मध्य प्रदेश में दूध संघों का संचालन करेगा राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड

मध्य प्रदेश की दूध संघों का प्रबंधन अब राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) द्वारा किया जाएगा। मंगलवार को मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जरूरत पड़ने पर इसके लिए सहकारिता अधिनियम में संशोधन भी किया जाएगा

मध्य प्रदेश में दूध संघों का संचालन करेगा राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड

मध्य प्रदेश राज्य कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (सांची) और इससे जुड़े दूध संघों का प्रबंधन अब राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) द्वारा किया जाएगा। यह निर्णय मंगलवार को मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई डेयरी विकास योजना, दूध उत्पादन बढ़ाने और सांची दुग्ध संघ के कार्यों पर आयोजित समीक्षा बैठक में लिया गया। इसके लिए आवश्यक कानूनी प्रावधान किया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा इस बैठक में लिये गये फैसलों के लिए जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है। 

बैठक में केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी सचिव अलका उपाध्याय और एनडीडीबी के चेयरमैन मीनेश शाह भी उपस्थित थे। इस दौरान मध्य प्रदेश में दूध उत्पादन, एकत्रीकरण और सांची दुग्ध संघ के विषय में कार्ययोजना पर भी विस्तार से चर्चा हुई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को दूध उत्पादन में अग्रणी बनाने और किसानों एवं पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को जिम्मेदारी सौंपी गई है। जरूरत पड़ने पर सहकारिता अधिनियम में संशोधन भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश दूध उत्पादन में प्रमुख स्थान पर है। प्रदेश में प्रतिदिन 5.5 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता के मामले में भी राज्य का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। देश में प्रति व्यक्ति 459 ग्राम प्रतिदिन की तुलना में मध्य प्रदेश में यह 644 ग्राम है। उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों में राज्य का दूध उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य है, जिसके लिए सहकारी आंदोलन को मजबूत किया जाएगा और किसानों एवं पशुपालकों को लाभ पहुंचाया जाएगा। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के करीब 40 हजार गांवों में दूध उत्पादन बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे, जिनमें से वर्तमान में 10 हजार से 15 हजार गांवों में स्थिति संतोषजनक है। शेष गांवों में विभिन्न उपायों से उत्पादन में सुधार किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। 

बैठक में गोबर से रसोई गैस और जैविक खाद प्राप्त करने के प्रयासों पर भी चर्चा हुई। आगर-मालवा में इस दिशा में पहल की गई है। वर्तमान में प्रदेश में 233 संयंत्र स्थापित कर बायोगैस की सुविधा प्रदान की जा रही है। ऐसे किसान और पशुपालक जिनके पास कम से कम दो या तीन पशु हैं, उन्हें गोबर के उपयोग की जानकारी दी जाएगी और इस छोटे संयंत्र की स्थापना में सहायता दी जाएगी। इस संयंत्र के लिए किसानों को लगभग 10 हजार रुपये खर्च करने होंगे।

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