टमाटर की महंगाई ने बिगाड़ा रसोई का बजट, भीषण गर्मी से उत्पादन प्रभावित

टमाटर की कीमत खुदरा बाजार में 70-80 रुपये तक पहुंच गई है। पिछले महीने तक पड़ी भीषण गर्मी के चलते टमाटर की फसल प्रभावित हुई है। इस वजह से मुख्य उत्पादक राज्यों से आवक कम हो गई है और दाम तेजी से बढ़े हैं।

टमाटर की महंगाई ने बिगाड़ा रसोई का बजट, भीषण गर्मी से उत्पादन प्रभावित

प्याज के बाद अब टमाटर ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। बीते एक महीने में टमाटर के दाम लगभग दोगुने हो गए हैं। एक महीने पहले तक 40 से 50 रुपये प्रति किलो बिकने वाला टमाटर अब 70-80 रुपये तक पहुंच चुका है। दिल्ली-एनसीआर में टमाटर 70 से 80 रुपये किलो के भाव बिक रहा है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग की प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के अनुसार, देश भर में टमाटर की औसत खुदरा कीमत 58.25 रुपये किलो है, जो महीने भर पहले की कीमत 35.39 रुपये से करीब 64 फीसदी अधिक है।

टमाटर की कीमतें बढ़ने के पीछे भीषण गर्मी और हीट वेव बड़ी वजह हैं। पिछले महीने तक पड़ी भीषण गर्मी के चलते टमाटर की फसल प्रभावित हुई है। इस वजह से मुख्य टमाटर उत्पादक राज्यों से टमाटर की आवक कम हो गई है और दाम तेजी से बढ़े हैं। हालांकि टमाटर अब भी पिछले साल से सस्ता बिक रहा है। पिछले साल इस समय तक टमाटर के दाम 150 रुपये प्रति किलो से ऊपर पहुंच गये थे। व्यापारियों का कहना है कि इस साल टमाटर की कीमतें उतनी नहीं बढ़ेंगी। नई फसल आने के बाद दाम कम होंगे।

किसानों को मिल रहे 25 से 30 रुपये 
बाजार में भले ही टमाटर की कीमतें 70-80 रुपये तक पहुंच गई हों, लेकिन किसानों को इसका आधा दाम भी नहीं मिल रहा। किसानों को प्रति किलो 25 से 30 रुपये में बेचना पड़ रहा है। टमाटर की उत्पादन लागत 20 से 22 रुपये तक है। किसानों का कहना है कि कीमतें हर साल बढ़ती हैं। लेकिन, बिचौलियों के कारण उन्हें कुछ खास मुनाफा नहीं होता। हालांकि, कीमतें बढ़ने से उन्हें थोड़ी राहत जरूर मिलती है। लेकिन, यह साल के सिर्फ कुछ ही महीनों में होता है।    

क्यों बढ़ रहे टमाटर के दाम
भारत में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और दक्षिण भारत के राज्यों में टमाटर का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है। लेकिन, अप्रैल और मई में पड़ी भीषण गर्मी के चलते टमाटर के उत्पादन पर असर पड़ा है। साथ ही हीटवेव के कारण कई क्षेत्रों में टमाटर की फसल खराब हुई है। रूरल वॉयस से बात करते हुए भारतीय सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष श्रीराम गाढवे ने कहा कि अप्रैल-मई में इस बार भीषण गर्मी पड़ी थी, जिस वजह से महाराष्ट्र में 80 फीसदी उत्पादन प्रभावित हुआ है।

उन्होंने कहा कि गर्मी ज्यादा होने से टमाटर की फसल में कीट लग जाते हैं। साथ ही पिछले 3 सालों से रसेट माइट, व्हाइटफ़्लाई और वायरस इंफेक्शन के चलते भी आवक लगातार कम हुई है। उन्होंने कहा कि यही हाल दक्षिण भारत का भी है। पहले गर्मी के कारण उपज प्रभावित हुई और अब बारिश के कारण फसल खराब हो रही है। इस वजह से उत्तर भारत में टमाटर की सप्लाई पर असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के मुकाबले उत्तर भारत में टमाटर के दाम ज्यादा हैं। वहां टमाटर 50 रुपये किलो तक बिक रहा है। 

कब कम होंगे टमाटर के दाम
उधर हिमाचल में हो रही लगातार बारिश के कारण उत्तर भारत के लिए टमाटर की सप्लाई प्रभावित हुई है। उससे भी दाम तेजी से बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि दाम पिछले साल 200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए थे। लेकिन, इस बार दाम उतने नहीं बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि अब गर्मी भी कम हो गई है, ऐसे में अगले 40 से 50 दिनों में नई फसल बाजार में आ जाएगी। जिसके बाद दाम कम होने की उम्मीद है।

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