युवाओं को कृषि से जोड़ना होगाः कैलाश चौधरी

केंद्रीय  कृषि एवं  किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने युवा वर्ग को कृषि जुड़ने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि हमें कृषि और किसानों की हालत को मजबूत कर युवाओं को कृषि क्षेत्र में जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। किसान दिवस के मौके पर डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म रूरल वॉयस की पहली वर्षगांठ पर आयोजित रुरल वॉयस एग्रीकल्चल कॉन्क्लेव एंड NEDAC अवार्ड्स 2021 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बातें कहीं

युवाओं को कृषि से जोड़ना होगाः कैलाश चौधरी

 केंद्रीय  कृषि एवं  किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने युवा वर्ग को कृषि जुड़ने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि हमें कृषि और किसानों की हालत को मजबूत कर युवाओं को कृषि क्षेत्र में जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। किसान दिवस के मौके पर डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म रूरल वॉयस की पहली वर्षगांठ पर आयोजित रुरल वॉयस एग्रीकल्चल कॉन्क्लेव एंड NEDAC अवार्ड्स 2021 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि रूरल वॉयस देश में गांवों की आवाज को आगे ला रही है। उन्होंने  कहा कि, युवा कृषि से दूर हो रहे हैं । इसलिए सरकार को इस पेशे को लाभकारी बनाने के लिए कार्य कर रही है। चौधरी ने कहा  कि हम हमेशा एक गरीब किसान के बारे में बात करते हैं। यानि किसान को  हम समाज में हमेशा गरीब के रूप प्रस्तुत करतें है और व्यापारी को  एक अमीर व्यापारी के रूप में हर जगह प्रस्तुत किया जाता रहा है जिससे कृषि से जुड़ने वाले युवाओं के मन में  हमेशा किसान बनने मतलब हमेशा गरीब किसान की ही धारणा बन जाती है । इस स्टीरियोटाइप को दूर करने की जरूरत है।

एग्रीकल्चर एंड रूरल प्रास्परिटी थ्रू कोआपरेटिव एंड फारमर्स कलेक्टिव्ज

इस कॉन्क्लेव में तीन सत्र हुए । पहला सत्र एग्रीकल्चर एंड रूरल प्रास्परिटी थ्रू कोआपरेटिव एंड फारमर्स कलेक्टिव्ज पर था। इसके प्रतिभागी प्रो. रमेश चंद, सदस्य नीति आयोग(कृषि), संदीप के नायक, डीजी, एनपीसी, देवेंद्र कुमार सिंह, सचिव, सहकारिता मंत्रालय,और डॉ यूएस अवस्थी, एमडी, इफको थे । इस  सत्र का संचालन हरवीर सिंह ने किया।

प्रो. चंद ने कहा कि, 'ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आवाज आमतौर पर पक्षपाती होती है। अगर आप तटस्थ रुख बनाए रखते हैं, तो आप आने वाले लंबे समय में सफल रहेगें। चंद के अनुसार, सहकारिता जरूरी है क्योंकि “बाजार हमेशा परिपूर्ण और प्रतिस्पर्धी नहीं होते हैं। बाजार की विफलता के मामले में,

कोआपरेटिव शायद सबसे अच्छे विकल्पों में से हैं। उन्होंने अफसोस जताया कि जब कोआपरेटिव आकार में आया , तो अमूल जैसी बड़ी सहकारी संस्था भी दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी समितियों में नहीं थी।लेकिन चंद के अनुसार सहकारी समितियों की सबसे बड़ी भूमिका आश्रित कृषि से आत्मनिर्भर कृषि में परिवर्तन करने में है।

संदीप नायक ने कहा कि "सहकारिता प्रणाली में फ्लो होने वाली  क्रेडिट में भारी कमी आई है । इस बात को एनसीडीसी और नाबार्ड द्वारा ध्यान में लाने की जरूरत है।

देवेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय को तीन आयामो पर  फोकस करने की जरूरत है । पहला  पैक्स का कम्प्यूटरीकरण; दूसरा सहकारी समितियों पर राष्ट्रीय नीति लाना;और तीसरा सहकारिता को मुख्य धारा में लाना  ।

डॉ यूएस अवस्थी ने कहा, "हमें अपने सोचने के तरीके को बदलने की जरूरत है। हर मॉडल सफल नहीं हो सकता है, लेकिन जो मायने रखता है वह है सोचने का तरीका।" उन्होंने निष्कर्ष निकाला, "हमें सफल होने के लिए एक भारतीय तरीके को अपनाने की जरूरत है।"

 

एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी  

एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी  के विषय पर दूसरे सत्र में डॉ आरएस परोदा, अध्यक्ष, टीएएएस और पूर्व डीजी, आईसीएआर; डॉ त्रिलोचन महापात्र, महानिदेशक, आईसीएआरऔर नाबार्ड के पूर्व अध्यक्ष हर्ष कुमार भनवाला ने भाग लिया । इसके मॉडरेटर जेएनयू के प्रोफेसर डॉ विश्वजीत धर थे।

 डॉ महापात्र ने उदाहरण दिया कि कैसे टेक्नोलॉजी ने कृषि को आगे बढ़ने में मदद की। गन्ने की सीओ-0238 किस्म और चीनी की रिकवरी दर में सुधार ने चीनी उत्पादन को बढ़ावा दिया। नैनो यूरिया और ड्रोन तकनीक अन्य प्रमुख योगदान हैं।

भानवाला ने कृषि के लिए "फंड के लिए भी फंड" का विचार रखा, जैसा कि हमारे पास एमएसएमई के लिए फंड है। उन्होंने यह भी कहा की आज के वक्त में स्टार्ट-अप के साथ सहकारी समितियों को भागीदारी करने की जरूरत है।

डॉ परोदा ने कहा कि जीनोम-एडिटिंग जैसी तकनीकों से लाभ उठाने के लिए हमें एक लंबा रास्ता तय करना है। उन्होंने युवाओं को " टेक्नोलॉजी एजेंट" बनाने की जरूरत पर बल दिया। इसके अलावा, उन्होंने कहा, अगर हमें 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के प्रधान मंत्री के सपने को हासिल करना चाहते  है, तो इसमे से कम से कम एक ट्रिलियन कृषि से आना होगा।

पुरस्कार वितरण समारोह

इस अवसर पर रूरल वॉयस वेबसाइटों के चुनिंदा लेखों का संकलन एक पुस्तिका के रूप में जारी किया गया। इसके बाद केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी द्वारा NEDAC रूरल वॉयस अवार्ड्स 2021 दिए गए। पुरस्कार पाने वालों में बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव्स (बाक) शामिल हैं, जो 1966 में स्थापित एक राज्य के स्वामित्व वाला विशेष वित्तीय सेवा प्रदाता है; एशिया-प्रशांत ग्रामीण और कृषि ऋण संघ (अपराका), जिसे एफएओ  के तत्वावधान में स्थापित किया गया था और राष्ट्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड (एनसीबीएल), जिसे 2003 में स्थापित किया गया था, राष्ट्रीय स्तर पर नेपाल के  एकमात्र राष्ट्रीय सहकारी बैंक के रूप में है। बलजीत सिंह रेडू, सीएमडी, लक्ष्य फूड को कृषि और डेयरी में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

एनेबलिंग प़ॉलिसी इनवायरन्मेंट फ़ॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल सेक्टर

समापन सत्र "के विषय  एनेबलिंग प़ॉलिसी इनवायरन्मेंट फ़ॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल सेक्टर इस विषय पर आयोजित किया गया था। प्रतिभागियों में भारत कृषक समाज के अध्यक्ष अजय वीर जाखड़, जे.डी.यू  के महासचिव केसी त्यागी,बद्री नारायण चौधरी, महासचिव, भारतीय किसान संघ; डीसीएम श्रीराम लिमिटेड से रोशन लाल तमक; और डीएन ठाकुर, अध्यक्ष, सहकार ने भाग लिया।

बद्री नारायण चौधरी ने चुटकी लेते हुए कहा, 'जब किसानों की बात करने की बारी आई तो न मंत्री रुके और न ही अधिकारी। उनका मानना था कि यह किसानों की उपेक्षा का प्रतीक है। तमक ने कृषि करने में आसानी के बारे में बताया। त्यागी ने कहा कि कैसे चौधरी चरण सिंह चाहते थे कि किसान बोलना सीखें और अपने दुश्मनों की पहचान कैसे करें। और आज, किसानों ने बोलना सीख लिया है - वर्तमान किसान आंदोलन का एक बड़ा लाभ है कि किसान हर क्षेत्र में भागीदारी की मांग कर रहा है।

डीएन ठाकुर ने रूरल वॉयस को उसकी सफलता के लिए बधाई दी। जहां तक नीति निर्माण का सवाल है,तो  उन्होंने भी सवाल उठाया: नीति किसके लिए? किसानों के लिए ? या बाजारों के लिए?’’ उन्होंने नीतियों की तुलना उस दावत से की जो मेहमानों को पसंद नहीं आती थी। उन्होंने कहा, "आप मेरे सामने छप्पनभोग लगा सकते हैं, लेकिन अगर मुझे मधुमेह है तो क्या वास्तव मे मुझे इस छप्पनभोग का आनंद प्राप्त होगा या फिर आगे चल के ये मेरे लिए सजा बन जाएगी ?"निष्कर्ष यह था कि जिन किसानों के लिए नीति बनाई जा रही है उन से परामर्श करना बेहद जरुरी है ।

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