लंदन यूनिवर्सिटी से एजुकेशन के बाद गांव में खास प्रजाति का गेहूं उगा रही यह महिला कृषि उद्यमी, बेकरी इंडस्ट्री से आ रही बड़ी मांग

खेती-किसानी की लगातार बढ़ती समस्याओं और उपज की वाजिब कीमत नहीं मिलने से एक तरफ जहां बहुत से किसानों का कृषि से मोहभंग होता जा रहा है, वहीं कुछ युवा ऐसे भी हैं जो कृषि क्षेत्र में नवाचार का इस्तेमाल कर खेती को मुनाफा लायक बना रहे हैं। पंजाब के अबोहर की महिला कृषि उद्यमी अनुष्का नेओल उन्हीं युवाओं में से एक हैं। लंदन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर लौटी अनुष्का अबोहर के कुछ किसानों के साथ मिलकर गेहूं की खास प्रजाति एचडी 3226 उगा रही हैं और उन्हें अपनी कंपनी “थ्री वन फार्म्स” के जरिये बेच रही हैं। गेहूं की यह किस्म बेकरी इंडस्ट्री को काफी पसंद आ रही है क्योंकि इसमें ग्लूटेन और प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक होती है।

लंदन यूनिवर्सिटी से एजुकेशन के बाद गांव में खास प्रजाति का गेहूं उगा रही यह महिला कृषि उद्यमी, बेकरी इंडस्ट्री से आ रही बड़ी मांग
अनुष्का नेओल।

खेती-किसानी की लगातार बढ़ती समस्याओं और उपज की वाजिब कीमत नहीं मिलने से एक तरफ जहां बहुत से किसानों का कृषि से मोहभंग होता जा रहा है, वहीं कुछ युवा ऐसे भी हैं जो कृषि क्षेत्र में नवाचार का इस्तेमाल कर खेती को मुनाफा लायक बना रहे हैं। पंजाब के अबोहर की महिला कृषि उद्यमी अनुष्का नेओल उन्हीं युवाओं में से एक हैं। लंदन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर लौटी अनुष्का अबोहर के कुछ किसानों के साथ मिलकर गेहूं की खास प्रजाति एचडी 3226 उगा रही हैं और उन्हें अपनी कंपनी “थ्री वन फार्म्स” के जरिये बेच रही हैं। गेहूं की यह किस्म बेकरी इंडस्ट्री को काफी पसंद आ रही है क्योंकि इसमें ग्लूटेन और प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक होती है।

अनुष्का नेओल ने रूरल वॉयस को बताया, “पिछले तीन साल से हम गेहूं की इस वैरायटी को उगा रहे हैं। इसमें ग्लूटेन और प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक है। इसकी वजह से ब्रेड, पिज्जा और गेहूं के आटे से बनने वाले अन्य बेकरी प्रॉडक्ट काफी सॉफ्ट और उच्च गुणवत्ता के बनते हैं। सामान्य किस्म के गेहूं के आटे से बेकरी प्रॉडक्ट बनाने पर उनमें अलग से ग्लूटेन मिलाना पड़ता है ताकि वे मुलायम बन सकें। मगर इस गेहूं के साथ ऐसा नहीं है। यही वजह है कि बेकरी इंडस्ट्री और शेफ की ओर से इसे काफी पसंद किया जा रहा है। वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के दौरान मैंने अपनी कंपनी थ्री वन फार्म्स की शुरुआत की और उसी साल मैंने इसे अपने खेत में उगाना शुरू किया था। पहले साल 5 एकड़ में इसकी खेती की। उसके अगले साल कुछ और किसानों के साथ मिलकर 35 एकड़ में और रबी सीजन 2022-23 में 70 एकड़ में इसकी खेती की। रबी सीजन 2023-24 में हमारा लक्ष्य 200 एकड़ में एचडी 3226 की बुवाई करने का है।”

