वॉलमार्ट फाउंडेशन ने भारत में कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने के लिए 27.8 लाख डॉलर के तीन नए अनुदानों की घोषणा की है। इस फंडिंग के माध्यम से नेशनल एंटरप्रेन्योरशिप नेटवर्क (एनईएन), टाटा-कॉर्नेल इंस्टीट्यूट फॉर एग्रीकल्चर एंड न्यूट्रिशन (टीसीआई) के सहयोग से कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और प्रेसिजन डेवलपमेंट (पीएक्सडी) का मकसद संयुक्त रूप से भारत में 3 लाख से ज्यादा किसानों तक लाभ पहुंचना है।
इस पहल के तहत तकनीक-संचालित उपायों से किसानों की आय बढ़ाना, बाजार तक उनकी पहुंच में सुधार करना और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करना है। वॉलमार्ट फाउंडेशन का लक्ष्य 2028 तक भारत के कृषि क्षेत्र में 50 फीसदी महिलाओं सहित 10 लाख छोटे किसानों तक पहुंचना है।
वॉलमार्ट फाउंडेशन की वाइस प्रेसिडेंट जूली गेर्की ने कहा, "भारत में कृषि क्षेत्र को उन्नत करने में छोटी जोत वाले किसानों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। हमारे अनुदान प्राप्तकर्ता सतत कृषि प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने, छोटी जोत वाले किसानों के लिए ज्यादा अवसर सृजित करने और टेक्नोलॉजी द्वारा संचालित समाधानों तक पहुंच बढ़ाने के लिए एफपीओ में निवेश कर रहे हैं। इनसे ऐसे किसानों को मदद मिलती है, जिनके पास वित्तीय संसाधनों की कमी है। इससे उनकी आय में उल्लेखनीय सुधार होगा। हम एक मजबूत इकोसिस्टम तैयार करने और किसानों को सशक्त करने के लिए ज्यादा समावेशी मूल्य श्रृंखला बनाने की दिशा में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, एनईएन और पीएक्सडी के टेक्नोलॉजी आधारित समाधानों के लिए उत्साहित हैं।"
नेशनल एंटरप्रेन्योरशिप नेटवर्क (एनईएन) को 15 लाख डॉलर से अधिक का अनुदान अनाज मूल्यांकन के लिए नए एआई आधारित समाधान विकसित करने के लिए दिया गया है। यह अनुदान मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के किसानों को सोयाबीन की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने और बेहतर बाजार पहुंच प्राप्त करने में मदद करेगा। इसके तहत, एनईएन का एआई-आधारित ऐप खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी योगदान देगा। इसके अलावा, एनईएन का लक्ष्य अन्य एग्री-टेक प्लेटफार्मों में एआई मॉडल को एकीकृत करना है, ताकि यह कृषि के लिए एक डिजिटल सार्वजनिक संसाधन (डीपीजी) के रूप में काम कर सके, जो अनाज की गुणवत्ता के मूल्यांकन और प्रशिक्षण को सक्षम बनाएगा।
वॉलमार्ट फाउंडेशन ने टाटा-कॉर्नेल इंस्टीट्यूट फॉर एग्रीकल्चर एंड न्यूट्रिशन (टीसीआई) द्वारा समर्थित कॉर्नेल यूनिवर्सिटी को 9.9 लाख डॉलर का अनुदान प्रदान किया है। इसका उद्देश्य कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के एफपीओ प्लेटफॉर्म 'माय एफपीओ कनेक्ट' को और विकसित करना है, जिसे अगस्त 2021 में दिल्ली के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) में एक हब के रूप में लॉन्च किया गया था। यह वेब-आधारित प्लेटफॉर्म 33,000 से अधिक एफपीओ से संबंधित जानकारी का सिंगल-पॉइंट सोर्स है, जिससे उत्पादक संगठनों को ढूंढना आसान हो जाता है। प्लेटफॉर्म के जरिए एफपीओ, शोधकर्ता और हितधारक फसलों, प्रायोजक एजेंसियों और वित्तीय आंकड़ों से जुड़ी विस्तृत जानकारी इंटरैक्टिव डैशबोर्ड के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, एफपीओ मॉडल की बेहतर समझ के लिए इसे क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध कराया जाएगा।
प्रेसिजन डेवलपमेंट (पीएक्सडी) कस्टमाइज्ड एडवाइजरी (सलाह) देते रहने के लिए आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में छोटे कॉफी किसानों के साथ काम जारी रखेगा। यह 2.6 लाख डॉलर का अनुदान वॉलमार्ट फाउंडेशन की ओर से पीएक्सडी को मिला दूसरा अनुदान है। नया अनुदान पीएक्सडी की डिजिटल एडवाइजरी सर्विस कॉफी कृषि तरंग (सीकेटी) को कॉफी बोर्ड ऑफ इंडिया के साथ संस्थागत करेगा, ताकि किसानों को खेती की जानकारी, मूल्य अपडेट और कॉफी उद्योग के विकास तक निरंतर पहुंच प्रदान की जा सके। यह सीकेटी में वॉयस-बेस्ड, प्रोवाइडर एग्नोस्टिक मौसम पूर्वानुमान सेवा को इंटीग्रेट करने में भी मदद करेगा और कॉफी बोर्ड के लिए प्रमुख कृषि प्रक्रियाओं पर वीडियो तैयार करेगा।
पीएक्सडी की डिजिटल कृषि सेवाओं ने पहले भी किसानों के सतत जुड़ाव को बढ़ावा दिया है। इसमें जारी किए जाने वाले नियमित मतदान के परिणाम जानकारी में बढ़ोतरी का भी संकेत देते हैं। 90 हजार किसानों के साथ सीकेटी किसानों की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार अपनी ऑफरिंग्स में बदलाव करता रहता है। नए अनुदान का लक्ष्य 1 लाख 30 हजार से अधिक छोटे किसानों तक पहुंचना है।
पीएक्सडी के प्रोग्राम हेड गगनदीप कौर ने कहा, "हम वॉलमार्ट फाउंडेशन की ओर से निरंतर मिलने वाले समर्थन की सराहना करते हैं। यह अनुदान किसानों को सतत कृषि प्रक्रियाएं अपनाने के लिए जरूरी उपकरण एवं संसाधन उपलब्ध कराते हुए सशक्त बनाने में सहायक होगा, जिनमें से 50 फीसदी महिलाएं होंगी। इससे आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में कॉफी उत्पादक समुदायों को मजबूत किया जा सकेगा, जिससे उनकी आय बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।"