तीन दिन धरने के बाद हरियाणा प्रशासन ने उत्तर प्रदेश के किसानों को दी धान बेचने की अनुमति
हरियाणा में बिक्री के लिए उत्तर प्रदेश से आने वाले धान पर लगी रोक को समाप्त कर उत्तर प्रदेश के किसानों द्वारा हरियाणा में धान की बिक्री का रास्ता साफ कर दिया है। इसके पहले हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के आदेश के बाद करनाल जिला प्रशासन ने उत्तर प्रदेश के किसानों को हरियाणा में धान बेचने पर रोक लगा दी थी। जिसके विरोध में किसानों ने शामली जिले में मेरठ-करनाल हाइवे पर धरना शुरू कर दिया था। इस स्थिति में शामली जिले के उत्तर प्रदेश -हरियाणा सीमा पर धान से लदी करीब 500 ट्रैक्टर ट्रॉलियां फंस गई थी। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के कार्यकर्ताओं ने यमुना ब्रिज पर प्रदर्शन शुरू कर उसे धऱने में तब्दील कर दिया था। तीन दिन धरना चलने और भारी जाम लगने के बाद शुक्रवार की आधी रात को हरियाणा सरकार ने उत्तर प्रदेश के किसानों को धान की ट्रैक्टर ट्रालियां हरियाण ले जाने की अनुमति दी
हरियाणा में बिक्री के लिए उत्तर प्रदेश से आने वाले धान पर लगी रोक को समाप्त कर उत्तर प्रदेश के किसानों द्वारा हरियाणा में धान की बिक्री का रास्ता साफ कर दिया है। इसके पहले हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के आदेश के बाद करनाल जिला प्रशासन ने उत्तर प्रदेश के किसानों को हरियाणा में धान बेचने पर रोक लगा दी थी। जिसके विरोध में किसानों ने शामली जिले में मेरठ-करनाल हाइवे पर धरना शुरू कर दिया था। इस स्थिति में शामली जिले के उत्तर प्रदेश -हरियाणा सीमा पर धान से लदी करीब 500 ट्रैक्टर ट्रॉलियां फंस गई थी। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के कार्यकर्ताओं ने यमुना ब्रिज पर प्रदर्शन शुरू कर उसे धऱने में तब्दील कर दिया था। तीन दिन धरना चलने और भारी जाम लगने के बाद शुक्रवार की आधी रात को हरियाणा सरकार ने उत्तर प्रदेश के किसानों को धान की ट्रैक्टर ट्रालियां हरियाण ले जाने की अनुमति दी।
शामली में हरियाणा सीमा पर यमुना पुल पर गुरुवार से किसानों के धरने के चलते मेरठ-करनाल हाइवे पर बिडौली यमुना पुल से झिंझाना की ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई थी। भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष कपिल खटियान वहां किसानों और कार्यकर्ताओं के साथ धरने पर बैठे गये थे।
कपिल खटियान ने रूरल वॉयस को बताया कि उत्तर प्रदेश के किसान अपनी उपज को बेहतर कीमत पर बेचने के लिए हरियाणा जाते हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से हरियाणा इसकी अनुमति देने से हिचक रहा है। नियमों के अनुसार, किसान अपनी फसल कहीं भी बेच सकते हैं। लेकिन सरकारें किसानों को अपमानित कर रही हैं। खटियान ने बताया कि हरियाणा पुलिस ने किसानों पर लाठियां बरसाईं और किसानों के साथ दुर्व्यवहार किया। हरियाणा पुलिस की कार्रवाई का विरोध करते हुए उत्तर प्रदेश के किसानों ने सीमा पर जाम लगा दिया था। करीब 40 घंटे चक्का जाम के बाद हरियाणा ने उत्तर प्रदेश के किसानों हरियाणा में जाने के लिए अनुमति दे दी है। पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान बासमती धान की बिक्री के लिए हरियाणा मजबूरी में जाते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को बासमती धान की बिक्री करने के लिए हरियाण ही जाना पड़ता है क्योंकि उत्तर प्रदेश में इसका मार्केट नहीं है जहां किसान इस धान को बेच सकें।
हालांकि शामली जिले में राज्य सरकार ने गैर बासमती धान कि खरीद के लिए 12 बनाने की घोषणा की है लेकिन यह सांकेतिक खरीद है और उनके बाद धान खरीदने की पुख्ता व्यवस्था नहीं है।
किसानों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में उचित खरीद व्यवस्था नहीं होने के कारण उन्हें हरियाणा के व्यापारियों को अपनी फसल बेचनी पड़ रही है। हरियाणा की मंडियों में एजेंट किसानों को तुरंत भुगतान करते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में उन्हें भुगतान देर से मिलता है।