अनुष्का टियर-1 और टियर-2 शहरों की प्रीमियम बेकरी, कैफे और रेस्टोरेंट को मुख्य रूप से सीधे इस खास किस्म की गेहूं की आपूर्ति कर रही हैं। सामान्य गेहूं की तुलना में उन्हें इसकी कीमत ज्यादा मिल रही है। इसका फायदा न सिर्फ उन्हें बल्कि उनके साथ जुड़े अन्य किसानों को भी हो रहा है। इसके अलावा अन्य ग्राहक थ्री वन फार्म्स के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से इसकी खरीदारी कर सकते हैं। अनुष्का बताती हैं कि इस समय मुख्य चुनौती पारदर्शिता को लेकर है जिनका समाधान करने की कोशिश की जा रही है। अभी बेकरी इंडस्ट्री को गेहूं का जो आटा मिलता है उसके बारे में उन्हें पता ही नहीं होता है कि वह किस किस्म के गेहूं का है या उसकी गुणवत्ता कैसी है। इस समस्या को सुलझाने के लिए अनुष्का खुद की सप्लाई चेन विकसित कर रही हैं।

गेहूं की इस खास प्रजाति को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) ने 2019 में विकसित किया है। आईएआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. किरण गायकवाड़ ने रूरल वॉयस को बताया कि गेहूं की यह खास किस्म किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में इसकी खेती की जा रही है। उन्होंने कहा कि एचडी 3226 प्रजाति के बारे में किसानों से जो प्रतिक्रिया मिली है उसके मुताबिक, गेहूं की इस नई किस्म की न सिर्फ पैदावार ज्यादा है बल्कि फसल की गुणवत्ता भी अच्छी है। इस गेहूं के आटे की रोटी भी काफी मुलायम और स्वादिष्ट होती है।

डॉ. गायकवाड़ ने बताया कि गेहूं की यह किस्म पीला रतुआ रोग प्रतिरोधक है। इसके अलावा गेहूं की फसल के लिए सबसे खतरनाक बीमारी करनाल बंट सहित आठ रोगों की प्रतिरोधक क्षमता इसमें है। करनाल बंट की बीमारी अगर लग जाए तो पूरी फसल खराब हो जाती है। इसके अलावा, ज्यादा तापमान सहने की भी इसमें क्षमता है। ज्यादा तापमान में भी इसके दाने सिकुड़ते और खराब नहीं होते हैं। साथ ही इसमें प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक औसतन 12.8 फीसदी है। ग्लूटेन की मात्रा भी काफी अधिक होने की वजह से गुणवत्ता के मामले में यह अंतरराष्ट्रीय बाजार के मानकों के मुताबिक है।

उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऐसे गेहूं की मांग ज्यादा है जिससे ब्रेड और अन्य बेकरी उत्पाद उच्च गुणवत्ता के बनते हैं क्योंकि विदेशों में ब्रेड की ही मांग ज्यादा है। रोटी तो हम भारतीय और दक्षिण एशियाई लोग ही खाते हैं। आईएआरआई के ट्रायल के आंकड़ों के मुताबिक, एचडी 3226 किस्म के गेहूं में वेट ग्लूटेन की मात्रा 30.85 फीसदी और ड्राई ग्लूटेन की मात्रा 10.10 फीसदी है। सामान्य किस्म के गेहूं के आटे की तुलना में इस किस्म के गेहूं के आटे में बेकरी वालों को अलग से ग्लूटेन मिलाने की जरूरत नहीं है। जहां तक पैदावार की बात है तो औसतन 57 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक इस किस्म की पैदावार है। हालांकि, आईएआरआई के ट्रायल में तो 70 क्विंटल तक पैदावार हुई थी।

अनुष्का नेओल ने बताया कि आईएआरआई और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से वह गेहूं की इस विशेष प्रजाति सहित गेहूं की 10 प्रजाति और जौ, मक्का एवं राई की खास प्रजातियों पर काम कर रही हैं।           

          

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