पंजाब में घटिया उर्वरक सप्लाई करने वाली दो फर्टिलाइजर कंपनियों के लाइसेंस रद्द, जानिए कौन हैं ये कंपनियां
पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने राज्य की सहकारी समितियों को घटिया डाई-अमोनियम फास्फेट (डीएपी) की आपूर्ति करने के आरोप में दो उर्वरक कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं।
कई फर्टिलाइजर कंपनियों किसानों को नकली या घटिया उर्वरक बेचती हैं। ऐसी शिकायतें किसान अक्सर करते रहते हैं। लेकिन पंजाब में कुछ कंपनियों ने सहकारी समितियों को भी घटिया उर्वरक की आपूर्ति कर दी। ऐसी कंपनियों के खिलाफ अभियान चलाने हुए राज्य सरकार ने दो उर्वरक कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। साथ ही केंद्र सरकार को भी इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कृषि विभाग को नकली उर्वरकों के खिलाफ अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। अभियान की शुरुआत करते हुए पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने राज्य की सहकारी समितियों को घटिया डाई-अमोनियम फास्फेट (डीएपी) की आपूर्ति करने के आरोप में दो उर्वरक कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। जिन कंपनियों के लाइसेंस निरस्त किए गए हैं, उनमें मैसर्स मध्य भारत एग्रो प्रोडक्ट्स लिमिटेड और मैसर्स कृष्णा फॉस्कैम प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं। ये दोनों कंपनियां राजस्थान के ओस्तवाल ग्रुप से जुड़ी हैं और भीलवाड़ा में एक ही पते पर रजिस्टर्ड हैं। इनके कई डायरेक्ट भी कॉमन हैं। ओस्तवाल ग्रुप अन्नदाता ब्रांड से फर्टिलाइजर व अन्य उत्पाद बेचता है।
एक प्रेस विज्ञप्ति में पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने बताया कि इन कंपनियों द्वारा मार्कफेड को आपूर्ति किए गए डीएपी स्टॉक से 40 नमूने एकत्र किए गए थे। इनमें से 24 नमूने उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 के अनुसार गैर-मानक पाए गए और 2 नमूनों के परिणाम अभी आने हैं। उन्होंने कहा कि आवश्यक कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को भी इस बारे में सूचित कर दिया गया है। कृषि मंत्री ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि घटिया/नकली उर्वरकों या किसी अन्य कृषि उत्पाद के संबंध में कोई शिकायत मिलने पर प्राथमिकता के आधार पर उचित कार्रवाई सुनिश्चित करें। उन्होंने चेतावनी दी है कि किसी की ओर से लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
पंजाब के कृषि विभाग ने राज्य में गुणवत्ता नियंत्रण अभियान चलाया है। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 4700 उर्वरक नमूनों की जांच का लक्ष्य रखा है। कृषि निदेशक जसवंत सिंह ने बताया कि गुणवत्ता नियंत्रण अभियान के तहत अब तक उर्वरकों के 1004 नमूने एकत्रित कर जांच के लिए विभिन्न प्रयोगशालाओं में भेजे गए हैं। प्रत्येक जिलों में लक्ष्य के अनुसार उर्वरकों की सैंपलिंग लगातार की जा रही है तथा डीएपी (18:46) व अन्य उर्वरकों की आवक के संबंध में निगरानी सुनिश्चित की जा रही है।