वैश्विक कमोडिटी कीमतें 2026 तक छह वर्षों के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने की संभावना: विश्व बैंक
कमजोर आर्थिक वृद्धि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक और झटका है, जो पहले से ही एक अत्यंत अस्थिर दशक से गुजर रही है। 1970 के दशक के बाद से कमोडिटी कीमतों में इतनी अधिक अस्थिरता कभी नहीं देखी गई। व्यापार तनाव, भू-राजनीतिक जोखिम और मौसम से जुड़ी आपदाओं के कारण अस्थिरता की आशंका और बढ़ गई है।

वैश्विक आर्थिक वृद्धि की रफ्तार धीमी पड़ने और तेल की प्रचुर आपूर्ति के चलते वैश्विक कमोडिटी कीमतें 2020 के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच सकती हैं। विश्व बैंक की नवीनतम Commodity Markets Outlook रिपोर्ट के अनुसार, यह गिरावट जहां निकट भविष्य में व्यापार प्रतिबंधों से उत्पन्न मुद्रास्फीति के जोखिमों को कुछ हद तक कम कर सकती है, वहीं यह दो-तिहाई विकासशील देशों की आर्थिक प्रगति को प्रभावित भी कर सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक कमोडिटी कीमतों में 2025 में 12% और 2026 में अतिरिक्त 5% की गिरावट आने की संभावना है। यद्यपि नॉमिनल टर्म में कीमतें कोविड-19 से पहले के स्तर से ऊपर रहेंगी, परंतु मुद्रास्फीति समायोजित कीमतें 2015 से 2019 की औसत कीमतों से भी नीचे आ सकती हैं। यह COVID-19 के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार और 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले से आई तेजी के अंत का संकेत है।
कमजोर आर्थिक वृद्धि की यह स्थिति वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक और झटका है, जो पहले से ही एक अत्यंत अस्थिर दशक से गुजर रही है। 1970 के दशक के बाद से कमोडिटी कीमतों में इतनी अधिक अस्थिरता कभी नहीं देखी गई। व्यापार तनाव, भू-राजनीतिक जोखिम और मौसम से जुड़ी आपदाओं के कारण अस्थिरता की आशंका और बढ़ गई है।
विश्व बैंक समूह के मुख्य अर्थशास्त्री और विकास अर्थशास्त्र के वरिष्ठ उपाध्यक्ष इंदरमीत गिल ने कहा, “कमोडिटी की ऊंची कीमतें कई विकासशील देशों के लिए वरदान साबित हुई हैं, जिनमें से दो-तिहाई देश निर्यातक हैं। लेकिन अब हम पिछले 50 वर्षों की सर्वाधिक अस्थिरता देख रहे हैं। इससे बचाव के लिए विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को तीन कदम उठाने होंगे: पहला, राजकोषीय अनुशासन बहाल करना; दूसरा, निजी पूंजी को आकर्षित करने के लिए व्यापार-अनुकूल माहौल बनाना; तीसरा, जहां भी अवसर हो, व्यापार को आसान बनाना।
वैश्विक कमोडिटी कीमतों में गिरावट 2023 से जारी है, जिससे वैश्विक मुद्रास्फीति में भी कमी आई है। यह गिरावट 2025 में और तेज होने की संभावना है, जिससे प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में ऊंचे टैरिफ के प्रभाव को कुछ हद तक संतुलित किया जा सकता है।
2025 में ऊर्जा कीमतों में 17% की गिरावट और 2026 में और 6% की गिरावट की संभावना है। ब्रेंट क्रूड ऑयल की औसत कीमत 2025 में $64 प्रति बैरल रहने की संभावना है, जो 2024 की तुलना में $17 कम है, और 2026 में $60 प्रति बैरल तक जा सकती है। कोयले की कीमतों में इस वर्ष 27% और 2026 में अतिरिक्त 5% की गिरावट की उम्मीद है, क्योंकि विकासशील देशों में कोयले से बिजली उत्पादन की गति धीमी हो रही है।
कमजोर आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ वैश्विक तेल मांग में दीर्घकालिक मंदी की संभावना है। 2025 में वैश्विक तेल आपूर्ति, मांग से प्रतिदिन 0.7 मिलियन बैरल अधिक रहने की संभावना है। इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने के कारण भी तेल की मांग पर असर पड़ा है। विश्व के सबसे बड़े ऑटोमोबाइल बाजार चीन में पिछले साल खरीदी गई नई कारों में 40% से अधिक बैटरी चालित या हाइब्रिड थीं। यह संख्या 2021 के मुकाबले लगभग तीन गुना अधिक है।
सोने की कीमतें 2025 में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच सकती हैं। अगले दो वर्षों में सोने की कीमतें, महामारी पूर्व पांच वर्षों की औसत कीमतों से लगभग 150% अधिक रहने की संभावना है। इसके विपरीत, औद्योगिक धातुओं की कीमतों में गिरावट की उम्मीद है, विशेषकर चीन के रियल एस्टेट क्षेत्र में सुस्ती और व्यापार तनाव के चलते।
खाद्य कीमतों में गिरावट की संभावना— खाद्य वस्तुओं की कीमतों में 2025 में 7% और 2026 में 1% की अतिरिक्त गिरावट की संभावना है। फिर भी, संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि विश्व स्तर पर सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में विकट खाद्य असुरक्षा इस वर्ष और अधिक बढ़ जाएगी, जिससे 22 अत्यधिक कमजोर अर्थव्यवस्थाओं के 17 करोड़ लोग प्रभावित होंगे। मानवीय सहायता के लिए फंडिंग की कमी के बीच खाद्य कीमतों में गिरावट से मानवीय प्रयासों को कुछ मदद मिल सकती है। हालांकि, इससे भुखमरी की समस्या हल नहीं होगी।
विश्व बैंक की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत का कृषि क्षेत्र वैश्विक कमोडिटी कीमतों में गिरावट, बढ़ते व्यापार तनाव और बढ़ते जलवायु जोखिमों के बीच अत्यधिक अनिश्चितता के दौर में प्रवेश कर रहा है। हालांकि, खाद्य कीमतों में अनुमानित गिरावट उपभोक्ताओं को कुछ राहत दे सकती है, लेकिन रिपोर्ट किसानों पर बढ़ते दबाव और जलवायु-अनुकूल नीतियों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है।