बढ़ती कीमतों पर अंकुश के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने गेहूं पर लगाई स्टॉक लिमिट
मध्य प्रदेश सरकार ने गेहूं पर स्टॉक लिमिट लागू कर दी है, जो 9 सितंबर से प्रभावी हो गई है। यह आदेश 31 मार्च 2025 तक जारी रहेगा। थोक व्यापारी तीन हजार टन और खुदरा व्यापारी 10 टन गेहूं का ही भंडारण कर सकेंगे
केंद्र सरकार के बाद अब मध्य प्रदेश सरकार ने भी गेहूं पर स्टॉक लिमिट लागू कर दी है। यह आदेश 9 सितंबर से लागू कर दिया गया है, जो 31 मार्च 2025 तक जारी रहेगा। इसके तहत, प्रदेश के थोक व्यापारी तीन हजार टन और रिटेलर 10 टन गेहूं ही भंडारण कर सकेंगे। गेहूं की लगातार बढ़ती कीमतों और गेहूं की जमाखोरी को रोकने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है।
मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूं की कीमतें लगातार ऊपर बनी हुई हैं। सामान्य किस्म के गेहूं का औसत दाम 2700 रुपये प्रति क्विटल के आसपास बना हुआ है, जबकि रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। राज्य सरकार ने अतिरिक्त बोनस दिया था जिसके चलते यहां किसानों को सरकारी खरीद में गेहूं की बिक्री करने पर 2400 रुपये प्रति क्विंटल का दाम मिला था।
मध्य प्रदेश में कृषि उत्पादों की थोक खऱीद व बिक्री करने वाले एक एफपीओ के एक अधिकारी ने रूरल वॉयस को बताया कि पिछले 15 से 20 दिनों में गेहूं का दाम 2700 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास है, जबकि टॉप क्वालिटी के शरबती गेहूं का दाम 3000 से 3500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा स्टॉक लिमिट लगाये जाने से कीमतें रुक गई हैं और इनमें कुछ कमी भी आ सकती है।
मध्य प्रदेश देश के सबसे ज्यादा गेहूं उत्पादन वाले राज्यों की में से एक है। लेकिन पिछले रबी सीजन 2023-24 में राज्य में प्रतिकूल मौसम के चलते गेहूं की फसल प्रभावित हुई थी जिसके चलते यहां गेहूं की सरकारी खऱीद में भी गिरावट आई रबी मार्केटिंग सीजन (2024-25) में देश में 266 लाख टन की कुल सरकारी खरीद हुई। इसमें मध्य प्रदेश की हिस्सेदारी 48 लाख टन रही। मध्य प्रदेश में सालाना करीब 200 लाख टन गेहूं का उत्पादन होता है।
केंद्र सरकार ने जून में गेहूं पर स्टॉक लिमिट लागू की थी ताकि गेहूं की जमाखोरी और महंगाई पर अंकुश लगाया जा सके। गेहूं पर स्टॉक लिमिट लगाने का निर्णय उस समय लिया गया था, जब सरकार ने गेहूं के रिकॉर्ड 11.29 करोड़ टन उत्पादन का दावा किया था। हालांकि, वित्त वर्ष 2023-24 में गेहूं की कम सरकारी खरीद और स्टॉक लिमिट लगाने का फैसला उत्पादन के अनुमान पर सवाल उठाता है। उस समय ने सरकार ने तर्क दिया था कि गेहूं की कीमतों को स्थिर रखने के लिए यह फैसला लिया गया है।