ता है। इसे खत्म किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे छोटे किसानों के इन संगठनों को काफी परेशानी हो रही है
वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में घोषणा की गई थी कि अगले पांच वर्षों में 10 हजार नए फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (एफपीओ) खोले जाएंगे। उससे एक साल पहले 2018-19 के बजट में एफपीओ के लिए 5 साल तक टैक्स में छूट का प्रावधान किया गया था, जिसकी अवधि 2023-24 में खत्म हो जाएगी। नए एफपीओ को भी टैक्स छूट का फायदा मिलता रहे, इसलिए टैक्स छूट की अवधि बढ़ाई जानी चाहिए। यह कहना है मध्य भारत कंसोर्टियम ऑफ एफपीओ के सीईओ योगेश द्विवेदी का।
मैट का प्रावधान खत्म होना चाहिए
उन्होंने कहा कि सालाना 100 करोड़ रुपये तक टर्नओवर वाले एफपीओ के लिए टैक्स में छूट का प्रावधान के बावजूद उन्हें 18% न्यूनतम वैकल्पिक कर (MAT) देना पड़ता है। इसे खत्म किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे छोटे किसानों के इन संगठनों को काफी परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार इसे पूरी तरह खत्म नहीं करना चाहती तो वह एफपीओ के टर्नओवर की सीमा तय कर सकती है। उस सीमा से कम टर्नओवर वाले एफपीओ को मैट से छूट होनी चाहिए।
रजिस्ट्रेशन से पहले छानबीन होनी चाहिए
द्विवेदी के अनुसार एफपीओ का रजिस्ट्रेशन करने से पहले उनकी अच्छी तरह जांच की जानी चाहिए। एफपीओ बनाने का उद्देश्य छोटे किसानों की मदद करना था। कॉन्सेप्ट यह था कि जो छोटे किसान अपनी जरूरत से ज्यादा पैदावार करते हैं, उन्हें अपनी उपज बाजार में बेचने में आसानी हो। लेकिन वास्तव में एक ही व्यापारी परिवार के कई लोग मिलकर एफपीओ बना ले रहे हैं। अभी हर ब्लॉक में एक एफपीओ का नियम है। कुछ जगहों पर कॉरपोरेट को भी एफपीओ बनाने की जिम्मेदारी दे दी गई है। इस पर अंकुश लगना चाहिए।
बैंक मांगते हैं दो साल की बैलेंस शीट
द्विवेदी के अनुसार सरकार ने यह प्रावधान तो कर दिया कि एफपीओ के कर्ज की गारंटी सरकार की होगी, लेकिन बैंक उससे संतुष्ट नहीं होते। बैंक एफपीओ से कम से कम दो साल की बैलेंस शीट मांगते हैं। इस तरह के प्रावधान के चलते नए एफपीओ को तो कर्ज मिल ही नहीं पाता है। द्विवेदी का कहना है कि एफपीओ को कर्ज के लिहाज से प्राथमिकता क्षेत्र में रखा जाना चाहिए।
एफपीओ को मंडी टैक्स में छूट मिले
उन्होंने एफपीओ को मंडी टैक्स में छूट देने की मांग भी की। उन्होंने कहा, भले ही पूरा टैक्स माफ ना किया जाए, सरकार कुछ रियायत तो दे ही सकती है। तभी छोटे किसानों के संगठन बड़े व्यापारियों के सामने प्रतिस्पर्धा में टिक पाएंगे। उन्होंने कहा कि कृषि में प्राकृतिक जोखिम ज्यादा होता है। इसलिए उन्हें इंडस्ट्री की तुलना में ज्यादा सहूलियत की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो कृषि में कोई निवेश करने के लिए तैयार नहीं होगा।