'गन्ना किसान' चुनाव चिन्ह का झगड़ा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, फ्री सिंबल आवंटन नीति की होगी समीक्षा
तमिलनाडु में एक गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल ने 'गन्ना किसान' चुनाव चिह्न ना मिलने पर अदालत का दरवाया खटखटाया। शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है।
किसानों से जुड़े चुनाव चिन्हों का भारतीय राजनीति से पुराना नाता रहा है। आजादी के बाद कांग्रेस का चुनाव चिह्न दो बैलों की जोड़ी था जबकि देश में पहली गैर-कांग्रेस सरकार बनाने वाली जनता पार्टी ने अपना चुनाव चिह्न हलधर किसान चुना था। अब तमिलनाडु में एक गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को 'गन्ना किसान' चुनाव चिह्न आवंटन का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है।
तमिलनाडु में एक गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल है - नाम तमिलर काची (एनटीके)। यह तमिल राष्ट्रवादी पार्टी है जिसके नेता फिल्मों से राजनीति में आए सेंथामिज़ान सीमान हैं। यह पार्टी 'गन्ना किसान' चुनाव चिह्न पर कई चुनाव लड़ चुकी है। 2021 के विधानसभा चुनाव में एनटीके को 6.58% वोट मिले थे। लेकिन चुनाव आयोग ने आगामी लोकसभा चुनाव से पहले 'गन्ना किसान' सिंबल कर्नाटक की भारतीय प्रजा ऐक्याता पार्टी को आवंटित कर दिया। इस पर आपत्ति जताते हुए एनटीके ने चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने उस राजनीतिक दल को भी नोटिस जारी किया है जिसे गन्ना किसान चुनाव चिन्ह दिया गया है। पीठ ने कहा कि वह चुनाव चिह्न आदेश के पैराग्राफ 10बी (बी) की समीक्षा करेगी। इसी आदेश के तहत राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को फ्री सिंबल आवंटित किए जाते का प्रावधान है।
चुनाव आयोग की गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर फ्री सिंबल आवंटित करने की नीति के खिलाफ एनटीके की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। फिलहाल इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। एनटीके का कहना है कि फ्री सिंबल के आवंटन के लिए दायर किए गए सभी आवेदनों पर चुनाव आयोग द्वारा समान स्तर पर विचार किया जाना चाहिए।
एनटीके ने चुनाव आयोग की फ्री सिंबल आवंटन की नीति को मनमाना और असंवैधानिक करार दिया है। पार्टी की दलील है कि 'गन्ना किसान' चुनाव चिह्न उसे आवंटित किया जाना चाहिए क्योंकि उसने कई चुनाव इस सिंबल पर लड़े हैं। एनटीके का जनाधार उन लोगों के बीच है जो द्रमुक और अन्नाद्रमुक को पसंद नहीं करते हैं। भाजपा भी इन मतदाताओं को लुभाना चाहती है।